तुर्की को सबक सिखाने की तैयारी में भारत, सरकार खत्म कर सकती है पार्टनरशिप!

भारत और तुर्की के बीच सालों से व्यापार, निर्माण और रणनीतिक रिश्ते चले आ रहे हैं. लेकिन हाल ही में तुर्की ने कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बयानबाजी की और पाकिस्तान को सैन्य ड्रोन समेत दूसरी मदद दी. 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान ये भी खुलासा हुआ कि तुर्की के कुछ ऑपरेटरों ने पाकिस्तान की सैन्य कार्रवाइयों में साथ दिया. बस, यहीं से भारत का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया.
Boycott Turkey

प्रतीकात्मक तस्वीर

Boycott Turkey: भारत ने तुर्की को कड़ा संदेश देने की ठान ली है. कश्मीर मुद्दे पर बार-बार टिप्पणी और पाकिस्तान के साथ बढ़ती नजदीकियों से नाराज भारत अब तुर्की के साथ हर समझौते और व्यापारिक रिश्ते की गहन जांच करने जा रहा है. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत सरकार ने तुर्की की कंपनियों से जुड़े सभी प्रोजेक्ट्स को माइक्रोस्कोप के नीचे लाने का फैसला किया है. आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि आखिर माजरा क्या है और भारत क्यों उठा रहा है ये सख्त कदम.

क्या है पूरा मामला?

भारत और तुर्की के बीच सालों से व्यापार, निर्माण और रणनीतिक रिश्ते चले आ रहे हैं. लेकिन हाल ही में तुर्की ने कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बयानबाजी की और पाकिस्तान को सैन्य ड्रोन समेत दूसरी मदद दी. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान ये भी खुलासा हुआ कि तुर्की के कुछ ऑपरेटरों ने पाकिस्तान की सैन्य कार्रवाइयों में साथ दिया. बस, यहीं से भारत का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. अब भारत ने फैसला किया है कि तुर्की की हर गतिविधि पर नजर रखी जाएगी और जरूरत पड़ी तो सख्त एक्शन लिया जाएगा.

किन-किन क्षेत्रों में होगी जांच?

भारत में तुर्की की कंपनियां कई बड़े क्षेत्रों में काम कर रही हैं. लखनऊ, पुणे और मुंबई जैसे शहरों में मेट्रो प्रोजेक्ट्स में तुर्की की कंपनियां हिस्सेदार हैं. 2020 में अटल टनल का कुछ काम भी तुर्की की कंपनी को दिया गया था. तुर्की की कंपनी सलेबी एविएशन दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे बड़े हवाई अड्डों पर कार्गो हैंडलिंग का काम करती है. वहीं, गुजरात जैसे राज्यों में तुर्की की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं, और आईटी से लेकर शिक्षा और मीडिया में भी समझौते हैं.

2000 से 2024 तक तुर्की ने भारत में 240 मिलियन डॉलर का निवेश किया है. 2023-24 में दोनों देशों के बीच 10.4 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ, जिसमें भारत को फायदा हुआ. अब भारत सरकार इन सभी प्रोजेक्ट्स और समझौतों की बारीकी से जांच कर रही है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हर सौदे का डेटा इकट्ठा किया जा रहा है, चाहे वो पुराना हो या नया.”

क्यों उठाया जा रहा है ये कदम?

तुर्की का बार-बार कश्मीर पर बोलना और पाकिस्तान के साथ उसकी दोस्ती भारत को रास नहीं आ रही. खास तौर पर जब पता चला कि तुर्की के ऑपरेटर पाकिस्तान की सैन्य मदद कर रहे हैं, भारत ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना. इसके अलावा, तुर्की की कंपनियां भारत के संवेदनशील क्षेत्रों जैसे हवाई अड्डों और मेट्रो में काम कर रही हैं, जहां सुरक्षा सबसे अहम है.

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भारत में तुर्की का बहिष्कार शुरू

भारत में तुर्की के खिलाफ गुस्सा सिर्फ सरकारी दफ्तरों तक सीमित नहीं है. आम लोग और संगठन भी इस मुहिम में शामिल हो गए हैं. अखिल भारतीय सिने वर्कर्स एसोसिएशन ने तुर्की में फिल्म शूटिंग और वहां के कलाकारों के साथ किसी भी सहयोग पर पूरी तरह रोक लगा दी है. उदयपुर के मार्बल प्रोसेसर्स एसोसिएशन ने तुर्की से मार्बल आयात बंद कर दिया, जो भारत की 70% जरूरत पूरी करता था. पुणे के फल व्यापारियों ने तुर्की के सेब खरीदने बंद कर दिए और अब हिमाचल, उत्तराखंड और ईरान से सेब मंगा रहे हैं.

तुर्की को क्या होगा नुकसान?

अगर भारत तुर्की के साथ व्यापार और सहयोग पूरी तरह बंद करता है, तो तुर्की की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लग सकता है. भारत तुर्की को खनिज ईंधन, ऑटोमोटिव पार्ट्स, दवाइयां और कपड़े जैसी चीजें बेचता है, जबकि तुर्की से संगमरमर, सोना और सेब आयात करता है. 2023-24 में भारत ने तुर्की को 6.65 बिलियन डॉलर का सामान बेचा, जबकि 3.78 बिलियन का आयात किया.

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