जालौर में पंचायत का यू-टर्न, महिलाओं के लिए मोबाइल बैन वाले तुगलकी फरमान पर अब दी सफाई, जानिए क्या कहा

Mobile Ban on Women: समाज के अध्यक्ष सुजनाराम चौधरी का कहना है कि अब महिलाओं के लिए मोबाइल बैन नहीं रहेगा. यह निर्णय समाज के कई लोगों से बातचीत करने के बाद लिया गया है.
Jalore Smartphone Ban Case

जालोर में महिलाओं के लिए मोबाइल बैन के निर्णय को समाज ने लिया वापस.

Jalore Smartphone Ban Case: राजस्थान के जालौर जिले में आंजना चौधरी ने अपने समाज की महिलाओं और बच्चियों के लिए कैमरे वाले स्मार्टफोन पर प्रतिबंध लगाने का फरमान जारी कर दिया था, जब इस प्रस्ताव को लाया गया तो समाज में काफी वाद-विवाद हुआ. समाज में बढ़ते हुए विवाद को लेकर आंजना चौधरी, समाज के अध्यक्ष सुजनाराम चौधरी और वरिष्ठ लोगों ने मिलकर इस फैसले को निरस्त करने का निर्णय लिया. इसकी जानकारी नथाराम चौधरी ने दी है. जानिए क्या था पूरा मामला?

क्या था मामला?

दरअसल, 21 दिसंबर को जालौर के गजीपुर गांव में एक सामाजित बैठक आयोजित की गई,, जिसमें भारी संख्या में लोग जुटे. इस दौरान एक बड़ा ऐलान कर दिया गया. जिसमें कहा गया कि 15 से 25 गांवों की बहू-बेटियों और युवतियों के लिए स्मार्टफोन पर रोक लगाई जाए. इसमें कहा गया कि महिलाएं 26 जनवरी 2026 के बाद से सिर्फ की-बोर्ड फोन ही उपयोग कर सकती हैं. महिलाएं किसी भी शादी, पार्टी और सार्वजनिक स्थानों पर भी स्मार्टफोन नहीं ले जा सकेंगी. हालांकि, इस दौरान पढ़ाई करने वाली छात्राओं के घर पर सीमित उपयोग करने के लिए इजाजत दी गई थी.

क्यों लगाया था प्रतिबंध?

इस प्रस्ताव के पीछे समाज के वरिष्ठ लोगों का मानना था कि महिलाओं के पास स्मार्टफोन रहता है तो छोटे बच्चों में भी मोबाइल की लत लग जाती है. जिसकी वजह से उनकी आंखों पर भी असर पड़ता है. बच्चे गेमिंग ऐप्स, सोशल मीडिया में डूब जाते हैं. इसके बाद सर्वसम्मति के इस फैसले को पास कर दिया. जब इस फैसले की जानकारी लोगों को लगी तो सब हैरान रह गए. हर जगह इसकी चर्चा होने लगी.

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प्रस्ताव को लिया वापस

सोशल मीडिया पर भारी विवाद देखने को मिला. किसी ने इसे महिलाओं की स्वतंत्रता पर हमला बताया तो कुछ ने इसे पिछड़ा कदम बताया. वहीं महिलाओं ने भी कहा कि अगर कोई घर से दूर है तो उससे वीडियो कॉल कैसे करेंगे. विरोध के बाद दुबारा बैठक हुई, जिसमें इस फैसले को निरस्त करने का निर्णय लिया गया. समाज के अध्यक्ष का कहना है कि अब कुछ बैन नहीं रहेगा. यह निर्णय समाज के कई लोगों से बातचीत करने के बाद लिया गया है.

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