फ्री वाई-फाई, डिजिटल डिस्प्ले और कोच इंडिकेशन सिस्टम…रेलवे का नया चेहरा ‘अमृत भारत स्टेशन’, जानिए पुराने से कितना अलग?
अमृत भारत स्टेशन
Amrit Bharat Station: देश की जीवनरेखा मानी जाने वाली भारतीय रेलवे अब एक नए युग की ओर बढ़ रही है. सरकार की अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत रेलवे स्टेशनों को न केवल आधुनिक बनाया जा रहा है, बल्कि उन्हें विश्व स्तरीय सुविधाओं और स्थानीय संस्कृति का संगम बनाया जा रहा है. लेकिन ये अमृत भारत स्टेशन आम रेलवे स्टेशनों से कितने अलग हैं? आइए, सबकुछ आसान भाषा में समझते हैं.
आम स्टेशन और अमृत भारत स्टेशन में क्या है अंतर?
पहले के आम रेलवे स्टेशन और अमृत भारत स्टेशनों में जमीन-आसमान का अंतर है. पुराने स्टेशनों पर अक्सर टूटी-फूटी बेंच, गंदे शौचालय, भीड़भाड़ और सुविधाओं की कमी यात्रियों को परेशान करती थी. लेकिन अमृत भारत स्टेशन इस तस्वीर को पूरी तरह बदल रहे हैं. ये स्टेशन न सिर्फ आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं, बल्कि स्थानीय संस्कृति और पर्यावरण को भी ध्यान में रखकर बनाए जा रहे हैं.
पुराने स्टेशन vs अमृत भारत स्टेशन

अमृत भारत स्टेशन की खासियतें
अमृत भारत स्टेशन यात्रियों को हवाई अड्डों जैसा अनुभव देने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं. विशाल प्रतीक्षालय, मुफ्त वाई-फाई, लिफ्ट और एस्केलेटर जैसी सुविधाएं यात्रियों का सफर आरामदायक बनाती हैं. उदाहरण के लिए, गुजरात के मोरबी स्टेशन पर नया प्रवेश द्वार, आधुनिक शौचालय और विशाल कॉन्कोर्स बनाया गया है.
स्थानीय संस्कृति का रंग
हर स्टेशन को उस क्षेत्र की संस्कृति और विरासत से जोड़ा जा रहा है. जैसे, जयपुर स्टेशन में हवा महल और आमेर किले की झलक दिखती है, तो मोरबी स्टेशन में गुजरात की कला और वास्तुकला का मिश्रण है. दीवारों पर स्थानीय कला और मूर्तियां स्टेशन को एक अनोखी पहचान देती हैं.
दिव्यांगजनों के लिए खास ध्यान
सुगम्य भारत अभियान के तहत इन स्टेशनों पर रैंप, ब्रेल साइन और कम ऊंचाई वाले टिकट काउंटर बनाए गए हैं, ताकि दिव्यांगजन आसानी से यात्रा कर सकें. उदाहरण के लिए, राजस्थान के बूंदी स्टेशन पर दिव्यांगजनों के लिए सुगम रैंप और अन्य सुविधाएं विकसित की गई हैं.
पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी
अमृत भारत स्टेशन पर्यावरण के अनुकूल बनाए जा रहे हैं. हरित ऊर्जा का उपयोग, सेल्फ-क्लीनिंग नालियां और हरियाली से सजे परिसर इन स्टेशनों की खासियत हैं. स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए स्टेशनों पर कियोस्क बनाए जा रहे हैं, जहां यात्री स्थानीय हस्तशिल्प और उत्पाद खरीद सकते हैं. इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलता है.
आधुनिक तकनीक और कनेक्टिविटी
मुफ्त वाई-फाई, डिजिटल डिस्प्ले और कोच इंडिकेशन सिस्टम यात्रियों को तुरंत जानकारी देते हैं. साथ ही, बस स्टैंड और ऑटो स्टैंड से बेहतर कनेक्टिविटी के लिए चौड़ी सड़कें और पार्किंग की सुविधा दी जा रही है.
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भारत के पुराने स्टेशनों से कितना अलग?
पहले के स्टेशन ज्यादातर बुनियादी सुविधाओं तक सीमित थे. कई स्टेशनों पर शौचालय गंदे होते थे, बैठने की जगह कम पड़ती थी और दिव्यांगजनों या बुजुर्गों के लिए कोई खास व्यवस्था नहीं थी. जानकारी के लिए पुराने बोर्ड और भीड़भाड़ यात्रियों को परेशान करती थी. लेकिन अमृत भारत स्टेशन इन कमियों को दूर करते हैं. मध्य प्रदेश के ओरछा स्टेशन की पुरानी तस्वीरें देखें, तो पहले वहां टूटी दीवारें और सीमित सुविधाएं थीं, लेकिन अब यह आधुनिक सुविधाओं से लैस है.
कितने स्टेशनों का हो रहा है कायाकल्प?
अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत देशभर में 1,337 स्टेशनों को पुनर्विकसित किया जा रहा है. अब तक 508 स्टेशनों पर काम शुरू हो चुका है, और 103 स्टेशनों का उद्घाटन 22 मई 2025 को हुआ. उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 157 स्टेशन इस योजना में शामिल हैं, इसके बाद गुजरात और महाराष्ट्र का नंबर आता है.
अमृत भारत स्टेशन योजना भारतीय रेलवे को नया रूप दे रही है. ये स्टेशन न केवल यात्रियों को विश्व स्तरीय सुविधाएं दे रहे हैं, बल्कि स्थानीय संस्कृति और पर्यावरण को भी बढ़ावा दे रहे हैं. पुराने स्टेशनों की तुलना में ये स्टेशन तकनीक, सौंदर्य, और सुविधाओं के मामले में कहीं आगे हैं. जैसे-जैसे ये स्टेशन बनकर तैयार हो रहे हैं, भारतीय रेलवे का चेहरा बदल रहा है.