वर्दी की आड़ में ‘कुबेर’ बनने की चाहत! महज 10 साल में बना ली 100 करोड़ की संपत्ति, जानिए कौन हैं DSP ऋषिकांत शुक्ला
कानपुर में लंबे समय तक तैनात रहे DSP ऋषिकांत शुक्ला
DSP Rishikant Shukla illegal Property: उत्तर प्रदेश पुलिस की खाकी पर एक बार फिर दाग लगा है. दरअसल, कानपुर में लंबे समय तक तैनात रहे DSP ऋषिकांत शुक्ला (DSP Rishikant Shukla) पर 100 करोड़ रुपये से अधिक की बेनामी संपत्ति बनाने का गंभीर आरोप लगा है. इस मामले ने पूरे पुलिस महकमे में हड़कंप मचा दिया है और आनन-फानन में DSP शुक्ला को निलंबित कर दिया गया है. इतना ही नहीं, अब उनकी पूरी संपत्ति की विजिलेंस जांच शुरू हो गई है. आइए क्या है पूरा मामला विस्तार से बताते हैं.
10 साल में 100 करोड़ की बेनाम संपत्ति
SIT की रिपोर्ट में जो खुलासा हुआ है, वह आंखें खोल देने वाला है. ऋषिकांत शुक्ला ने साल 1998 में उपनिरीक्षक यानी दरोगा के पद पर सेवा शुरू की. बताया जाता है कि 1998 से 2009 के बीच, खासकर कानपुर में तैनाती के दौरान, उन्होंने आय के ज्ञात स्रोतों से कहीं अधिक 100 करोड़ रुपये की दौलत बटोरी.
जांच में सामने आया है कि 12 संपत्तियों की बाजार कीमत करीब 92 करोड़ रुपये आंकी गई है, जबकि उनकी कुल अवैध संपत्ति का अनुमान 200 से 300 करोड़ रुपये तक लगाया जा रहा है. शिकायतकर्ता सौरभ भदौरिया के अनुसार, ऋषिकांत शुक्ला ने एसओजी (SOG) में रहते हुए ठेकेदारी, ज़मीन कब्ज़ाने और बिल्डिंग निर्माण के नाम पर भारी भ्रष्टाचार किया.
बेनामी संपत्तियों का ‘मायाजाल’ और अंडरवर्ल्ड कनेक्शन
DSP ऋषिकांत शुक्ला ने अपनी अवैध कमाई को छिपाने के लिए एक जटिल जाल बुना. उन्होंने संपत्ति अपने परिवार, साझेदारों और करीबियों के नाम पर खड़ी की. रिपोर्ट के मुताबिक, कानपुर के आर्यनगर में 11 दुकानें उनके एक सहयोगी देवेंद्र दुबे के नाम पर दर्ज हैं. इसके अलावा कानपुर, उन्नाव, फतेहपुर, नोएडा, पंजाब और चंडीगढ़ जैसे कई शहरों में बेनामी संपत्तियों और प्लॉटों में निवेश के सबूत मिले हैं.
अपराधी से दोस्ती
उनकी नजदीकी एक कुख्यात अपराधी और लाइजनिंग करने वाले वकील अखिलेश दुबे से सामने आई. यह गिरोह फर्जी मुकदमे, जबरन वसूली और ज़मीन कब्ज़ाने का काम करता था. सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि DSP के बेटे विशाल शुक्ला ने अपराधी अखिलेश दुबे के साथ मिलकर 33 कंपनियां बनाईं. आरोप है कि इन कंपनियों का इस्तेमाल अवैध तरीके से कमाए गए काले धन को सफेद करने के लिए किया जाता था. यानी आने वाले दिनों में ईडी भी इस मामले की जांच कर सकती है.
सस्पेंड नहीं, बर्खास्तगी की मांग
मामले की गंभीरता को देखते हुए शासन ने ऋषिकांत शुक्ला को निलंबित कर दिया है. अब यह पूरा मामला विजिलेंस विभाग को सौंप दिया गया है, जो सभी बेनामी संपत्तियों और 33 कंपनियों की गहराई से जांच करेगा. शिकायतकर्ता ने सरकार से मांग की है कि इतनी बड़ी अवैध संपत्ति अर्जित करने वाले अधिकारी को केवल निलंबित करके नहीं छोड़ा जाना चाहिए, बल्कि सेवा से तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए. अब सबकी निगाहें विजिलेंस जांच पर टिकी हैं, जिसके पूरा होने के बाद ही इस ‘कुबेर’ DSP पर कानूनी तौर पर शिकंजा कसेगा.
कौन हैं DSP ऋषिकांत शुक्ला?
ऋषिकांत शुक्ला उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा (PPS) के अधिकारी हैं, जिनका करियर बेहद चर्चित रहा है. वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद के रहने वाले हैं और 1998 बैच में दरोगा के पद पर पुलिस सेवा में आए. अपनी शुरुआती सेवाकाल में ही, खासकर कानपुर में 10 साल से अधिक समय तक तैनाती के दौरान उनकी पहचान एक ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ के रूप में बनी और उनके नाम 22 से अधिक अपराधियों के एनकाउंटर दर्ज हैं.
वह नौबस्ता, कोहना और काकादेव जैसे कानपुर के कई थानों के थानाध्यक्ष रहे और बाद में डिप्टी एसपी (DSP) के पद पर प्रमोट हुए. वह वर्तमान में मैनपुरी जिले में तैनात थे. हालांकि, उनकी यह तेज-तर्रार छवि उस समय सवालों के घेरे में आ गई, जब उन पर कानपुर के कुख्यात अपराधी अखिलेश दुबे के गिरोह से सांठगांठ करने और अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से कहीं अधिक 100 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित करने के गंभीर आरोप लगे. अब कानून के रखवाले खुद कानूनी जाल में फंसते दिखाई दे रहे हैं.