ब्राह्मण मंत्री का चुनावी ‘डेब्यू’, सामने 5 बार के पहलवान…इस बार किस करवट लेगी सिवान की सियासत?
सिवान की जंग में दो बड़े नेता
Siwan Assembly Election: बिहार चुनाव के दूसरे चरण में सिवान सीट पर बीजेपी के मंगल पांडेय (Mangal Pandey) और राजद के अवध बिहारी चौधरी (Awadh Bihari Choudhary) के बीच मुकाबला इतना तगड़ा है कि जीत-हार का अंतर चंद सौ वोटों में सिमट सकता है. जातीय समीकरण, हिंदुत्व की लहर, मुस्लिम गोलबंदी और तीसरे मोर्चे की एंट्री, सिवान की सियासी आग में इस बार क्या पकेगा? आइए आसान भाषा में विस्तार से जानते हैं.
दो धुरंधरों की सीधी भिड़ंत
सिवान की चुनावी रणभूमि इस बार दो ऐसे योद्धाओं के बीच सजी है, जिनकी ताकत अलग-अलग है. एक तरफ बीजेपी के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय. पांडेय साहब ब्राह्मण समुदाय से आने वाले कद्दावर नेता हैं. इतना ही नहीं,पहली बार विधानसभा का मैदान मार रहे हैं. दूसरी तरफ राजद के अवध बिहारी चौधरी हैं, सिवान के ‘अजेय पहलवान’, जिन्होंने 40 साल के राजनीतिक करियर में 5 बार विधायक का ताज पहना है.
मंगल पांडेय भले ही सिवान के लिए नए हों, लेकिन बिहार की राजनीति में उनका कद ऊंचा है. विधान परिषद के सदस्य, स्वास्थ्य मंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव. हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और पटना के कुम्हरार में चुनावी प्रभारी रह चुके हैं. सुशील मोदी के लिए कुम्हरार जीतवाना हो या बंगाल में रणनीति बनाना, मंगल पांडेय के पास अनुभव की कोई कमी नहीं.
बीजेपी ने उन्हें सवर्ण वोटों को एकजुट करने और अतिपिछड़ों को जोड़ने के लिए उतारा है. वहीं, अवध बिहारी चौधरी सिवान की सियासत के जीते-जागते इतिहास हैं. 1985 में जनता पार्टी, 1990-1995 में जनता दल और 2000 और 2020 में राजद के टिकट पर जीत. कुल 5 बार के विधायक हैं. 2020 में उन्होंने बीजेपी के ओम प्रकाश यादव को महज 1,973 वोटों से हराकर साबित किया कि सिवान में उनका जादू अभी बाकी है.
सिवान का सियासी सफर
सिवान की राजनीति लंबे समय तक लालू प्रसाद यादव के इर्द-गिर्द घूमती रही. 1985 से 2020 तक अवध बिहारी चौधरी ने लगातार पांच बार जीत दर्ज की. लेकिन 2005 में बीजेपी के व्यास देव प्रसाद ने नया इतिहास रचा. 2005, 2010 और 2015 तीन लगातार जीत. सवर्ण, वैश्य और अतिपिछड़ा वोटों का गठजोड़ बीजेपी का हथियार बना. फिर 2020 में चौधरी की शानदार वापसी हुई. MY मुस्लिम-यादव समीकरण ने बीजेपी को धूल चटाई. अब 2025 में बीजेपी ने फिर सवर्ण कार्ड खेला है. ब्राह्मण उम्मीदवार मंगल पांडेय डेब्यू कर रहे हैं. दिलचस्प बात, सिवान में ब्राह्मण पहले भी जीत चुके हैं. 1962 में जनसंघ के जनार्दन तिवारी ने पहली बार परचम लहराया. 1969, 1972 और 1980 में भी उन्होंने जीत हासिल की. क्या मंगल पांडेय उसी परंपरा को दोहराएंगे?
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जातियों का जादुई गणित
सिवान में वोटों का खेल जातीय समीकरण पर टिका है. इस सीट पर वोटरों की संख्या लगभग 3.2 लाख है. इसमें मुस्लिम और यादवों की संख्या करीब 80 हजार हैं. वहीं, सवर्ण 25,000 के आसपास, वैश्य 70,000, कोयरी-कुर्मी 40,000 और नोनिया + अन्य EBC 30,000 के करीब हैं.
बीजेपी ने सोशल इंजीनियरिंग का पूरा खेल खेला है. पार्टी ने विद्रोहियों को मनाकर एकजुटता दिखाई. पूर्व विधायक व्यास देव प्रसाद के बेटे अजय कुमार चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन अब मंगल पांडेय के साथ प्रचार कर रहे हैं. एमएलसी मनोज सिंह भी शुरू में नाराज थे, लेकिन अब पूरी ताकत से बीजेपी के लिए वोट मांग रहे हैं.
योगी की एंट्री
सिवान में योगी आदित्यनाथ की दो सभाओं ने माहौल गरमा दिया. योगी ने कहा, “एनडीए सत्ता में आएगा तो बिहार से माफिया का सफाया होगा, जैसे यूपी में हुआ. दंगा करोगे तो जहन्नुम में जाओगे. राजद ने राम रथ यात्रा में आडवाणी को गिरफ्तार कराया था, ये भारत की संस्कृति का अपमान है.” इसका असर भी हो सकता है. दरअसल, योगी की वजह से हिंदू वोटों में एकता बढ़ सकती है. सवर्ण, वैश्य और EBC और मजबूत होकर बीजेपी के साथ आ सकते हैं. हालांकि, मुस्लिम वोट और गोलबंद होकर राजद की ओर खिसक सकता है.
राजद के लिए खतरे की घंटी तीसरा मोर्चा
चुनाव में असली खेल बिगाड़ सकते हैं दो मुस्लिम उम्मीदवार. दरअसल, AIMIM के शमशीर आलम और जन सुराज के इंतिखाब अहमद भी सिवान सीट पर दम भर रहे हैं. दोनों अगर 10-15 हजार वोट भी काट लेते हैं, तो नुकसान सीधे राजद का और फायदा बीजेपी को . 2020 में भी छोटे उम्मीदवारों ने वोट काटे थे, जिससे अंतर कम हुआ था.
प्रचार, पैसे और पसीना
मंगल पांडेय खूब प्रचार कर रहे हैं. डोर-टू-डोर कैंपेन, वैश्य बाजारों में रैलियां, सवर्ण बस्तियों में चौपाल. योगी, नित्यानंद राय, सम्राट चौधरी जैसे स्टार प्रचारक मैदान में हैं. वहीं, अवध बिहारी की ओर से तेजस्वी की सभाएं, मुस्लिम बहुल इलाकों में जनसंपर्क, यादव गांवों में रात-दिन मीटिंग चल रही है. सिवान की सियासी हवा किस करवट बैठेगी? क्या ब्राह्मण मंत्री नया इतिहास रचेंगे या पहलवान छठी बार ताज पहनेंगे? कुछ दिनों तक और इंतजार करना होगा.