NDA में जल रहे ‘चिराग’, बिहार में कहीं भस्म न हो जाए JDU…सीट बंटवारे में सौदेबाजी की Inside Story!

सूत्र कहते हैं, नीतीश चुपके से दबाव बना रहे हैं, क्योंकि 2020 का घाव ताजा है. अगर चिराग (Chirag Paswan) बगावत करें, तो दलित वोट 5-6% पासवान समुदाय JDU के घाव को कुरेद देंगे. यानी, अगर चिराग पासवान, इस बार बगावत करेंगे तो निश्चित ही नीतीश कुमार की राजनीति के लिए यह खतरा है.
Chirag Paswan

चिराग पासवान

NDA Seat Sharing: बिहार की सियासी चौपाल पर एक युवा योद्धा खड़ा है. हाथ में पिता की विरासत का झंडा, आंखों में ‘बिहार फर्स्ट’ का जज्बा, और सीने में 2024 लोकसभा की पांच-पांच सीटों की चमक. ये हैं चिराग पासवान, वो नाम जो NDA के महासंग्राम में आग उगल रहा है. लेकिन सवाल ये कि आखिर चिराग बीजेपी का ‘ऑफर’ क्यों ठुकरा रहे हैं? और क्या ये ‘चिंगारी’ नीतीश कुमार की पार्टी JDU को भस्म कर देगी? चलिए, बिहार NDA में सीट शेयरिंग को लेकर कहां पेंच फंसा है…विस्तार से जानते हैं.

पुरानी दुश्मनी का नया अध्याय!

बात 2020 की है, जब चिराग ने नीतीश कुमार की कुर्सी हिला दी थी. पिता रामविलास पासवान की मौत के बाद चिराग ने NDA से किनारा कर लिया. बीजेपी से ‘गुप्त डील’ की. बिहार में जहां-जहां बीजेपी के नेता चुनाव लड़ रहे थे, वहां चिराग ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे. लेकिन, LJP ने 134 सीटों पर ‘खेला’ कर दिया, ज्यादातर नीतीश के गढ़ों में. वोट बंटे, JDU की सीटें 71 से लुढ़ककर 43 पर सिमट गईं. तेजस्वी यादव जैसे विपक्षी खिलाड़ी चहक उठे. नीतीश ने चिराग को ‘पागल’ तक कह डाला.

लेकिन 2023 में चिराग NDA की गोद में लौट आए. अब ये पुरानी जलन नई आग बन रही है. चिराग कहते हैं, “मैं दबने वाला नहीं, बिहार को नई उड़ान दूंगा.”

2024 में चिराग का ‘परफेक्ट स्कोर’

फिर आया 2024 में लोकसभा चुनाव. चिराग की LJP(RV) ने पांच लोकसभा सीटों पर 100% स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी की. वैशाली से हाजीपुर तक, हर जगह दलित-ईबीसी-मुस्लिम वोटों का तूफान देखा गया. चिराग की पार्टी को 6.47% वोट शेयर मिले. मतलब NDA की बिहार में जीत के पीछे चिराग का बड़ा हाथ था. अब चिराग कह रहे हैं, “ये सफलता मुफ्त की नहीं, विधानसभा में ‘कम्पेंसेशन’ दीजिए. ” अब चिराग एनडीए से बिहार में 40-50 सीटों की मांग कर रहे हैं. इधर-उधर जाने का इशारा भी कर रहे हैं.

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चिराग की डिमांड क्या है?

40-50 ‘जीतने लायक’ सीटें, वो भी अपनी पसंदीदा , गोविंदगंज, ब्रह्मपुर, हायसी जैसी. हर लोकसभा सीट पर कम से कम दो विधानसभा वाली. ऊपर से, पार्टी के ‘प्रांतीय दल’ का दर्जा बचाने के लिए 8+ जीत जरूरी. चिराग का मंत्र है ‘क्वालिटी ओवर क्वांटिटी’. बस वो सीटें जहां हमारा झंडा फहराए.

NDA का ‘सिरदर्द’

NDA की कुल 243 सीटों में बीजेपी-नीतीश मिलकर 200+ लेना चाहते हैं. चिराग को बस 20-25 देने की योजना है. वहीं जीतन राम मांझी को 7-8, उपेंद्र कुशवाहा को 6. चिराग ने 8 अक्तूबर को ट्वीट किया, “हर कदम पर लड़ना सीखो”. धर्मेंद्र प्रधान से पटना मीटिंग टाल दी, दिल्ली भागे. आज 9 अक्टूबर को इमरजेंसी पार्टी मीटिंग बुलाई. अरुण भारती को चुनाव प्रभारी बनाया. चिराग ने कहा, “चर्चा सही दिशा में है, लेकिन बिहार पहले.”

सूत्र कहते हैं, नीतीश चुपके से दबाव बना रहे हैं, क्योंकि 2020 का घाव ताजा है. अगर चिराग बगावत करें, तो दलित वोट 5-6% पासवान समुदाय JDU के घाव को कुरेद देंगे. यानी, अगर चिराग पासवान, इस बार बगावत करेंगे तो निश्चित ही नीतीश कुमार की राजनीति के लिए यह खतरा है. 2020 में चिराग ने नीतीश को एनडीए में ‘बड़े भाई’ से ‘छोटा भाई’ बना दिया था. लेकिन फिर भी बीजेपी ने नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री चुना. अगर इस बार चिराग पासवान ‘मोदी के हनुमान’ ऐसा कुछ करते हैं तो जेडीयू कम सीटों पर सिमट सकती है और नीतीश को झटका भी लग सकता है.

विकल्पों की चर्चा

इस बीच, अफवाहों का बाजार गर्म है कि अगर डील नहीं बनी, तो चिराग प्रशांत किशोर की जन सुराज से टाई-अप कर सकते हैं. लेकिन चिराग ने NDA के साथ रहने का संकेत दिया है. हालांकि, प्राशांत ने स्पष्ट किया है कि हमारा गठबंधन जनता से है, किसी पार्टी से नहीं. सूत्रों के मुताबिक, चिराग ने 25 सीटों की लिस्ट बीजेपी को सौंप दी है, लेकिन इसमें बीजेपी-जेडीयू की सीटिंग सीटें शामिल हैं. यह नया पेच है. सूत्र बताते हैं, 9-10 अक्टूबर तक फाइनल डील हो सकती है, क्योंकि नामांकन 10 अक्टूबर से शुरू होने वाली है.

अगर चिराग अलग हुए, तो बीजेपी को दलित वोटों में सेंध लग सकती है. विपक्ष (आरजेडी-कांग्रेस) इसे ‘एनडीए में फूट’ के रूप में भुनाएगा. चिराग अकेले लड़ने से बचना चाहते हैं, लेकिन ‘लड़ाई’ का संकेत देकर ज्यादा सीटें हासिल करने की कोशिश में हैं.

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