17 साल भारत में रहा, अब पाकिस्तान वापसी…कैसे बना ओसामा का राशन कार्ड और वोटर ID?
पाकिस्तानी नागरिक ओसामा
Pahalgam Attack: पंजाब के अटारी-वाघा बॉर्डर पर इन दिनों हलचल है. अब तक 786 पाकिस्तानी नागरिकों को भारत से वापस उनके देश भेजा गया. ये सब 22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में हुए खौफनाक आतंकी हमले के बाद हुआ, जिसमें 26 लोग मारे गए. हमले का जिम्मेदार एक पाकिस्तानी आतंकी हाशिम मूसा को ठहराया गया है. इसके बाद भारत सरकार ने फटाफट सारे पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए. लेकिन इस बीच एक बात ने सबको हैरान किया है. जिन पाकिस्तानियों को अटारी वाघा बॉर्डर से भेजा जा रहा है, उनमें से कइयों के पास भारत का राशन कार्ड और वोटर ID भी था.
17 साल से भारत में था ओसामा
भारत से पाकिस्तान जाने वालों में एक ओसामा भी है. वह करीब 17 साल से भारत में रह रहा था. उसने कहा, “मैंने तो यहां 10वीं-12वीं पास की, वोट डाला, राशन कार्ड भी बनवाया. अब अचानक पाकिस्तान भेजा जा रहा है, तो वहां मेरा क्या होगा?” ओसामा अपनी बैचलर डिग्री कर रहा था और एग्जाम के बाद नौकरी की तलाश में था. लेकिन अब उसे वापस जाना पड़ रहा है. उसने सरकार से थोड़ा समय देने की गुहार लगाई, पर 29 अप्रैल तक कोई राहत नहीं मिली. ओसामा ने पहलगाम हमले की निंदा भी की.
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पाकिस्तानी महिला का दर्द
एक और पाकिस्तानी महिला ने कहा, “22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद उन्हें और अन्य पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने का आदेश दिया गया, जो उनके साथ अन्याय है.” उन्होंने आतंकवादियों की निंदा करते हुए कहा कि उनकी टांगें तोड़ देनी चाहिए और उन्हें फांसी दी जानी चाहिए, लेकिन निर्दोष लोगों को सजा देना गलत है. उन्होंने आगे कहा, “मैं 41 साल पहले कराची से आई थी, पिछले 41 साल से भारत में रह रही हूं. पाकिस्तान में मेरा कुछ नहीं है. “
राशन कार्ड-वोटर ID कैसे बने?
अब सवाल ये कि पाकिस्तानी नागरिकों के पास ये दस्तावेज आए कहां से? राशन कार्ड और वोटर ID के लिए आधार कार्ड, स्थानीय पता और पहचान पत्र चाहिए. कई बार जो लोग लंबे वक्त से भारत में रहते हैं, वो स्थानीय ऑफिसों से ये दस्तावेज बनवा लेते हैं. लेकिन सिस्टम में ढील और चेकिंग में लापरवाही की वजह से ऐसा हो पाता है. इस बार तो पहलगाम हमले के बाद सरकार ने सुरक्षा के लिए सख्ती दिखाई, तब जाकर ये मामला सामने आया.
एक तरफ ओसामा जैसे लोग हैं, जिन्होंने भारत में अपनी जिंदगी बसा ली थी. दूसरी तरफ, सुरक्षा का सवाल भी बड़ा है. सरकार को चाहिए कि दस्तावेज देने की प्रक्रिया को और टाइट करे, ताकि भविष्य में ऐसी गड़बड़ी न हो. साथ ही, इंसानी पहलू को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.