पहले पीतल को सोना बताकर लूटा, अब OTP से… मथुरा का ‘मिनी जामताड़ा’ देवसेरस की क्या है कहानी, जहां 70% आबादी बन गई साइबर ठग?

Mathura News: करीब 20 साल पहले, इन गांवों में 'टटलू गिरोह' सक्रिय था. इनके ठगी का तरीका सीधा लेकिन क्रूर था. ये गिरोह भोले-भाले लोगों को पीतल को 'सस्ता सोना' बताकर सौदा तय करते थे. जब शिकार मौके पर आता था, तो उसे रास्ते में बंधक बना लिया जाता था.
Mathura Cyber Crime

मथुरा में पुलिस की रेड

Mathura Cyber Crime: मथुरा की पवित्र भूमि, जहां कण-कण में श्रीकृष्ण बसते हैं, बीते दो दशकों से एक खतरनाक खेल का मैदान बन चुकी है. गोवर्धन के पास देवसेरस,मोडसेरस, मंडौरा और नगला मेव. ये सिर्फ गांव नहीं, बल्कि संगठित साइबर फ्रॉड के एक बड़े नेटवर्क का केंद्र बन चुके हैं. यह गांव अब झारखंड के कुख्यात जामताड़ा की तर्ज पर ‘मिनी जामताड़ा’ के नाम से जाना जाने लगा है.

कैसे बदला ‘टटलू गिरोह’ का तरीका?

करीब 20 साल पहले, इन गांवों में ‘टटलू गिरोह’ सक्रिय था. इनके ठगी का तरीका सीधा लेकिन क्रूर था. ये गिरोह भोले-भाले लोगों को पीतल को ‘सस्ता सोना’ बताकर सौदा तय करते थे. जब शिकार मौके पर आता था, तो उसे रास्ते में बंधक बना लिया जाता था. लूटपाट की जाती थी और अगर ज्यादा पैसे नहीं मिलते थे, तो फिरौती भी मांगी जाती थी. बिल्डर, कारोबारी और बाहरी लोग आसानी से इनके शिकार बन जाते थे. मगर बीते एक दशक में, इस गिरोह ने तकनीक के साथ कदम मिलाए और साइबर ठगी को अपना लिया. बेरोजगारी से जूझते यहां के युवाओं को यह रास्ता जल्द अमीर बनने का शॉर्टकट लगा. अब ये हाई-टेक ठग बन चुके हैं.

OTP से लेकर Facebook हैकिंग तक

डिजिटल युग में पीतल बेचने वाले ये ठग अब आपके बैंक खाते पर नज़र रखते हैं. इनके नए हथकंडे हैं. फेसबुक और इंस्टाग्राम आईडी हैक करके दोस्तों से इमरजेंसी के नाम पर पैसे मांगना. खुद को बैंक या बड़ी कंपनी का कर्मचारी बताकर लोगों को कॉल करना. सबसे बड़ा हथियार है बातों में फंसाकर लोगों से बैंक खाते का OTP (वन टाइम पासवर्ड) या अन्य गोपनीय जानकारी हासिल करना और मिनटों में खाता खाली कर देना. आंकड़ों के अनुसार, अकेले देवसेरस गांव की करीब 70 प्रतिशत आबादी किसी न किसी रूप में इस ठगी के धंधे से जुड़ चुकी है.

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‘मिनी जामताड़ा’ पर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई

इस संगठित अपराध पर लगाम लगाने के लिए गुरुवार को मथुरा पुलिस ने एक बड़ा ऑपरेशन चलाया. यह गांव में अब तक की सबसे बड़ी और गुप्त कार्रवाई थी.चार आईपीएस अधिकारियों की निगरानी में चार सीओ, 26 इंस्पेक्टर और लगभग 400 पुलिस और पीएसी के जवानों को इस मिशन में लगाया गया. पुलिस की गाड़ियां गांव से दूर रोक दी गईं और जवान अंधेरे में खेतों की पगडंडियों से होते हुए अचानक गांव में दाखिल हुए ताकि किसी को भनक न लगे.

पुलिस ने छापेमारी के दौरान 40 लोगों को हिरासत में लिया. हालांकि, गांव की भौगोलिक स्थिति का फायदा उठाकर, करीब 120 आरोपी भागने में सफल रहे. ये अपराधी पड़ोसी राज्य हरियाणा या राजस्थान की सीमा पार कर गए, जो पुलिस के लिए हमेशा एक चुनौती बनी रहती है. पुलिस का मानना है कि देवसेरस गांव ही इस पूरे साइबर ठगी रैकेट का संचालन केंद्र है. यह कार्रवाई इस नेटवर्क को तोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम है.

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