पत्थर, पुलिस और सियासत…कौन है गगन यादव, जिसके बुलावे पर इटावा में उमड़ी भीड़?
गगन यादव के खिलाफ FIR दर्ज
Etawah Violence: इटावा का दांदरपुर गांव, जहां आमतौर पर खेतों की हरियाली और गांव की शांति की बात होती है, वह अचानक सुर्खियों में आ गया. कथावाचक के साथ बदसलूकी की घटना ने ऐसा बवाल मचाया कि सड़कों पर पत्थर बरसने लगे, गाड़ियां तोड़ी गईं और पुलिस को हवा में गोलियां चलानी पड़ीं. इस पूरे ड्रामे का केंद्र बिंदु है गगन यादव, एक युवा नेता, जिसके एक सोशल मीडिया पोस्ट ने हजारों लोगों को सड़कों पर उतार दिया. तो आइए, इस कहानी को शुरू से समझते हैं और जानते हैं कि आखिर माजरा क्या है.
‘कथावाचक कांड’ से शुरुआत
बात शुरू होती है दांदरपुर गांव से, जहां कथावाचक मुकुट मणि यादव और उनके साथी संत यादव के साथ कथित तौर पर बदसलूकी हुई. यह घटना यादव और ब्राह्मण समुदायों के बीच तनाव का कारण बन गई. गांव में दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए और बात इतनी बढ़ी कि पुलिस को बीच में आना पड़ा. पुलिस ने दोनों पक्षों के खिलाफ FIR दर्ज की, लेकिन मामला यहीं ठंडा नहीं हुआ. गांव से लेकर सोशल मीडिया तक पर इसकी चर्चा जोर-शोर से होने लगी.
हालांकि, इस बीच पुलिस ने बवाल के बाद गगन यादव समेत कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. पुलिस ने गांव में हुए बवाल के मामले में 19 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया और 13 गाड़ियां सीज कीं.
कौन है गगन यादव?
अब बात करते हैं गगन यादव की. गगन ‘इंडियन रिफॉर्मर्स ऑर्गनाइजेशन’ के फाउंडर और प्रेसिडेंट है, जिसे लोग ‘अहीर रेजिमेंट’ के नाम से भी जानते हैं. यह संगठन भारतीय सेना में ‘अहीर रेजिमेंट’ की मांग करता है. गगन खुद को समाजवादी विचारधारा वाला युवा नेता बताता है और उसके फेसबुक बायो में भी यही जज्बा झलकता है. लेकिन इस घटना के बाद सियासत ने रंग बदल लिया. समाजवादी पार्टी (SP) उन्हें बीजेपी का एजेंट बता रही है, तो बीजेपी उन्हें अखिलेश यादव का खासमखास करार दे रही है. कुल मिलाकर, गगन यादव इस समय हर तरफ चर्चा का विषय बना हुआ है.
सोशल मीडिया का ऐलान और बवाल
गगन यादव ने इस कथावाचक विवाद को देखते हुए सोशल मीडिया पर एक ऐलान किया. उसने लिखा, “संत सिंह यादव के सम्मान में, आ रहे हैं मैदान में… तारीख 26 जून, 2025. दिन- गुरुवार. समय- 11 बजे. थाना बकेवर, जिला इटावा.” बस, इस एक पोस्ट ने हंगामा मचा दिया. गगन के समर्थकों और यादव समाज के लोग बड़ी तादाद में दांदरपुर गांव पहुंच गए. लेकिन जब पुलिस ने उन्हें गांव में घुसने से रोका, तो मामला बिगड़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू कर दी, गाड़ियां तोड़ दीं और हालात इतने बेकाबू हो गए कि पुलिस को हवाई फायरिंग करनी पड़ी.
मजे की बात ये कि गगन यादव खुद इस बवाल में शामिल नहीं हो पाया. दरअसल, पुलिस ने उन्हें आगरा में ही रोक लिया था. आगरा में गगन ने कहा, “मैं शांति के लिए इटावा जा रहा था. कथावाचकों के साथ जो हुआ, वो गलत था. मेरा मकसद दो समुदायों के बीच सुलह कराना था. लेकिन प्रशासन ने मुझे आगरा में रोक लिया और हाउस अरेस्ट कर दिया.”
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“मैं फौजी का बेटा हूं”
गगन यादव ने कहा कि मैं हिंसा नहीं, शांति चाहता हूं. उसने बताया कि प्रशासन ने उनसे कहा कि उनके इटावा पहुंचने से माहौल और बिगड़ सकता है. गगन ने कहा, “मैं फौजी का बेटा हूं. मैंने बचपन से वर्दी की इज्जत की है. प्रशासन ने हमें आश्वासन दिया है कि मामला शांत होने पर सीनियर अधिकारियों से मुलाकात कराई जाएगी. इसलिए मैंने वापस लौटने का फैसला किया.” गगन ने ये भी कहा कि वो दोबारा इटावा के कप्तान से मिलने आएंगे ताकि इस विवाद को पूरी तरह खत्म किया जा सके.
सियासत का खेल
इस कांड ने न सिर्फ सामाजिक तनाव बढ़ाया, बल्कि सियासी रंग भी चढ़ गया. समाजवादी पार्टी और बीजेपी एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने में जुट गए. SP का कहना है कि गगन बीजेपी के इशारे पर काम कर रहे हैं, जबकि बीजेपी उन्हें SP का समर्थक बता रही है. इस बीच, पुलिस और प्रशासन के लिए ये मामला सिरदर्द बना हुआ है. दोनों समुदायों के बीच तनाव कम करने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन सियासी बयानबाजी ने माहौल को और गर्म कर दिया है.
क्या है पूरा मसला?
अब सवाल ये कि आखिर ये विवाद इतना क्यों बढ़ गया? दांदरपुर में कथावाचक मुकुट मणि यादव और संत यादव के साथ हुई बदसलूकी की घटना ने यादव और ब्राह्मण समुदायों को आमने-सामने ला दिया. कुछ लोगों का कहना है कि ये सिर्फ सामाजिक विवाद नहीं, बल्कि जातिगत तनाव का भी मसला है.
इस बीच, गगन यादव जैसे नेताओं के ऐलान और सोशल मीडिया की ताकत ने इस आग में घी डालने का काम किया. हालांकि, गगन का दावा है कि वो सिर्फ शांति और सुलह के लिए मैदान में उतरे थे. फिलहाल, दांदरपुर में हालात काबू में हैं, लेकिन तनाव पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. पुलिस ने सख्ती बरती है और दोनों पक्षों पर नजर रख रही है.