अब्बास अंसारी की विधायकी पर लटकी तलवार! हेट स्पीच मामले में कोर्ट ने सुनाई 2 साल की सजा, हाई कोर्ट में करेंगे चैलेंज

मामले की सुनवाई मऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट डॉ. कृष्ण प्रताप सिंह की बेंच में हुई. कई बार सुनवाई टलने के बाद 28 मई को बहस पूरी नहीं हो सकी थी, जिसके बाद कोर्ट ने 31 मई की तारीख तय की. आज कोर्ट ने अब्बास को दोषी ठहराया.
Abbas Ansari Case

मऊ सदर से विधायक अब्बास अंसारी

Abbas Ansari Case: उत्तर प्रदेश के मऊ सदर से विधायक अब्बास अंसारी को हेट स्पीच और आचार संहिता उल्लंघन के मामले में कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई है. माफिया डॉन रहे मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास की विधायकी अब खतरे में पड़ती दिख रही है. यह फैसला न सिर्फ उनके राजनीतिक करियर, बल्कि मऊ की सियासत पर भी गहरा असर डाल सकता है. दरअसल, मऊ की एमपी- एमएलए कोर्ट ने उन्हें और मंसूर अंसारी को 2 साल की सजा सुनाई है. साथ ही, 2 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. हालांकि, अब्बास ने कहा है कि वो इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देंगे.

क्या है पूरा मामला?

2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान मऊ के पहाड़पुरा में एक जनसभा में अब्बास अंसारी ने विवादित बयान दिया था. आरोप है कि उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों को सत्ता में आने पर “हिसाब-किताब” करने की धमकी दी. इसे हेट स्पीच मानते हुए मऊ कोतवाली में सब-इंस्पेक्टर गंगाराम बिंद की शिकायत पर अब्बास, उनके भाई उमर अंसारी और तीन अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ. इसके अलावा, दक्षिण टोला थाने में आचार संहिता उल्लंघन का एक और मामला भी दर्ज किया गया था.

कोर्ट में क्या हुआ?

मामले की सुनवाई मऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट डॉ. कृष्ण प्रताप सिंह की बेंच में हुई. कई बार सुनवाई टलने के बाद 28 मई को बहस पूरी नहीं हो सकी थी, जिसके बाद कोर्ट ने 31 मई की तारीख तय की. आज कोर्ट ने अब्बास को दोषी ठहराया और सजा का ऐलान किया. इस दौरान कोर्ट के बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. हर आने-जाने वाले की सघन जांच हुई, ताकि कोई गड़बड़ी न हो.

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अब्बास की सियासत पर क्या होगा असर?

अब्बास अंसारी ने 2022 में सपा-सुभासपा गठबंधन के तहत मऊ सदर सीट पर जीत हासिल की थी. उनके पिता मुख्तार अंसारी भी मऊ से पांच बार विधायक रह चुके हैं. अब कोर्ट के इस फैसले ने अब्बास के सियासी भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं. अगर उनकी विधायकी रद्द होती है, तो यह मऊ की सियासत में बड़ा उलटफेर ला सकता है. क्षेत्र में अब्बास का खासा प्रभाव माना जाता है, और यह फैसला उनके समर्थकों के लिए भी झटका है.

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