12 साल में पहला मर्डर, फिर जिगरी दोस्त से दुश्मन बना शेरू…गैंगस्टर चंदन मिश्रा की ‘खूनी कहानी’
चंदन मिश्रा और शेरू सिंह
Bihar Crime: पिछले दिनों पटना के पारस अस्पताल में दिनदहाड़े गैंगस्टर चंदन मिश्रा की गोली मारकर हत्या कर दी गई. हैरानी की बात ये है कि इस हत्या का मास्टरमाइंड कोई और नहीं, बल्कि कभी चंदन का जिगरी दोस्त रहा शेरू सिंह निकला. ये घटना इसलिए भी ज्यादा चर्चा में है क्योंकि अपराधियों ने खुलेआम अस्पताल में घुसकर फायरिंग की और फिर हथियार लहराते हुए मौके से फरार हो गए. आइए जानते हैं चंदन मिश्रा के अपराध की दुनिया में एंट्री से लेकर उसकी खूनी अंजाम तक की पूरी कहानी.
12 साल की उम्र में पहला खून
कहानी शुरू होती है साल 2007 से, जब चंदन मिश्रा महज 12 साल का था. उसके पिता मंटू मिश्रा तब पंचायत के मुखिया थे. एक दिन क्रिकेट खेलते समय चंदन का अपने एक रिश्तेदार शशिकांत से झगड़ा हो गया. शशिकांत ने चंदन के मुखिया पिता को चोर और भ्रष्ट कह दिया. बस फिर क्या था, चंदन गुस्से में घर गया, पिता की लाइसेंसी बंदूक उठाई और शशिकांत को गोली मार दी. शशिकांत की मौके पर ही मौत हो गई. हालांकि, शशिकांत की मां ने चंदन को बचा लिया, ये कहकर कि वो अपने माता-पिता का इकलौता बेटा है.
इसके बाद चंदन को नाबालिग होने की वजह से रिमांड होम भेज दिया गया, जहां वो करीब ढाई साल रहा. यहीं उसकी दोस्ती शेरू सिंह से हुई, जिसे एक लड़की से छेड़खानी के आरोप में पीटा गया था और वो रिमांड में बुरी तरह घायल होकर आया था. चंदन ने उस दौरान शेरू की बहुत मदद की और उसकी देखभाल की. चंदन के पिता मंटू मिश्रा ने भी शेरू की कानूनी लड़ाई में मदद की, जिससे उनकी दोस्ती और गहरी हो गई.
एक ही दिन में तीन हत्याएं और जातीय नफरत की आग
रिहाई से ठीक दो दिन पहले चंदन और शेरू रिमांड होम से फरार हो गए. बाहर आते ही उन्होंने एक ही दिन में तीन लोगों को मौत के घाट उतार दिया, नौशाद मुखिया, इस्लाम मियां का लड़का और सुरेश खरवार. हैरानी की बात ये थी कि इन तीनों से उनका कोई व्यक्तिगत झगड़ा नहीं था. दरअसल, कुछ समय पहले खरहाटांड़ के सरपंच संतोष ओझा की हत्या हुई थी, जिसमें यादव और मुस्लिम अपराधियों का हाथ था. राजपूत समाज से आने वाले शेरू ने चंदन के दिमाग में जातीय नफरत भर दी. उसने चंदन से कहा कि उसके ब्राह्मण समाज के एक अच्छे व्यक्ति की हत्या का जवाब देना चाहिए. संतोष ओझा की हत्या में नौशाद मुखिया, सुरेश खरवार और इस्लाम मियां की भूमिका सामने आई थी, इसलिए चंदन और शेरू ने मिलकर उन्हें मार डाला.
जेल में बढ़ी दूरियां और वर्चस्व की लड़ाई
इसके बाद दोनों ने लगातार कई हत्याएं की और एक साल बाद कोलकाता में पकड़े गए. उन्हें बक्सर जेल में डाल दिया गया. पेशी के दौरान शेरू हवलदार को गोली मारकर फरार हो गया, जबकि चंदन जेल में ही रहा. शेरू ने भागने के बाद आरा में उस व्यक्ति को मार दिया, जिसने उसे पीटा था और रिमांड होम भेजा था. दूसरी तरफ, चंदन जेल में अपने परिवार के करीब होता गया. कुछ समय बाद शेरू भी आरा में पकड़ा गया और फिर उसे भागलपुर जेल भेज दिया गया.
इसी दौरान शेरू और चंदन के बीच विवाद बढ़ने लगा. क्राइम की दुनिया में चंदन सीनियर था और शेरू जूनियर. साल 2014 से शुरू हुआ ये विवाद बढ़ता ही चला गया. शेरू को एक हत्या मामले में फांसी और बाद में आजीवन कारावास की सजा हुई, वहीं चंदन को आजीवन कारावास मिला. चंदन के परिवार का कहना है कि उस पर जेल में रहते हुए कोई हत्या का आरोप नहीं लगा था, और उसे उम्मीद थी कि वो अपनी उम्रकैद की सजा पूरी कर रिहा हो जाएगा.
हाल ही में जब चंदन अपने पिता के इलाज और अपने इलाज के लिए पैरोल पर बाहर आया, तो शेरू को लगा कि अगर चंदन बाहर आ गया तो उसका दबदबा खत्म हो जाएगा. चंदन के सोशल मीडिया पर दिखने वाले वीडियो और रील में उसके साथ बड़ी संख्या में लोग दिख रहे थे, जिससे शेरू को और भी खतरा महसूस हुआ. शेरू का गांव चंदन के गांव से सिर्फ 2 किमी दूर था और उसे पुरुलिया जेल में भी चंदन से जुड़ी सारी जानकारी मिल रही थी.
वीडियो कॉल पर दोस्ती का नाटक
चंदन के पिता का एम्स में लीवर का इलाज चल रहा था, और उसके बाद चंदन खुद अपना इलाज कराने पारस अस्पताल आया था. 16 जुलाई को उसे डिस्चार्ज होना था, लेकिन डॉक्टर ने एक दिन और रुकने को कहा, और उसे 17 जुलाई को डिस्चार्ज करने की बात कही. चंदन को 18 जुलाई को पैरोल खत्म होने पर जेल में हाजिर भी होना था.
शेरू ने चंदन का भरोसा जीतने के लिए एक चाल चली. जब चंदन जेल से बाहर आया तो शेरू ने उसे वीडियो कॉल किया और कहा, “का बाबा तू बड़ी घूम’ तार’ पटना हम ना घूमेम, हम अंदरे रहेम?”
15 जुलाई को जिस दिन चंदन का ऑपरेशन हुआ था, उस दिन भी शेरू ने वीडियो कॉल किया. उसने अपनी पत्नी और बेटे से भी चंदन की बात करवाई और बेटे को आशीर्वाद देने को कहा. उस दिन चंदन ने शेरू से कहा, “तुम भी बाहर जब निकलोगे, हम लोगों को जो करना था वो हमने कर लिया, अब ये सब छोड़ देना है, अब आगे का जो काम है वह करना है.” चंदन के करीबी मानते हैं कि शेरू ने हत्या से पहले चंदन का भरोसा जीतने की पूरी कोशिश की.
सुपारी देकर करवाई हत्या!
चंदन के परिवार के मुताबिक, शेरू ने 10 लाख रुपये में तौसीफ को चंदन की हत्या की सुपारी दी थी. उसने बक्सर के अपने तीन लड़कों को भी तौसीफ के साथ भेजा. तौसीफ ने अपने दो लड़कों को साथ रखा. परिवार का कहना है कि चंदन को 32 गोलियां मारी गईं. अस्पताल के कमरे का दरवाजा अंदर से लॉक नहीं होता था, जिसका फायदा उठाकर सभी आरोपी कमरे में घुस गए और चंदन की गोली मारकर हत्या कर दी. वारदात को अंजाम देने के बाद सभी आरोपी मौके से फरार हो गए. लेकिन अब पुलिस ने शेरू गैंग के तीन शूटर्स को कोलकाता से पकड़ लिया है.