बीमार हो रही भारत की मिट्टी, आने वाले दिनों में खाली हो सकती है अनाज की थाली, इस रिसर्च में बड़ा खुलासा!
प्रतीकात्मक तस्वीर
CSE Soil Report 2025: हरी-भरी खेत जहां गेहूं की बालियां लहराती हैं, अब धीरे-धीरे रेगिस्तान बनते जा रहे हैं. जी हां, भारत में ‘मां’ कही जाने वाली मिट्टी आज गंभीर बीमारी की शिकार है. दिल्ली की मशहूर संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) ने ताजा अध्ययन में खुलासा किया है कि देश की ज्यादातर जमीन में नाइट्रोजन और ऑर्गेनिक कार्बन जैसे दो जरूरी पोषक तत्व खतरनाक स्तर तक कम हो चुके हैं. अगर यही रहा, तो आने वाले दिनों में अनाज की थाली खाली हो सकती है.
मिट्टी का ‘हेल्थ रिपोर्ट कार्ड’
CSE ने 2015 से चल रही सॉइल हेल्थ कार्ड योजना के तहत 2023 से 2025 तक लिए गए 1.3 करोड़ मिट्टी के नमूनों का गहराई से विश्लेषण किया. नतीजे चौंकाने वाले हैं. 64% खेतों की मिट्टी में नाइट्रोजन की भयंकर कमी है. ये वो ताकत है जो पौधों को हरा-भरा और मजबूत बनाती है. वहीं, 48.5% मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन बेहद कम है. आसान भाषा में समझिए तो यह मिट्टी की ‘आत्मा’ है, जो पानी सोखती है, हवा पास करती है और फसल को पोषण पहुंचाती है.
ये रिपोर्ट राजस्थान के निमली में आयोजित एक बड़े सम्मेलन में पेश की गई, जहां थीम थी ‘जलवायु संकट में टिकाऊ खाद्य व्यवस्था’. वैज्ञानिकों का कहना है कि मिट्टी अगर कमजोर हुई तो फसलें कमजोर होंगी और देश की 140 करोड़ आबादी का पेट भरना मुश्किल हो जाएगा.
ज्यादा खाद डाल रहे, लेकिन मिट्टी पी नहीं रही?
किसान भाई सोचते हैं कि बोरी भर रासायनिक उर्वरक (NPK) डाल दो, फसल लहलहाएगी. लेकिन हकीकत उलटी है. रासायनिक खाद पौधे को फटाफट एनर्जी देती है, पर मिट्टी के अंदर छिपे छोटे-छोटे योद्धा, केंचुए, अच्छे बैक्टीरिया और फफूंद को मार डालती है. ये सूक्ष्मजीव ही मिट्टी को जिंदा रखते हैं, उसे भुरभुरा बनाते हैं. जब ये गायब, तो खाद ऊपर से बह जाती है, मिट्टी नीचे से खोखली ही रहती है.
नाइट्रोजन को भी मिट्टी पकड़ नहीं पाती. ऐसे में पैसा और मेहनत दोनों बर्बाद है. ऑर्गेनिक कार्बन मिट्टी को स्पंज की तरह बनाता है. बारिश का पानी रोकता है, सूखे में नमी बचाता है. सबसे बड़ी बात कि ये कार्बन सिंक का काम करता है. स्वस्थ मिट्टी हर साल 6-7 टेराग्राम कार्बन वातावरण से खींचकर जमीन में कैद कर सकती है, जो ग्लोबल वॉर्मिंग से लड़ाई में बड़ा हथियार है. लेकिन कार्बन कम हुआ, तो गर्मी और तेजी से बढ़ेगी.
मिट्टी कोई मशीन नहीं, जिंदा सिस्टम है- सुनीता नारायण
संयुक्त राष्ट्र की FAO भी कहती है कि मिट्टी की सेहत के लिए तीन पहलू है, रासायनिक, भौतिक, जैविक. समाधान तैयार है, बस इसे खेत तक पहुंचाने की जरूरत है. फसल अवशेष को जलाकर नहीं, विशेष भट्टी में गर्म कर बनाएं. ये मिट्टी में पानी-पोषक लॉक करता है, कार्बन स्थिर रखता है.
CSE की डायरेक्टर सुनीता नारायण कहती हैं, “मिट्टी कोई मशीन नहीं, जिंदा सिस्टम है. इसे दवा दो, जहर नहीं.” अगर आज सुधार नहीं किया, तो 2050 तक भारत की 30% जमीन बंजर हो सकती है. सरकार, वैज्ञानिक और किसान तीनों को मिलकर ‘मिट्टी क्रांति’ लानी होगी.