“जो दो-दो बार फेल हुआ, उसे प्रधानमंत्री कैसे बना दिया?”, अब राजीव गांधी पर मणिशंकर अय्यर के बयान से बवाल

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में मणिशंकर अय्यर कहते हुए नजर आ रहे हैं, "जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने, तो मैंने और कई अन्य लोगों ने इस पर सवाल उठाया था. वह एक एयरलाइन पायलट थे, और यूनिवर्सिटी में दो बार फेल हो चुके थे. ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री कैसे बना दिया गया?"
Mani shankar Aiyar

मणिशंकर अय्य़र

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर (Mani Shankar Aiyar) ने एक बार फिर अपने विवादास्पद बयान से राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. इस बार उनका निशाना भाजपा या किसी और पार्टी पर नहीं, बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) पर था. अय्यर ने राजीव गांधी की शैक्षिक योग्यता पर सवाल उठाते हुए एक बयान दिया है.

राजीव गांधी की शैक्षिक योग्यता पर सवाल

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में मणिशंकर अय्यर कहते हुए नजर आ रहे हैं, “जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने, तो मैंने और कई अन्य लोगों ने इस पर सवाल उठाया था. वह एक एयरलाइन पायलट थे, और यूनिवर्सिटी में दो बार फेल हो चुके थे. ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री कैसे बना दिया गया?”

अय्यर ने अपने बयान में यह भी कहा कि राजीव गांधी को कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान असफलता का सामना करना पड़ा था और इसके बाद उन्होंने इंपीरियल कॉलेज लंदन में भी दाखिला लिया, लेकिन वहां भी वह असफल रहे. अय्यर बताते हैं, “कैम्ब्रिज में पास होना इतना आसान था कि अगर कोई फेल हो जाता, तो यह चौंकाने वाली बात होती थी.”

राजीव गांधी की विरासत पर सवाल

मणिशंकर अय्यर ने अपने बयान से कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को चौंका दिया है. जहां भाजपा के नेताओं को इससे एक अवसर मिला राजीव गांधी के खिलाफ तंज कसने का, वहीं कांग्रेस के अंदर भी हलचल मच गई. भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस बयान को सोशल मीडिया शेयर किया है.

हालांकि, कांग्रेस ने अय्यर के बयान को पूरी तरह से खारिज कर दिया है. कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा, “मैं किसी हताश इंसान पर टिप्पणी नहीं करना चाहता. राजीव गांधी को लेकर मणिशंकर अय्यर की टिप्पणियों का कोई अर्थ नहीं है, क्योंकि उन्होंने देश को एक आधुनिक दृष्टिकोण दिया.”

शैक्षिक असफलता और राजनीतिक सफलता

यहां सवाल उठता है कि क्या किसी व्यक्ति की शिक्षा उसके प्रधानमंत्री बनने के रास्ते को निर्धारित करती है? क्या सिर्फ शिक्षा के आधार पर किसी नेता की क्षमता को आंका जा सकता है? राजीव गांधी के मामले में यह सवाल और भी प्रासंगिक हो जाता है, क्योंकि उनकी शिक्षा के बावजूद, उन्होंने देश को नई दिशा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए. उनका कार्यकाल भारतीय राजनीति में तकनीकी और सूचना क्रांति का स्वर्णकाल माना जाता है.

कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने इस बारे में कहा, “अगर हमें राजीव गांधी का विश्लेषण करना है, तो हमें उनके काम का मूल्यांकन करना होगा, न कि उनकी शैक्षिक योग्यता का. प्रधानमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल बेहद महत्वपूर्ण था.” उन्होंने आगे कहा, “भाजपा के नेताओं को तो अपनी शैक्षिक डिग्री दिखाने में भी शर्म आती है. अगर हम राजीव गांधी के बारे में बात करें तो उनका कार्य ही उन्हें महान बनाता है.”

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राजीव गांधी की राजनीति

कांग्रेस नेता अजय सिंह यादव ने कहा, “मणिशंकर अय्यर की पार्टी में अब कोई प्रासंगिकता नहीं है. उनके बयानों को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाना चाहिए.” वहीं कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने कहा, “राजीव गांधी की शैक्षिक योग्यता का सवाल उठाने से पहले हमें यह देखना चाहिए कि उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के बाद किस प्रकार के कार्य किए. उनके नेतृत्व में देश ने बड़े बदलाव देखे. वह महज पांच वर्षों में प्रधानमंत्री रहते हुए जो हासिल कर पाए, वह इतिहास में याद रखा जाएगा.”

कांग्रेस के भीतर मणिशंकर अय्यर के इस बयान को लेकर आलोचनाएं बढ़ रही हैं, लेकिन यह भी सच है कि अय्यर ने राजीव गांधी के समय की राजनीति के बारे में कुछ अहम सवाल उठाए हैं.

इस पूरे विवाद ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या शिक्षा का स्तर ही किसी नेता के नेतृत्व की सफलता की गारंटी होता है? क्या शैक्षिक असफलता किसी को राजनीति में असफल बना सकती है? शायद, राजनीति में केवल शिक्षा नहीं, बल्कि काम, दृष्टिकोण और नेतृत्व क्षमता भी मायने रखती है.

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