ये कैसा कानून है भाई? रिटायर्ड ब्रिगेडियर जनरल की हत्या के आरोप में 6 साल की मासूम बच्ची गिरफ्तार, क्रूरता की हद पार कर रही है म्यांमार की सेना!

अब सवाल यह उठता है कि आखिर एक 6 साल की मासूम बच्ची इस मामले में कैसे फंस गई? क्या उसने सचमुच इस हत्या में कोई भूमिका निभाई? या फिर यह सैन्य सरकार की सख्ती और मानवाधिकारों के हनन का एक और उदाहरण है? ग्लोबल न्यू लाइट की रिपोर्ट के अनुसार, बच्ची और उसके माता-पिता को बागान शहर में गिरफ्तार किया गया.
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प्रतीकात्मक तस्वीर

Myanmar News: म्यांमार से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिससे हर कोई हैरान है. एक 6 साल की छोटी सी बच्ची को रिटायर्ड ब्रिगेडियर जनरल की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया है. जी हां, आपने सही सुना. सैन्य शासन के तहत म्यांमार में मानवाधिकारों का ऐसा उल्लंघन सामने आया है, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींच लिया है. आइए, क्या है पूरा मामला विस्तार से जानते हैं.

क्या है पूरा मामला?

22 मई 2025 को म्यांमार के सबसे बड़े शहर यांगून में एक सनसनीखेज वारदात हुई. 68 साल के रिटायर्ड ब्रिगेडियर जनरल चो टुन आंग अपने पोते के साथ अपने घर के बाहर टहल रहे थे. तभी अचानक कुछ हमलावरों ने उन पर गोली चला दी. चो टुन आंग की मौके पर ही मौत हो गई. इस हमले की जिम्मेदारी एक आतंकी समूह ‘गोल्डन वैली वॉरियर्स’ ने ली. इस समूह ने फेसबुक पर दावा किया कि चो टुन आंग म्यांमार के नेशनल डिफेंस कॉलेज में आतंकवाद-रोधी और आंतरिक सुरक्षा की ट्रेनिंग दे रहे थे, जिसके चलते वो गृहयुद्ध के दौरान हुए अत्याचारों में शामिल थे.

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती. म्यांमार की सैन्य सरकार ने इस हत्या के सिलसिले में 16 लोगों को गिरफ्तार किया. और चौंकाने वाली बात? इनमें एक 6 साल की बच्ची, लिन लैट श्वे भी शामिल है. यह बच्ची कथित तौर पर मुख्य आरोपी म्यो को की बेटी है. म्यांमार के सरकारी अखबार ग्लोबल न्यू लाइट के मुताबिक, 23 से 29 मई के बीच चार अलग-अलग इलाकों से 13 पुरुषों और 3 महिलाओं को हिरासत में लिया गया. इनमें एक निजी अस्पताल का मालिक भी शामिल है, जिस पर हमलावरों का इलाज करने का आरोप है.

6 साल की बच्ची पर हत्या का इल्जाम?

अब सवाल यह उठता है कि आखिर एक 6 साल की मासूम बच्ची इस मामले में कैसे फंस गई? क्या उसने सचमुच इस हत्या में कोई भूमिका निभाई? या फिर यह सैन्य सरकार की सख्ती और मानवाधिकारों के हनन का एक और उदाहरण है? ग्लोबल न्यू लाइट की रिपोर्ट के अनुसार, बच्ची और उसके माता-पिता को बागान शहर में गिरफ्तार किया गया. लेकिन एक मासूम बच्ची को इस तरह के गंभीर अपराध में शामिल करना दुनिया भर में चर्चा का विषय बन गया है. मानवाधिकार संगठन इसे सैन्य शासन की क्रूरता का सबूत मान रहे हैं.

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म्यांमार में गृहयुद्ध

म्यांमार में यह घटना कोई अकेली नहीं है. फरवरी 2021 में सेना ने आंग सान सू की सत्ता हथिया ली थी. इसके बाद से देश गृहयुद्ध में डूब गया है. सैन्य शासन के खिलाफ कई विद्रोही समूह सक्रिय हैं, जो सैन्य अधिकारियों, सिविल सेवकों और सेना से जुड़े लोगों पर हमले कर रहे हैं. चो टुन आंग की हत्या भी इसी सिलसिले की एक कड़ी मानी जा रही है. गोल्डन वैली वॉरियर्स जैसे समूह सैन्य शासन के खिलाफ अपनी लड़ाई को तेज कर रहे हैं, और इस तरह के हमले अब आम हो गए हैं.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमलावर को भी इस घटना में गोली लगी थी, और उसे एक निजी अस्पताल में इलाज मिला. लेकिन सैन्य सरकार ने न सिर्फ हमलावरों को, बल्कि उनके परिवार वालों और यहां तक कि एक मासूम बच्ची को भी हिरासत में ले लिया.

दुनियाभर में आलोचना

बच्ची की गिरफ्तारी की घटना के बाद म्यांमार की सैन्य सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है. मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि एक बच्ची को इस तरह के मामले में फंसाना न सिर्फ गलत है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का भी उल्लंघन है. म्यांमार पहले से ही गृहयुद्ध, हिंसा और मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए सुर्खियों में रहा है.

यह मामला अभी खत्म नहीं हुआ है. गिरफ्तार किए गए लोगों पर क्या कार्रवाई होगी, यह देखना बाकी है. खासकर, 6 साल की बच्ची के मामले ने म्यांमार की सैन्य सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है. क्या यह सिर्फ सैन्य शासन की सख्ती है, या फिर इसके पीछे कोई और साजिश है? यह सवाल अभी अनसुलझा है.

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