जब-जब पर्वतारोहियों ने चढ़ने की ठानी, हर बार मुंह की खाई…जानें कैलाश पर्वत पर क्यों नहीं चढ़ पाता कोई

कुछ समय पहले चीन ने कैलाश पर चढ़ाई के लिए एक खास टीम बनाई थी. लेकिन जैसे ही ये खबर फैली, दुनियाभर के धार्मिक समुदायों ने इसका विरोध शुरू कर दिया. लोगों ने कहा कि ये भगवान शिव के निवास को अपवित्र करने की कोशिश है.
Kailash Mansarovar Yatra

कैलाश पर्वत

Kailash Mansarovar Yatra: कैलाश पर्वत! नाम सुनते ही मन में एक रहस्य और आस्था का ख्याल आता है. ये वो पर्वत है, जो सिर्फ 22,000 फीट ऊंचा है, फिर भी दुनिया का कोई पर्वतारोही इसे फतह नहीं कर पाया. एवरेस्ट जैसी ऊंची चोटियों को इंसान ने छू लिया, लेकिन कैलाश आज भी अभेद्य है. क्यों? क्योंकि ये सिर्फ एक पहाड़ नहीं, बल्कि हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्म में पवित्र माना जाने वाला आध्यात्मिक केंद्र है. आज तक जिसने भी कोशिश की मुंह की ही खाई.

चढ़ाई की कोशिश करने वाले हर बार नाकाम

कई बड़े-बड़े पर्वतारोहियों ने कैलाश पर चढ़ने की ठानी, लेकिन हर बार कुछ न कुछ ऐसा हुआ कि उन्हें वापस लौटना पड़ा. रूसी पर्वतारोही सर्गे सिस्टिकोव ने 2007 में अपनी टीम के साथ कोशिश की. थोड़ा ऊपर गए, लेकिन अचानक सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ और मांसपेशियों में दर्द शुरू हो गया. सर्गे ने कहा, “लगा जैसे पर्वत हमें स्वीकार नहीं कर रहा.”

इसी तरह कर्नल विल्सन ने भी कई बार कोशिश की, लेकिन हर बार मौसम बिगड़ गया. कुछ लोग तो कहते हैं कि यहां समय भी तेजी से गुजरता है, बाल-नाखून अचानक बढ़ने लगते हैं और चेहरों पर थकान-झुर्रियां दिखने लगती हैं. ऐसा लगता है जैसे कैलाश में कोई अनजानी शक्ति है, जो इसे छूने से रोकती है.

क्यों खास है कैलाश?

मान्यताओं के अनुसार, कैलाश को भगवान शिव का निवास माना जाता है. बौद्ध, जैन और सिख धर्म में भी इसकी खास जगह है. हर साल लाखों लोग कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाते हैं, ताकि इस पवित्र जगह के दर्शन कर सकें. इस साल 30 जून से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होने वाली है. ये यात्रा न सिर्फ धार्मिक है, बल्कि प्रकृति और शांति का अनुभव भी देती है.

यह भी पढ़ें: 30 जून से शुरू हो रही है कैलाश मानसरोवर की यात्रा, जानें रजिस्ट्रेशन से रूट तक सबकुछ

चीन की कोशिश

कुछ समय पहले चीन ने कैलाश पर चढ़ाई के लिए एक खास टीम बनाई थी. लेकिन जैसे ही ये खबर फैली, दुनियाभर के धार्मिक समुदायों ने इसका विरोध शुरू कर दिया. लोगों ने कहा कि ये भगवान शिव के निवास को अपवित्र करने की कोशिश है. आखिरकार, चीन को अपनी योजना रद्द करनी पड़ी, और कैलाश को ‘नो-क्लाइंब जोन’ घोषित कर दिया गया.

कैलाश पर्वत सिर्फ एक पहाड़ नहीं, बल्कि आस्था, रहस्य और शक्ति का प्रतीक है. अगर आप भी इस पवित्र यात्रा का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो तैयार हो जाइए. 30 जून 2025 से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू हो रही है.

ज़रूर पढ़ें