अब 100 नहीं, पूरे 125 दिन काम की गारंटी…MGNREGA में क्या-क्या बदलाव करने जा रही है मोदी सरकार?

MGNREGA New Name Pujya Bapu Gramin Rojgar Yojana: इस योजना को 125 दिन तक ले जाने और नाम बदलने के लिए सरकार को MGNREGA अधिनियम, 2005 में संशोधन करना होगा. वर्तमान में कानून की धारा 3(1) कहती है कि एक वित्तीय वर्ष में हर ग्रामीण परिवार को "सौ दिनों से कम नहीं" काम मिलना चाहिए.
MGNREGA

प्रतीकात्मक तस्वीर

MGNREGA New Name: केंद्र सरकार देश के करोड़ों ग्रामीण परिवारों को बड़ी राहत देने की तैयारी में है. सूत्रों के अनुसार, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) में जल्द ही दो ऐतिहासिक बदलाव किए जा सकते हैं. पहला, ग्रामीण परिवारों के लिए काम की गारंटी को 100 दिन से बढ़ाकर 125 दिन किया जा सकता है. दूसरा, इस लोकप्रिय योजना का नाम बदलकर “पूज्य बापू रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट” किया जा सकता है.

क्यों किया जा रहा है यह बड़ा बदलाव?

भले ही कानून हर परिवार को साल में 100 दिनों के काम की गारंटी देता है, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और है. हालिया आंकड़ों के मुताबिक, 2024-25 में हर परिवार को औसतन सिर्फ़ लगभग 50 दिन का ही काम मिल पाया. पिछले साल, केवल 40.70 लाख परिवारों ने ही 100 दिन का काम पूरा किया. मौजूदा वित्तीय वर्ष में यह संख्या और भी कम होकर सिर्फ़ 6.74 लाख परिवारों तक सिमट गई है.

इन आंकड़ों से साफ़ है कि ग्रामीण क्षेत्रों में मज़दूरी की जरूरतों को पूरा करने के लिए 100 दिन की सीमा कम पड़ रही थी. कई राज्य, जिनमें आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान शामिल हैं, लंबे समय से इस सीमा को बढ़ाने की मांग कर रहे थे. हालांकि, 100 दिन से ज़्यादा काम देने पर ख़र्च राज्यों को ख़ुद उठाना पड़ता था, जिसके कारण ज़्यादातर राज्य ऐसा नहीं करते थे. नए प्रस्ताव से ग्रामीण परिवारों को पूरे साल में 25 दिन का अतिरिक्त सुनिश्चित काम मिलेगा, जिससे उनकी आय और आजीविका में सुधार होगा.

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कानून में करना होगा संशोधन

इस योजना को 125 दिन तक ले जाने और नाम बदलने के लिए सरकार को MGNREGA अधिनियम 2005 में संशोधन करना होगा. वर्तमान में कानून की धारा 3(1) कहती है कि एक वित्तीय वर्ष में हर ग्रामीण परिवार को “सौ दिनों से कम नहीं” काम मिलना चाहिए. लेकिन यह वास्तव में एक ऊपरी सीमा बन गई थी क्योंकि NREGA सॉफ़्टवेयर आमतौर पर 100 दिनों से ज़्यादा काम की एंट्री की अनुमति नहीं देता है. हालांकि, कुछ विशेष प्रावधान पहले से ही मौजूद हैं.

वन अधिकार: वन क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के परिवार 150 दिन के काम के हक़दार होते हैं.

आपदा राहत: सूखा या प्राकृतिक आपदा से प्रभावित क्षेत्रों में 100 दिन के अलावा 50 दिन का अतिरिक्त अकुशल शारीरिक काम दिया जा सकता है.अब, 125 दिनों की यह नई गारंटी, ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था और मज़दूरों के जीवन को एक बड़ी मज़बूती देगी.

एक नज़र योजना के सफ़र पर

2005 में NREGA के रूप में लागू हुई.2009 में UPA सरकार ने इसका नाम बदलकर MGNREGA किया. शुरुआत से लेकर अब तक इस योजना के तहत 4,872.16 करोड़ से अधिक पर्सन-डे का काम सृजित किया गया है और 11.74 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा ख़र्च किए गए हैं. 16वें वित्त आयोग के पुरस्कारों के तहत, यह योजना 1 अप्रैल, 2026 से जारी रहेगी, जिसके लिए यह बड़ा बदलाव एक मज़बूत नींव तैयार कर रहा है.

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