बारिश का इंतजार, किसान बेहाल…हर साल बाढ़ की मार झेलने वाले बिहार में सुखाड़, बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं लोग!

राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी 'नल जल योजना' भी कई जिलों में इस सूखे के आगे बेबस दिख रही है. भूजल स्तर में भारी गिरावट के कारण कई जगहों पर नलों में पानी नहीं आ रहा है, जिससे घर-घर पानी पहुंचाने का वादा अधूरा रह गया है.

Bihar Water Crisis: आमतौर पर जुलाई का महीना बिहार में भारी बारिश और बाढ़ की खबरों के लिए जाना जाता है, लेकिन इस बार कहानी कुछ अलग है. साल 2025 में बिहार भीषण सूखे की चपेट में है, और मानसून की बेरुखी ने खेतों को प्यासा और किसानों को बेहाल कर दिया है. आसमान से बरसने वाली बूंदों के इंतजार में आंखें पथरा गई हैं.

आंकड़ों में देखें हाल

मौसम विभाग के ताजा आंकड़ों की मानें, तो जुलाई 2025 तक बिहार में सामान्य से 46% कम बारिश हुई है. सोचिए, आधे से भी कम. और कुछ जिले तो ऐसे हैं, जहां हालात और भी खराब हैं. सहरसा, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मधेपुरा और समस्तीपुर जैसे इलाकों में बारिश की कमी 50% से 90% तक पहुंच गई है. जी हां, 90% तक! ऐसा लग रहा है मानो बादलों ने इन इलाकों से रूठना ही तय कर लिया है. केवल कटिहार, अररिया, मधेपुरा, भागलपुर और पूर्णिया जैसे कुछ ही जिले हैं, जहां थोड़ी-बहुत राहत मिली है.

खेत सूखे, फसलें मुरझाईं

बारिश की इस मार का सबसे बड़ा खामियाजा भुगत रहे हैं हमारे किसान भाई. बिहार की पहचान धान की फसल से है, लेकिन पानी की कमी से धान की रोपाई बुरी तरह प्रभावित हुई है. अभी तक केवल 3% ही रोपाई हो पाई है. इससे धान के उत्पादन में 15% तक की भारी कमी आने की आशंका है. जहां धान की पौध लहलहानी चाहिए थी, वहां खेत सूखे पड़े हैं. यह स्थिति किसानों के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है, क्योंकि उनकी पूरी आजीविका खेती पर ही निर्भर करती है.

पानी-पानी के लिए तरसते लोग

सिर्फ खेती ही नहीं, शहरी और ग्रामीण इलाकों में पेयजल का संकट भी गहराता जा रहा है. भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है, और उन जिलों में हालत और भी बदतर है जहां कोई बड़ी बारहमासी नदी नहीं है, जैसे कि शेखपुरा. लोगों को पीने के पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है. ऊपर से कम बारिश के साथ उमस भरी गर्मी ने लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं.

राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी ‘नल जल योजना’ भी कई जिलों में इस सूखे के आगे बेबस दिख रही है. भूजल स्तर में भारी गिरावट के कारण कई जगहों पर नलों में पानी नहीं आ रहा है, जिससे घर-घर पानी पहुंचाने का वादा अधूरा रह गया है. ऐसे में दरभंगा और समस्तीपुर जैसे कुछ इलाकों में, जब सरकारी मदद कम पड़ रही है, तो स्थानीय ग्राम पंचायतें और जागरूक ग्रामीण खुद आगे आ रहे हैं. वे अपने खर्चे पर टैंकरों से घर-घर पानी पहुंचा रहे हैं, ताकि कम से कम पीने के पानी की किल्लत से निपटा जा सके.

क्या बदलेंगे हालात?

हालांकि, इस निराशा भरे माहौल में थोड़ी उम्मीद की किरण भी है. मौसम विभाग ने खुशखबरी दी है कि 24 से 26 जुलाई 2025 के बीच बंगाल की खाड़ी में एक नया निम्न दबाव क्षेत्र बन रहा है. इससे 26 से 31 जुलाई के दौरान बिहार, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में अच्छी बारिश की संभावना है. बिहार के किसान उम्मीद कर रहे हैं कि यह बारिश धान की रोपाई के लिए वरदान साबित होगी और सूखे की मार झेल रहे किसानों के चेहरों पर थोड़ी रौनक लाएगी.

सरकार भी तैयार

बिहार और केंद्र सरकार इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए कमर कस चुकी हैं. सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाने के लिए कोसी और गंडक नहर प्रणालियों का उपयोग किया जा रहा है. सूखा प्रभावित क्षेत्रों में राहत पैकेज के तहत अनाज वितरण और आर्थिक सहायता भी दी जा रही है. इसके साथ ही, जल संरक्षण के लिए वाटरशेड प्रबंधन और भूजल रिचार्ज परियोजनाओं पर भी जोर दिया जा रहा है.

किसानों को सलाह दी जा रही है कि वे कम पानी वाली फसलें जैसे मक्का या दलहन उगाएं और ड्रिप इरिगेशन जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करें, ताकि पानी की हर बूंद का सही उपयोग हो सके. बिहार इस वक्त एक बड़ी चुनौती से जूझ रहा है, लेकिन उम्मीद है कि आने वाली बारिश और सरकारी प्रयासों से हालात सुधरेंगे.

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