उपजाऊ हो गई है मिथिलांचल की राजनीतिक जमीन, जानिए क्यों केंद्र में आ गए हैं NDA के दो ‘संजय’?

Mithilanchal Politics: मिथिलांचल की राजनीति में फिलहाल NDA के दो प्रमुख नेता 'हॉट टॉकिंग प्वाइंट' बने हुए हैं. दोनों का नाम संजय है और दोनों ही अपने-अपने दल की तरफ से मिथिला की कमान संभाले हुए हैं.
Sanjay Saraogi Sanjay Jha

जेडीयू नेता संजय झा और बीजेपी नेता संजय सरावगी

Bihar Politics: बिहार का मिथिलांचल, जिसे कभी केवल बाढ़ और पलायन की खबरों के लिए जाना जाता था, आज अचानक देश की राजनीति का सबसे हॉट टॉपिक बन गया है. इस क्षेत्र का सियासी पारा इस कदर चढ़ा है कि सत्ताधारी दल NDA हो या विपक्ष का महागठबंधन, सबकी नजरें इसी इलाके पर टिकी हैं. पिछले कुछ सालों में मिथिलांचल राजनीतिक रूप से इतना ‘उपजाऊ’ हो गया है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में इसने सबको चौंका दिया. इस चुनाव में NDA ने यहां लगभग क्लीन स्वीप कर दिया, जबकि महागठबंधन सिर्फ 4 सीटों पर सिमट गया.

NDA की रणनीति का केंद्र बिंदु ‘संजय’ फैक्टर

मिथिलांचल की राजनीति में फिलहाल NDA के दो प्रमुख नेता ‘हॉट टॉकिंग प्वाइंट’ बने हुए हैं. दोनों का नाम संजय है और दोनों ही अपने-अपने दल की तरफ से मिथिला की कमान संभाले हुए हैं.

बिहार बीजेपी के नए कप्तान संजय सरावगी

    भारतीय जनता पार्टी ने इस क्षेत्र को साधने के लिए सबसे बड़ा दांव संजय सरावगी पर लगाया है. ब्राह्मण और मुस्लिम बहुल माने जाने वाले मिथिलांचल में बीजेपी ने उन्हें न केवल पहले मंत्री बनाया, बल्कि अब वे बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने भी मखाना बोर्ड के गठन और मां जानकी के भव्य मंदिर निर्माण की घोषणाओं से मिथिला को खूब महत्व दिया है. इसके अलावा, बीजेपी ने लोक गायिका मैथिली ठाकुर को टिकट देकर युवा और सांस्कृतिक कार्ड भी खेला है.

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    नीतीश के सबसे भरोसेमंद सिपहसालार संजय कुमार झा

    मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मिथिलांचल में अपनी पकड़ मजबूत रखने के लिए जेडीयू के कद्दावर नेता संजय कुमार झा पर पूरा भरोसा जताया है. नीतीश ने उन्हें विधान परिषद सदस्य, मंत्री, राज्यसभा सांसद बनाया और अब वे जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष हैं. संजय झा को दरभंगा एयरपोर्ट शुरू कराने, एम्स का सपना आगे बढ़ाने और मिथिला को बाढ़ से बचाने के प्रयासों का श्रेय दिया जाता है. उनकी चुनावी रणनीति का ही नतीजा था कि दरभंगा ग्रामीण सीट पर 30 साल बाद जेडीयू ने आरजेडी को हराया. संजय झा के राज्यसभा जाने के बाद जेडीयू ने मदन कुमार सहनी को कैबिनेट में जगह देकर दूसरे मजबूत चेहरे को भी आगे बढ़ाया है.

    महागठबंधन भी पीछे नहीं

    चुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन के बावजूद आरजेडी और महागठबंधन भी मिथिलांचल को अपनी प्राथमिकता सूची में रखे हुए हैं. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार इस क्षेत्र के दौरे कर रहे हैं. यहां तक कि राबड़ी देवी ने तो मिथिलांचल को अलग राज्य बनाने जैसी मांग भी उठा दी थी. आरजेडी के पास भी ललित यादव और अब्दुल बारी सिद्दीकी जैसे बड़े स्थानीय चेहरे हैं.

    कांग्रेस के चर्चित नेता मदन मोहन झा हों या वीआईपी के मुकेश सहनी, ये सभी नेता मिथिलांचल में अपनी सियासी जमीन बचाए रखने की कोशिश में जुटे हैं. चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर भी इस क्षेत्र में अपनी पैठ बनाने की जुगत में लगे हुए हैं. निष्कर्ष यह है कि मिथिलांचल अब सिर्फ सांस्कृतिक नहीं, बल्कि बिहार की सबसे बड़ी सियासी प्रयोगशाला बन चुका है, जहां NDA के दो ‘संजय’ मुख्य समीकरण साध रहे हैं.

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