उमर खालिद, शरजील इमाम की उम्मीदों पर फिरा पानी, दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका

लंबी सुनवाई और तमाम दलीलों के बाद हाई कोर्ट ने 9 जुलाई 2025 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. आखिरकार, कोर्ट ने उमर खालिद, शरजील इमाम, खालिद सैफी, अथर खान, मोहम्मद सलीम खान, शिफा-उर-रहमान, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा, शादाब अहमद समेत अन्य की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं.
Delhi Riots

उमर खालिद, शरजील इमाम

Delhi Riots: साल 2020 में दिल्ली को हिंसा की आग में झोंकने की कोशिश की गई थी. अब दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले की तथाकथित ‘बड़ी साजिश’ से जुड़े एक हाई-प्रोफाइल केस में बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने उमर खालिद, शरजील इमाम, खालिद सैफी और सात अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया है. जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शालिंदर कौर की बेंच ने यह फैसला सुनाया, जिसने एक बार फिर इस केस को सुर्खियों में ला दिया.

क्या है पूरा मामला?

2020 में दिल्ली में हुए दंगे ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. इस हिंसा में 53 लोगों की जान गई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इस मामले में एक FIR (59/2020) दर्ज की, जिसमें दावा किया गया कि इसे साजिश के तहत अंजाम दिया गया था. इस साजिश के तहत देश में अशांति फैलाने और धार्मिक आधार पर समाज को बांटने की कोशिश की गई थी. इस केस में कुल 18 लोग आरोपी बनाए गए, जिनमें उमर खालिद (पूर्व JNU छात्र), शरजील इमाम , खालिद सैफी, ताहिर हुसैन, गुलफिशा फातिमा, मीरान हैदर, शिफा-उर-रहमान जैसे नाम शामिल हैं. इनमें से कुछ को जनवरी 2020 से लेकर सितंबर 2020 के बीच गिरफ्तार किया गया.

कोर्ट में क्या-क्या हुआ?

हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें रखीं. उमर खालिद के वकील, सीनियर एडवोकेट त्रिदीप पैस ने कहा कि उनके मुवक्किल का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. उन्होंने दावा किया कि सिर्फ वॉट्सऐप ग्रुप में होना या किसी मीटिंग में शामिल होना अपराध नहीं है. पैस ने कहा, “उमर ने न तो कोई भड़काऊ मैसेज भेजा, न ही कोई आपत्तिजनक सामग्री उनके पास मिली. जिसे ‘गुप्त मीटिंग’ कहा जा रहा है, वह असल में एक सार्वजनिक सभा थी.”

वहीं, खालिद सैफी की ओर से सीनियर एडवोकेट रेबेका जॉन ने तर्क दिया कि क्या कुछ साधारण मैसेज के आधार पर किसी को यूएपीए जैसे सख्त कानून के तहत जेल में रखा जा सकता है? दूसरी ओर, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अभियोजन पक्ष की ओर से दावा किया कि यह हिंसा एक सुनियोजित साजिश थी, जिसका मकसद देश को बदनाम करना और समाज में तनाव पैदा करना था.

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हाई कोर्ट का फैसला

लंबी सुनवाई और तमाम दलीलों के बाद हाई कोर्ट ने 9 जुलाई 2025 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. आखिरकार, कोर्ट ने उमर खालिद, शरजील इमाम, खालिद सैफी, अथर खान, मोहम्मद सलीम खान, शिफा-उर-रहमान, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा, शादाब अहमद समेत अन्य की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं. कोर्ट का मानना है कि अभियोजन पक्ष के पास पर्याप्त सबूत हैं

दिल्ली दंगे 2020 का यह केस कई कारणों से चर्चा में रहा है. पहला, इसमें शामिल कई आरोपी छात्र कार्यकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जिनके समर्थक इसे ‘राजनीतिक साजिश’ करार देते हैं. दूसरा, इस केस में यूएपीए जैसे सख्त कानून का इस्तेमाल हुआ है, जिसके तहत जमानत मिलना बेहद मुश्किल होता है. तीसरा, यह मामला देश में अभिव्यक्ति की आजादी और नागरिक अधिकारों पर बहस को और गर्म करता है.

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