BJP के लिए ‘नाक का सवाल’ है अलीनगर, Maithili Thakur के लिए कैंप कर रहे हैं NDA के बड़े नेता, क्या ‘सेलिब्रिटी पॉलिटिक्स’ में फंस गई पार्टी?
अलीनगर से बीजेपी उम्मीदवार मैथिली ठाकुर
Alinagar Assembly Election 2025: दरभंगा की अलीनगर सीट अब सिर्फ एक चुनावी मैदान नहीं, बल्कि बीजेपी के लिए सम्मान की जंग बन चुकी है. बिहार विधानसभा चुनाव के बीच दरभंगा जिले की अलीनगर सीट सुर्खियों में है. वजह? मशहूर लोक गायिका मैथिली ठाकुर (Maithili Thakur). 25 साल की ये युवा कलाकार बीजेपी की उम्मीदवार हैं. पार्टी को लगा था कि मैथिला की आवाज़ पूरे इलाके में जादू कर देगी, लेकिन अब उसी अलीनगर सीट को बचाने के लिए दिल्ली से पटना तक के बड़े नेता कैंप कर रहे हैं.
पसीने से लिखी जा रही है चुनावी कहानी!
बीजेपी का दांव साफ था, मैथिली को टिकट देकर दरभंगा की छह सीटों पर ‘मिथिला वेव’ लाना. मधुबनी की बेटी, सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स, भोजपुरी-मैथिली गीतों की जादूगरनी. लग रहा था कि युवा, महिलाएं और संस्कृति प्रेमी वोटर उनके साथ होंगे. लेकिन ज़मीनी हकीकत अलग निकली. अलीनगर में यादव, ब्राह्मण और मुस्लिम वोटरों का दबदबा है. 2020 में एनडीए की सहयोगी VIP पार्टी के मिश्रीलाल यादव जीते थे, लेकिन अब VIP NDA गठबंधन से बाहर है. आरजेडी ने फिर से अपने पुराने योद्धा विनोद मिश्रा उतारा है, जो पिछले चुनाव में सिर्फ 3 हजार वोटों से हारे थे. खास बात ये कि मुकेश सहनी की वीआईपी इस बार राजद के साथ है.
अमित शाह से नीतीश तक, सब मैदान में
पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अलीनगर पहुंचे. रैली में मैथिली को ‘मिथिला की शान’ बताया. फिर आज खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जेडीयू के बड़े नेता संजय झा रोड शो करते दिखे. नीतीश ने कहा, “मैथिली सिर्फ गायिका नहीं, समाज की सेविका हैं.” सूत्र बता रहे हैं कि बीजेपी ने यूपी, झारखंड और हरियाणा से भी नेताओं को बुलाया है. पार्टी के बड़े नेताओं का मैसेज साफ है कि मैथिली को हर हाल में जिताना है.
विवाद भी, चुनौती भी
टिकट मिलने के पहले से ही मैथिली को ‘बाहरी’ कहकर कुछ लोग विरोध कर रहे हैं. मधुबनी से है, अलीनगर को कितना जानती है? एक फोटो वायरल हुई, मैथिली ने मिथिला की पारंपरिक पाग में मखाना रखा. कईयों को ये संस्कृति का अपमान लगा. मैथिली ने माफी मांगी, कहा, “मकसद था मखाने को सम्मान देना, गलती हुई तो खेद है.” इतना ही नहीं, मैथिली के लिए प्रचार करने आईं यूपी से विधायक केतकी सिंह ने पाग का अपमान किया. स्थानीय स्तर पर इसे भी मुद्दा बनाया गया.
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पहले विरोध करने वाले नेता अब दे रहे मैथिली का साथ!
मैथिली ठाकुर को टिकट मिलते ही अलीनगर के बीजेपी नेता और कार्यकर्ता भड़क गए थे. वे कह रहे थे, “हमने सालों मेहनत की, बूथ बनाए, सुख-दुख में साथ दिए और ‘नचनिया-गवैया’ को पैराशूट से उतार दिया?” सात मंडल अध्यक्षों ने सामूहिक इस्तीफे की धमकी दी. मंडल अध्यक्षों ने कहा, “दरी बिछाई हमने, कुर्सी लगाई हमने, टिकट किसको मिला?” हालांकि, जिस संजय सिंह उर्फ पप्पू सिंह के लिए बीजेपी के स्थानीय नेता विरोध कर रहे थे. वो खुद पटना में अमित शाह से मुलाकात के बाद शांत हो गए. अगले ही दिन से मैथिली के लिए फील्डिंग करते नजर आने लगे. लेकिन यहां सवाल यह है कि क्या जो नेता हफ्ते भर पहले तक मैथिली का विरोध कर रहे थे, वो क्या सच में मैथिली को जीत दिलाने में योगदान दे रहे हैं?
हालांकि, यहां एक फैक्टर मैथिली के साथ है. मैथिली भले ही राजनीति में नई हों, लेकिन जनता से जुड़ने की कला उनमें कूट-कूट कर भरा है. मैथिली अलीनगर के किसी भी पंचायत में जा रही हैं तो गीत जरूर गा रही हैं. और गीत में लोगों को जोड़ने की कितनी शक्ति है ये हम सभी जानते ही हैं. नहीं तो मनोज तिवारी, निरहुआ और पवन सिंह कभी नेता नहीं बन पाते. अब लाइन में खेसारी लाल यादव और रितेश पांडे भी हैं.
खैर, अब अलीनगर बीजेपी के लिए सिर्फ एक सीट नहीं, पूरे दरभंगा की साख का सवाल है. हारे तो ‘सेलिब्रिटी पॉलिटिक्स’ पर सवाल उठेंगे. जीते तो नया मॉडल तैयार होगा कि कला और राजनीति का मेल चल सकता है. अलीनगर की जनता क्या फैसला लेगी? ये देखने वाली बात होगी.
सियासी समीकरण
अलीनगर विधानसभा सीट एक सामान्य श्रेणी की सीट है, जहां कुल मतदाता संख्या लगभग 2.84 लाख है, जिसमें पुरुष मतदाता करीब 1.48 लाख और महिला मतदाता 1.36 लाख हैं. 2011 जनगणना और हालिया चुनावी डेटा के आधार पर यहां का जातिगत समीकरण मुख्य रूप से ब्राह्मण, यादव, मुस्लिम, OBC और SC/ST पर केंद्रित है, जो चुनावी परिणामों को निर्णायक रूप से प्रभावित करता है.
इस सीट पर ब्राह्मण वोटर 24-25 % हैं, जो बीजेपी और एनडीए का कोर बेस माने जाते हैं. हालांकि ब्राह्मण उम्मीदवार मैथिली ठाकुर को ‘बाहरी’ टैग से कुछ असंतोष का सामना करना पड़ सकता है. वहीं, यादव समुदाय 22-23 फीसदी मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करता है. 2020 में VIP ने इसका कुछ हिस्सा काट लिया था. अलीनगर सीट पर मुस्लिम वोटरों का अपना अलग दबदबा है. यहां मुस्लिम वोटर 20-21.2% हैं, जिसका झुकाव हमेशा से आरजेडी की तरफ रही है. SC/ST की भी संख्या ठीक-ठाक है.
कुल मिलाकर, मुस्लिम-यादव समीकरण 40% से अधिक होने से RJD यहां हमेशा मजबूत रही है, लेकिन 2020 में NDA की जीत ने OBC-SC को एकजुट कर दिखाया. 2025 में मैथिली ठाकुर के लिए ब्राह्मण एकीकरण और विनोद मिश्रा (RJD) के लिए MY पर भरोसा निर्णायक होगा, जबकि दोनों ओर से ब्राह्मण उम्मीदवार होने के चलते वोट स्प्लिट का खतरा बना हुआ है. वोटिंग पहले चरण में 6 नवंबर 2025 को होने से यदि टर्नआउट 60% से अधिक रहा, तो जाति से ऊपर उठकर विकास जैसे मुद्दे परिणाम बदल सकते हैं.