लेह में हिंसा के बाद सोनम वांगचुक की NGO पर गिरी गाज, FCRA लाइसेंस रद्द, CBI की टीम भी जांच में जुटी

इस पूरे मामले में सियासत भी खूब गरमा रही है. बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस ने लद्दाख की शांति को भंग करने की साजिश रची. दूसरी ओर, शिवसेना सांसद मिलिंद देवड़ा ने दिल्ली से कुछ लोगों पर उंगली उठाई, जो लद्दाख में “नेपाल जैसे हालात” पैदा करना चाहते हैं.
Sonam Wangchuk NGO FCRA license

सरकारी लपेटे में सोनम वांगचुक!

Leh Violence: लेह हिंसा के बाद अब सोनम वांगचुक की NGO पर गाज गिरी है. दरअसल, जाने-माने क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक की NGO का FCRA लाइसेंस सरकार ने रद्द कर दिया. अब उन्हें लेह में हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. लेह में भड़की हिंसा में 4 लोगों की मौत हुई थी.

वहीं, सीबीआई भी सोनम वांगचुक द्वारा स्थापित हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लद्दाख के खिलाफ विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के उल्लंघन के तहत जांच कर रही है. सीबीआई ने बताया कि इस मामले में अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है. यह जांच करीब दो महीने से चल रही है.

लेह में आखिर हुआ क्या?

बात शुरू होती है लद्दाख की लंबे समय से चली आ रही छठी अनुसूची का दर्जा और पूर्ण राज्य का दर्जा की मांग से. लद्दाख के लिए पर्यावरण और शिक्षा के क्षेत्र में बड़े काम कर चुके सोनम वांगचुकृ इस बार आंदोलन की कमान संभाले हुए थे. 10 सितंबर से वो भूख हड़ताल पर थे और उनकी अगुवाई में लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) ने प्रदर्शन शुरू किए. लेकिन 24 सितंबर को ये प्रदर्शन अचानक हिंसक हो गया. पत्थरबाज़ी, आगजनी और पुलिस से झड़प.

हालात इतने बिगड़ गए कि बीजेपी कार्यालय और लेह के CEC ऑफिस पर हमले हो गए. 30 से ज्यादा पुलिसवाले भी घायल हुए. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे “सुनियोजित साजिश” बताया और लेह में कर्फ्यू लगा दिया. सबसे हैरान करने वाली बात? इस हिंसा में सात नेपाली नागरिकों के घायल होने की खबर ने सबके कान खड़े कर दिए. क्या इसमें कोई “बाहरी साजिश” थी?

क्यों रद्द हुआ NGO का लाइसेंस?

सरकार ने सोनम वांगचुक की NGO का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया. वजह? विदेशी फंडिंग नियमों का उल्लंघन और फाइनेंशियल रिपोर्टिंग में गड़बड़ी का आरोप. CBI पिछले दो महीनों से सोनम और उनकी संस्था की फंडिंग की जांच कर रही है. खास तौर पर, उनकी इस साल फरवरी में की गई पाकिस्तान यात्रा ने भी सवाल खड़े किए हैं. लेफ्टिनेंट गवर्नर कविंदर गुप्ता ने तो खुलकर कहा, “हमें पता है पैसा कहां से आ रहा है और कौन-कौन बाहर जा रहा है.” उनका दावा है कि हिंसा के पीछे बाहरी ताकतों का हाथ हो सकता है और कुछ लोग लद्दाख को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं. इतना ही नहीं, बीजेपी ने कांग्रेस पर भी हमला बोला.

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सियासत का तड़का

इस पूरे मामले में सियासत भी खूब गरमा रही है. बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस ने लद्दाख की शांति को भंग करने की साजिश रची. दूसरी ओर, शिवसेना सांसद मिलिंद देवड़ा ने दिल्ली से कुछ लोगों पर उंगली उठाई, जो लद्दाख में “नेपाल जैसे हालात” पैदा करना चाहते हैं. उधर, सोनम वांगचुक ने पहले ही बता दिया था कि उनकी केंद्र सरकार के साथ 6 अक्टूबर को बातचीत तय थी, फिर ये हिंसा क्यों और कैसे भड़की? ये सवाल सबके मन में है.

केंद्र सरकार ने साफ किया कि वो लद्दाख के लोगों की मांगों को संवैधानिक तरीके से पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है. लेकिन साथ ही चेतावनी दी कि देश की शांति भंग करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा.

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