वृद्धावस्था पेंशन से लेकर मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना तक…क्या बिहार में फिर ‘लेडी पावर’ के भरोसे NDA? समझिए पूरी ABCD
बिहार में महिलाओं पर एनडीए का फोकस!
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव बस कुछ ही हफ्तों दूर है और इस बार फिर से ‘लेडी पावर’ की गूंज हर तरफ है. एनडीए ने एक बार फिर महिलाओं को अपने वोट बैंक का सबसे बड़ा सितारा बनाया है. पिछले चुनावों में बिहार की महिलाओं ने पुरुषों को पछाड़कर वोटिंग में बाजी मारी थी. अब एनडीए उनकी ताकत को भुनाने के लिए नए-नए दांव खेल रहा है. मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना से लेकर बेटी का भविष्य अभियान तक, एनडीए ने महिलाओं के लिए ऐसी योजनाओं का पिटारा खोल दिया है, जो न सिर्फ जेब भर रहा है, बल्कि दिल भी जीत रहा है. लेकिन क्या ये योजनाएं सचमुच बिहार की ‘आधी आबादी’ का भरोसा जीत पाएंगी?
बिहार में महिलाओं के पास पावर!
बिहार में पिछले तीन विधानसभा चुनाव (2010, 2015, 2020) में महिलाओं ने कमाल कर दिखाया. उनकी वोटिंग दर 60% तक पहुंची, जबकि पुरुषों की तुलना में हमेशा ज्यादा रही. 2020 में तो 54.7% पुरुषों के मुकाबले 59.7% महिलाओं ने वोट डाले. यही वजह है कि एनडीए ने इस बार फिर महिलाओं को साधने की पूरी रणनीति बनाई है. ‘MMM’ फॉर्मूला (महिला, मंदिर, मोदी) के साथ गठबंधन ने न सिर्फ आर्थिक मदद का वादा किया है, बल्कि भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव पर भी जोर दिया है. एनडीए ने हाल ही में कई ऐसी योजनाएं शुरू की हैं, जो महिलाओं को सशक्त बनाने का दावा करती हैं.
मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना (MMRY)
हर परिवार की एक महिला को 10,000 रुपये की पहली किस्त दी जा रही है और कुल मिलाकर 2 लाख रुपये तक की मदद मिलेगी. ये पैसा छोटे-मोटे व्यवसाय शुरू करने के लिए है, जैसे किराना दुकान, सिलाई सेंटर या हाट-बाजार में स्टॉल. 26 सितंबर 2025 को पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम नीतीश कुमार ने वर्चुअल इवेंट में पहली किस्त ट्रांसफर की, जिसमें 75 लाख महिलाओं को फायदा हुआ. ये योजना जीविका दीदियों को और मजबूत करने की कोशिश है, जो पहले से ही ग्रामीण इलाकों में कमाल कर रही हैं.
बेटी का भविष्य अभियान
बेटियों की शिक्षा, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता के लिए ये खास अभियान शुरू किया गया है. साथ ही, माता सीता मंदिर जैसे प्रोजेक्ट्स से एनडीए महिलाओं के साथ भावनात्मक रिश्ता जोड़ने की कोशिश कर रहा है. बिहार की महिलाएं, जो रामायण और सीता माता से गहरा लगाव रखती हैं, इस कदम को खूब पसंद कर रही हैं.
वृद्धावस्था पेंशन में बंपर बढ़ोतरी
बुजुर्गों (खासकर महिलाओं) के लिए पेंशन को 400 रुपये से बढ़ाकर 1,100 रुपये कर दिया गया है. इससे 1.09 करोड़ लोग लाभान्वित होंगे, जिनमें ज्यादातर महिलाएं हैं. ये कदम खासकर उन परिवारों को राहत देगा, जहां महिलाएं ही घर की जिम्मेदारी संभालती हैं.
पुरानी हिट योजनाएं
नीतीश कुमार की शराबबंदी (2016 से लागू), महिलाओं को पंचायत में 50% आरक्षण और कन्या उत्थान योजना (छात्राओं को साइकिल, स्कूल यूनिफॉर्म) जैसी योजनाएं पहले से ही बिहार की महिलाओं के बीच एनडीए की पैठ मजबूत कर चुकी हैं.
“नीतीश पर भरोसा नहीं”
विपक्षी महागठबंधन ने एनडीए पर तीखा हमला बोला है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा, “नीतीश जी की योजनाएं सिर्फ चुनावी जुमले हैं. महिलाओं का भरोसा अब टूट चुका है. बिहार में बेरोजगारी और महंगाई से लोग त्रस्त हैं.” विपक्ष का दावा है कि जंगलराज का डर दिखाकर एनडीए वोट बटोरने की कोशिश कर रहा है, लेकिन जनता अब इन वादों से ऊब चुकी है.
एनडीए की रणनीति कामयाब होगी?
एनडीए का दांव साफ है. लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं. बिहार में बेरोजगारी, महंगाई और पलायन जैसे मुद्दे अब भी बड़े हैं. अगर विपक्ष इन मुद्दों को भुनाने में कामयाब रहा, तो एनडीए के लिए राह मुश्किल हो सकती है. फिर भी, महिला सशक्तीकरण की योजनाओं और मोदी-नीतीश की जोड़ी की ब्रांडिंग ने एनडीए को मजबूत स्थिति में रखा है. बिहार की महिलाएं इस बार फिर से ‘साइलेंट वोटर’ साबित हो सकती हैं, जो बिना शोर-शराबे के वोटिंग बूथ पर अपनी ताकत दिखाएंगी.