बिहार में ‘खून की होली’ खेल रहे अपराधी! पटना से पूर्णिया तक एक हफ्ते में ही कई हत्याएं
प्रतीकात्मक तस्वीर
Bihar Crime: विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में अपराधियों ने जैसे खून की होली खेलनी शुरू कर दी है. दिन-दहाड़े हत्याएं, गोलीबारी और क्रूरता की ऐसी वारदातें कि हर कोई सवाल उठा रहा है कि आखिर बिहार में कानून-व्यवस्था का क्या हाल है? क्या सरकार सो रही है? अपराधी इतने बेखौफ क्यों हैं? और सबसे बड़ा सवाल कि आम आदमी की जान की रक्षा कौन करेगा? आइये सबकुछ विस्तार से जानते हैं.
बेगूसराय की सनसनीखेज वारदात
सोमवार सुबह, जब लोग अपने रोजमर्रा के काम में व्यस्त थे, बेगूसराय के एक रेलवे गुमटी के पास दो युवकों पर बाइक सवार बदमाशों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं. ये दोनों युवक बैरियर पर छोटे वाहनों से टोल वसूल रहे थे. अचानक छह नकाबपोश बदमाश दो बाइकों पर सवार होकर आए और गोलियां चलाने लगे. इस हमले में एक युवक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दूसरा गंभीर रूप से घायल है. आसपास के लोग दहशत में भागने लगे, और इलाका कुछ ही पलों में जंग के मैदान में बदल गया.
पटना से पूर्णिया तक अपराध की आग
बेगूसराय की यह घटना कोई इकलौती नहीं थी. पिछले कुछ दिनों में बिहार के अलग-अलग हिस्सों में ऐसी कई वारदातों ने लोगों का दिल दहला दिया है.
पटना: राजधानी में कारोबारी गोपाल खेमका की दिन-दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई. पुलिस ने सुपारी किलर और सुपारी देने वाले को तो पकड़ लिया, लेकिन मुख्य हत्यारा अब भी फरार है.
पूर्णिया: एक ही परिवार के पांच लोगों को जिंदा जलाने की घटना ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया.
सिवान: तलवार से काटकर तीन लोगों की बेरहमी से हत्या.
नालंदा: दो युवकों, अन्नू पासवान और हिमांशु कुमार, को गोलियों से भून दिया गया. मां का बिलखना देख हर किसी की आंखें नम हो गईं.
पटना: पिपरा में ग्रामीण स्वास्थ्य अधिकारी सुरेंद्र कुमार की खेत में गोली मारकर हत्या.
इन वारदातों ने बिहार को डर के साये में ला दिया है. सड़कों पर खून, रोते-बिलखते परिजन, बंद दुकानें और पुलिस की गाड़ियों का सायरन , ये दृश्य अब बिहार की पहचान बनते जा रहे हैं.
जंगलराज या साजिश?
इन वारदातों ने बिहार की सियासत को भी गरमा दिया है. विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने सरकार पर तीखा हमला बोला. उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “बिहार में ताबड़तोड़ गोलियों की बौछार! पटना में वकील को गोली, वैशाली में लड़की की हत्या, परसा में शिक्षक की हत्या. मुख्यमंत्री बीमार, प्रदेश लाचार!” तेजस्वी का यह तंज नीतीश कुमार सरकार के लिए बड़ा सवाल बन गया है. वहीं, बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि ये घटनाएं विपक्ष की साजिश हैं. लेकिन उनकी बातों पर जनसुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने सवाल उठा दिए. प्रशांत ने तंज कसते हुए कहा, “जब अपराधी बेखौफ हैं, तो सरकार की समझ पर सवाल उठना लाजमी है.”
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NCRB के आंकड़े
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बिहार की स्थिति को और साफ करते हैं. पिछले 20 सालों में बिहार में 60,000 से ज्यादा हत्याएं दर्ज की गई हैं. यह आंकड़ा सरकार की नाकामी की कहानी खुद बयां करता है. सवाल उठ रहे हैं कि क्या पुलिस के पास संसाधनों की कमी है? क्या अपराधियों को सियासी संरक्षण मिल रहा है? या फिर बिहार की जनता को अब भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है?
पुलिस ने कई जगहों पर छापेमारी की, हथियार बरामद किए और कुछ अपराधियों को गिरफ्तार भी किया. लेकिन सवाल वही है कि क्या ये कार्रवाई काफी है? अपराधी दिन-दहाड़े वारदात को अंजाम दे रहे हैं, और आम लोग डर के साये में जी रहे हैं. सड़कों पर प्रदर्शन, बंद दुकानें और पुलिस की प्रेस कॉन्फ्रेंस का सिलसिला जारी है, लेकिन अपराध का ग्राफ कम होने का नाम नहीं ले रहा.
बिहार में हर तरफ डर का माहौल है. पटना से पूर्णिया तक, लोग अपनी जान की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. विपक्ष इसे “जंगलराज” का नाम दे रहा है, तो सत्तापक्ष इसे विपक्ष की साजिश बता रहा है. लेकिन इन सियासी बयानबाजियों के बीच आम आदमी की जान की कीमत कौन चुकाएगा?