एयर इंडिया विमान हादसे के बाद मिले 80 लाख के सोने पर किसका हक? जानें क्या है इसे लौटाने की पूरी प्रक्रिया
विमान हादसे के बाद की तस्वीर
Air India Crash: अहमदाबाद में हुए दर्दनाक एयर इंडिया विमान हादसे के बाद मलबे से 80 लाख रुपये के सोने के गहने और नकदी बरामद हुए हैं. अब सवाल यह है कि इस कीमती सामान का असली हकदार कौन है और यह उन तक कैसे पहुंचेगा?
दरअसल, 12 जून, 2025 को अहमदाबाद में एयर इंडिया के AI-171 विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद बचाव दल को मलबे से कई हैरान कर देने वाली चीजें मिलीं. इनमें करीब 70 तोले सोने के गहने, 80,000 नकद, भगवद् गीता की एक प्रति और कुछ पासपोर्ट शामिल थे. फिलहाल, यह सारा सामान सरकारी सुरक्षा में है. गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने 15 जून 2025 को घोषणा की कि बरामद सभी वस्तुओं की पहचान की जाएगी और उन्हें मृतकों के निकटतम रिश्तेदारों को सौंपा जाएगा. सरकार की पहली प्राथमिकता इन कीमती सामानों के असली वारिसों का पता लगाना है.
हकदारों की पहचान कैसे होगी?
विमान हादसे में 241 यात्री और 30 से अधिक लोग मारे गए थे. ऐसे में शवों की पहचान के लिए DNA मिलान का सहारा लिया जा रहा है. सोने और अन्य वस्तुओं के मालिकों की पहचान भी इसी प्रक्रिया के आधार पर होगी. इसके अलावा, यात्रियों के सामान जैसे पासपोर्ट, टिकट या सामान की रसीदें और उनके परिवारों द्वारा दी गई जानकारी का मिलान किया जाएगा. यदि गहनों की खरीद रसीद जैसे कोई दस्तावेज़ या सबूत उपलब्ध हैं, तो पहचान प्रक्रिया और भी आसान हो जाएगी.
क्या कहता है नियम?
भारतीय कानून के अनुसार, मृतक की संपत्ति उनके कानूनी उत्तराधिकारियों को हस्तांतरित की जाती है. यह प्रक्रिया मृतक के धर्म के आधार पर अलग-अलग कानूनों के तहत होती है:
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम: हिंदू यात्रियों के लिए लागू होता है.
मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरियत): मुस्लिम यात्रियों के लिए, जिसमें शरियत के अनुसार हिस्से बांटे जाते हैं.
भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925: ईसाई यात्रियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
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अगर कोई दावेदार न मिला तो?
यदि सोने या अन्य वस्तुओं के लिए कोई कानूनी उत्तराधिकारी दावा नहीं करता है, तो ये वस्तुएं अनाधिकृत संपत्ति (Unclaimed Property) की श्रेणी में आ जाती हैं. भारतीय कानून के तहत, ऐसी संपत्ति को एक निश्चित अवधि, आमतौर पर 7 साल तक सरकारी कब्जे में रखा जाता है. यदि इस दौरान कोई दावेदार नहीं मिलता है, तो संपत्ति सरकार की हो जाती है. यदि यात्रियों ने अपने सामान का बीमा कराया था, तो पहचान के बाद उनके उत्तराधिकारियों को मुआवजे की रकम भी मिल जाएगी.
अब तक कितने लोगों की हो चुकी है पहचान?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हादसे के बाद से अब तक 162 मृतकों की DNA के ज़रिए पहचान हो चुकी है. बरामद वस्तुओं को उनके परिवारों को सौंपने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि यदि कोई व्यक्ति हादसे के बाद ऐसी वस्तुएं अपने पास रखता है, तो इसे भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 403 (आपराधिक विश्वासघात) या धारा 406 (विश्वास का आपराधिक उल्लंघन) के तहत अपराध माना जा सकता है. यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि यह कीमती सामान सही हाथों तक पहुंचे और पीड़ितों के परिवारों को थोड़ी राहत मिल सके.