एक रात का किराया 20 हजार…चुनावी मौसम में चांदी काट रहे पटना के होटल वाले, मौर्य-चाणक्य का ये है हाल

Patna Hotel Rates: पटना के बड़े होटल 40-50 साल पुराने हैं. मौर्य, चाणक्य को बने दशक हो गए. 90 के दशक में लालू राज में कानून-व्यवस्था खराब थी, कोई बड़ा निवेशक नहीं आया. फिर नीतीश सरकार में शराबबंदी ने होटल बार को झटका दिया. शादियां लखनऊ, जयपुर में शिफ्ट हो गईं.
Patna Hotels Full

पटना में होटल वालों की चांदी!

Bihar Election 2025: बिहार में चुनावी हवा गरम है और इसी के साथ पटना के होटल वालों ने भी मौज कर दी है. वोटिंग की तारीखें नजदीक आते ही राजधानी में कमरों की मारामारी हो गई है. होटल मौर्य, चाणक्य से लेकर ताज तक…सब जगह ‘नो रूम’ (Patna Hotels Full) का बोर्ड लटक रहा है. और अगर कीमतों की बात करें तो एक रात के 18 से 20 हजार तक. जी हां, चुनावी मौसम ने होटल वालों को खूब कमाने का मौका दे दिया है.

बिहार विधानसभा चुनाव 2 चरणों में हो रहे हैं. पहले चरण में 6 नवंबर को वोटिंग होगी, वहीं दूसरे चरण में 11 को वोटिंग है और नतीजे 14 को आएंगे. लेकिन लग रहा है पटना में तो चुनाव पहले से शुरू हो चुका है. नेता मीटिंग कर रहे हैं, पत्रकार डिबेट शूट कर रहे हैं, रणनीतिकार चाय पीते हुए प्लान बना रहे हैं. होटल मौर्य का कॉन्फ्रेंस हॉल अब न्यूज़ स्टूडियो बन गया है. चाणक्य होटल की वेबसाइट पर ऑनलाइन बुकिंग सेक्शन में सॉरी लिखा है.

पहले ही कमरे बुक करा लेती हैं पार्टियां

एक होटल मैनेजर ने बताया, “पार्टियां महीनों पहले कमरे बुक करा लेती हैं. इस्तेमाल हो या न हो, बुकिंग कैंसिल नहीं होती. क्योंकि पता है कि बाद में एक भी बेड नहीं मिलेगा.” नया ताज होटल तो जैसे सोने का अंडा दे रहा है. नॉर्मल दिन में 8-10 हजार का कमरा अब 18-20 हजार में. आईएचसीएल ग्रुप का बजट होटल भी फुल. छोटे गेस्ट हाउस तक में जगह नहीं. जो लोग पहले 3-4 हजार में रुकते थे, अब उन्हें 10-12 हजार खर्च करने पड़ रहे हैं. पटना में कुल पांच सितारा कमरे मुश्किल से 500-600 हैं. चुनावी सीजन में 2000 से ज्यादा लोग एक साथ आते हैं ,नेता, स्टाफ, मीडिया, सर्वे टीम. नतीजा? सप्लाई कम, डिमांड ज्यादा.

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क्यों है इतनी किल्लत?

पटना के बड़े होटल 40-50 साल पुराने हैं. मौर्य, चाणक्य को बने दशक हो गए. 90 के दशक में लालू राज में कानून-व्यवस्था खराब थी, कोई बड़ा निवेशक नहीं आया. फिर नीतीश सरकार में शराबबंदी ने होटल बार को झटका दिया. शादियां लखनऊ, जयपुर में शिफ्ट हो गईं. कॉन्फ्रेंस दिल्ली-कोलकाता में. अब अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, लेकिन होटल इंडस्ट्री पीछे रह गई. गया, मुजफ्फरपुर, भागलपुर में भी यही हाल है. क्वालिटी होटल की कमी बिहार को पड़ोसियों से पीछे रखती है.

बिहार में दिलचस्पी दिखा रहे हैं इंटरनेशनल चेन

कुछ इंटरनेशनल चेन बिहार में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. मेरियट, हयात की टीमें सर्वे कर चुकी हैं. लेकिन सबकी नजर चुनाव नतीजों पर है. अगर स्थिर सरकार बनी, तो 2-3 साल में 3-4 नए पांच सितारा होटल आ सकते हैं. फिलहाल मुस्कान होटल वालों के चेहरे पर दिखाई दे रही है. चुनाव ने होटल कारोबारियों को मौका दे दिया. साल भर 50-60% ऑक्यूपेंसी पर चलते थे, वो अब 100% पर. एक होटल मालिक ने हंसते हुए कहा, “चुनाव हर 5 साल में आता है, हम 5 साल का बिजनेस 5 हफ्तों में कर लेंगे.

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