शिंदे के ‘जय गुजरात’ से महाराष्ट्र में संग्राम! उपमुख्यमंत्री को क्यों देनी पड़ी सफाई?
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे
Maharashtra Language Row: महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों ‘नारेबाजी’ और ‘भाषा’ को लेकर जबरदस्त बवाल मचा हुआ है. उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान ‘जय गुजरात’ का नारा लगाने के बाद से विपक्ष के निशाने पर हैं. लेकिन शिंदे ने अब इस पूरे विवाद पर अपनी चुप्पी तोड़ दी है और करारा जवाब देते हुए कहा है कि मराठी हमारी पहचान है और हिंदुत्व हमारी आत्मा.
क्यों मचा ये भाषाई बवाल?
कहानी शुरू होती है पुणे के कोंढवा में, जहां ‘श्री पूना गुजराती बंधु समाज’ द्वारा बनाए गए एक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स ‘जयराज स्पोर्ट्स एंड कन्वेंशन सेंटर’ का उद्घाटन था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे. जब डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने अपना भाषण खत्म किया, तो उन्होंने ‘जय हिंद’, ‘जय महाराष्ट्र’ और ‘जय गुजरात’ के नारे लगा दिए.
बस फिर क्या था, ‘जय गुजरात’ का नारा सुनते ही महाराष्ट्र की सियासत गरमा गई. विपक्ष ने इसे तुरंत मराठी अस्मिता से जोड़ दिया और शिंदे पर हमला बोल दिया.
शिंदे ने क्यों लगाया ‘जय गुजरात’ का नारा?
एकनाथ शिंदे ने अपनी सफाई में बताया कि उनके पुणे में कई कार्यक्रम थे, और इनमें से कुछ में गुजराती समुदाय के लोग बड़ी संख्या में मौजूद थे. शिंदे ने बड़ी सहजता से कहा, “पुणे में हमारे गुजराती भाई-बहन कई दशकों से रह रहे हैं. मराठी और गुजराती लोग हमेशा से मिलकर रहते आए हैं. इसी गुजराती समाज ने मिलकर एक विशाल स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बनाया है. मैंने ‘जय गुजरात’ इसलिए कहा क्योंकि यह उनके इस योगदान और सम्मान के लिए था.”
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भाषा को लेकर महाराष्ट्र का मौजूदा सियासी घमासान
आपको बता दें कि यह ‘जय गुजरात’ का नारा ऐसे समय में आया है जब महाराष्ट्र में भाषा को लेकर पहले से ही सियासी उबाल है. हाल के दिनों में हिंदी भाषा को थोपने के मुद्दे पर महायुति और महाविकास अघाड़ी (MVA) के बीच जोरदार बहस चल रही है. विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा है कि बीजेपी और शिंदे सरकार मराठी भाषा को महत्व नहीं दे रही है. इसी पृष्ठभूमि में शिंदे के ‘जय गुजरात’ के नारे ने आग में घी का काम किया. लेकिन शिंदे ने इस पर भी विपक्ष को जमकर घेरा.
आलोचकों पर शिंदे का पलटवार
शिंदे यहीं नहीं रुके. उन्होंने अपने आलोचकों पर सीधा निशाना साधा और कहा कि उन्हें पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए. उन्होंने कहा, “मराठी हमारी पहचान है, हिंदुत्व हमारी आत्मा है.” उन्होंने आगे कहा कि उनकी सरकार ने मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिलाने के लिए लगातार कोशिशें की हैं और मराठी भाषा के साथ कोई समझौता नहीं होगा.
उन्होंने विपक्ष पर भारतीय संविधान और आरक्षण को लेकर झूठा प्रचार करने का भी आरोप लगाया. शिंदे ने लोकसभा चुनाव के दौरान फैलाई गई ‘संविधान खतरे में है’ और ‘आरक्षण खत्म हो जाएगा’ जैसी अफवाहों का जिक्र किया. उन्होंने तंज कसते हुए पूछा, “लोकसभा चुनाव में पाकिस्तान के झंडे भी नजर आए, तब मराठी प्रेम कहां चला गया था? ऐसे फर्जी मुद्दों के जरिए वे चुनाव नहीं जीत सकते. जनता अब बहुत समझदार है, महायुति को ही जीत मिलेगी.”
कुल मिलाकर, ‘जय गुजरात’ के एक नारे ने महाराष्ट्र की राजनीति में भाषाई घमासान को और हवा दे दी है, लेकिन एकनाथ शिंदे अपनी बात पर अडिग हैं और विपक्ष पर जमकर पलटवार कर रहे हैं. आने वाले समय में देखना होगा कि यह भाषाई और नारेबाज़ी का युद्ध किस मोड़ पर जाकर शांत होता है.