अलविदा डॉ. मनमोहन सिंह…राष्ट्र निर्माण के ‘महानायक’ को श्रद्धांजलि

आज जब हम विदेशों में उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों का उपयोग करते हैं, मंहगे मॉल्स में शॉपिंग करते हैं, और नई तकनीकों का फायदा उठाते हैं, तो यह सब डॉ. मनमोहन सिंह की नीतियों का परिणाम है.
Manmohan Singh

मनमोहन सिंह

Manmohan Singh: अगर आपने 80 और 90 के दशक में भारत में बचपन बिताया है, तो आप भी उस दौर के भारत को याद करेंगे, जब टेलीफोन और टेलीविजन जैसी बुनियादी चीजें भी किसी लक्जरी से कम नहीं मानी जाती थीं. तब सरकारी दफ्तरों में लंबी लाइनें लगती थीं, और बिना किसी ‘एजेंट’ के काम नहीं चलता था. लेकिन 1991 में कुछ ऐसा हुआ, जिसने भारत के हर एक नागरिक की ज़िंदगी बदल दी. यह बदलाव लाए थे डॉ. मनमोहन सिंह, जिन्होंने भारतीय आर्थिक नीतियों में ऐतिहासिक सुधार किए और भारत को एक नए युग में प्रवेश कराया. आज मनमोहन सिंह पचतत्व में विलीन हो गए हैं. उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई.

भारत में लाइसेंस राज और भ्रष्टाचार का दौर

90 के दशक की शुरुआत में भारत में एक कठिन समय था. लोगों को रोज़मर्रा की बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ता था. टेलीफोन लगाने के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता था और जब कनेक्शन मिल भी जाता, तो वो कई बार ‘डेड’ हो जाता था. फिर उसे ठीक करने के लिए भी महीनों इंतजार करना पड़ता. इसी तरह टीवी खरीदने की प्रक्रिया भी बहुत जटिल थी. सरकारी दफ्तरों में काम करवाने के लिए ‘एजेंट्स’ का सहारा लेना पड़ता था, जो ‘कनेक्शन’ के बदले मोटी रकम लेते थे. यह सिस्टम भ्रष्टाचार और घोटालों से भरा हुआ था.

1991 में आया बड़ा बदलाव

1991 में जब भारत आर्थिक संकट से जूझ रहा था, तो डॉ. मनमोहन सिंह ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया. उन्हें भारतीय वित्त मंत्री बनाया गया, और उनके नेतृत्व में भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाव किए. उनका ‘लिबरलाइजेशन-प्राइवेटाइजेशन-ग्लोबलाइजेशन’ (LPG) नीति ने भारत को एक नई दिशा दी. इसने सरकारी नियंत्रण को कम किया और निजी क्षेत्र को बढ़ावा दिया. डॉ. सिंह ने विदेशी निवेश को भारत में लाने के लिए दरवाजे खोले और भारत को वैश्विक व्यापार से जोड़ा.

बदलाव की बयार

डॉ. सिंह के सुधारों ने भारत को एक नया रूप दिया. उन्होंने जो रास्ता दिखाया, उसने भारतीय मिडल क्लास को समृद्ध किया. अब लोगों को सरकारी नौकरियों के अलावा निजी क्षेत्र में भी ढेरों अवसर मिल रहे थे. भारतीय बाजार में ग्लोबल ब्रांड्स आने लगे, और लोग विदेशों में मिलने वाले उत्पादों का आनंद लेने लगे. भारतीय तकनीकी उद्योग, खासकर आईटी क्षेत्र में, जो आज भारत की पहचान बन चुका है, डॉ. सिंह के सुधारों का ही परिणाम था.

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हमारी पीढ़ी की यादें

जब मैं अपने माता-पिता से पुराने दिनों की बात करता हूं, तो मुझे एहसास होता है कि हम दोनों अलग-अलग देशों में बड़े हुए हैं. हमारे माता-पिता के जमाने में टेलीफोन और टीवी जैसे साधारण चीज़ों के लिए लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था, जबकि आज सब कुछ तुरंत उपलब्ध है. 1991 के बाद भारत में किस तरह से अवसरों की बाढ़ आई. निजी कंपनियों ने भारत में कदम रखा, नई नौकरियों के अवसर पैदा हुए और हमारी जीवनशैली पूरी तरह बदल गई. हमारी पीढ़ी ने एक नए भारत को देखा.

डॉ. मनमोहन सिंह की याद

आज जब हम विदेशों में उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों का उपयोग करते हैं, मंहगे मॉल्स में शॉपिंग करते हैं, और नई तकनीकों का फायदा उठाते हैं, तो यह सब डॉ. मनमोहन सिंह की नीतियों का परिणाम है. उनकी दूरदृष्टि और नीतियों ने भारत को एक मजबूत आर्थिक ताकत बना दिया. आज, जब हम अपने स्मार्टफोन पर स्वाइप करते हुए काम पर जाते हैं, तो हमें यह समझ में आता है कि डॉ. सिंह के द्वारा लागू किए गए सुधारों ने हमारे जीवन को कितना आसान और समृद्ध बना दिया.

डॉ. मनमोहन सिंह के योगदान को नकारा नहीं जा सकता. उनकी नीतियों ने भारत को वैश्विक मंच पर खड़ा किया और भारतीयों को एक बेहतर भविष्य का रास्ता दिखाया. वे भारतीय राजनीति के एक ऐसे नेता थे, जिनकी नीतियों ने न सिर्फ देश की आर्थिक स्थिति को बेहतर किया, बल्कि आम आदमी की जिंदगी में भी बदलाव लाए. वे बिना शोर-शराबे के काम करने वाले नेता थे, और उनकी उपस्थिति ने भारत को एक नया और बेहतर दिशा दी. इतिहास में उनका नाम हमेशा सम्मान से लिया जाएगा, और आने वाली पीढ़ियां उन्हें सलाम करेंगी. राष्ट्र निर्माण के महानायक को अंतिम प्रणाम, श्रद्धांजलि…

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