NCERT की नई किताब में महमूद गजनवी का ‘कच्चा चिट्ठा’, 17 बार हमले और सोमनाथ की लूट का पूरा सच विस्तार से पढ़ेंगे बच्चे!
प्रतीकात्मक तस्वीर
NCERT Class 7 History New Book: स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में बड़े बदलावों के बीच NCERT की कक्षा 7 की नई सोशल साइंस की किताब ‘Exploring Societies: India and Beyond’ इन दिनों चर्चा का केंद्र में बनी हुई है. इस बार किताब में मध्यकालीन इतिहास के सबसे चर्चित आक्रमणकारी महमूद गजनवी (Mahmud Ghazni) के इतिहास को पहले से कहीं ज्यादा विस्तार और स्पष्टता के साथ पेश किया गया है.
एक पैराग्राफ से छह पन्नों तक का सफर
पुराने संस्करणों में जहां गजनवी के आक्रमणों को संक्षिप्त में समेटा गया था, वहीं नई किताब में इसके लिए 6 पन्नों का एक विशेष सेक्शन जोड़ा गया है. यह बदलाव दिखाता है कि अब छात्रों को भारतीय इतिहास के उन पन्नों को गहराई से समझने का मौका मिलेगा, जिन्होंने देश की सांस्कृतिक और आर्थिक विरासत को प्रभावित किया.
17 बार हमला और लूट की कहानी
किताब के अनुसार, गजनवी का मुख्य उद्देश्य भारत की अकूत संपत्ति को लूटना था. उसने कुल 17 बार भारत पर आक्रमण किया. हर बार वह भारत के समृद्ध शहरों को अपना निशाना बनाता और यहां से सोना-चांदी, जवाहरात और खजाना लूटकर अपने गृह राज्य ‘गजनी’ वर्तमान में अफगानिस्तान लौट जाता था.
मथुरा, कन्नौज और सोमनाथ पर प्रहार
मथुरा: किताब बताती है कि गजनवी ने मथुरा के भव्य और प्राचीन मंदिरों को नष्ट कर वहां की संपत्ति लूटी.
कन्नौज: यहां भी कई मंदिरों को निशाना बनाया गया और भारी तबाही मचाई गई.
सोमनाथ: सोमनाथ मंदिर पर हुए हमले का वर्णन काफी विस्तार से है. यहां स्थानीय लोगों से उसका जबरदस्त विरोध किया, लेकिन अंततः कई दिनों के युद्ध के बाद उसने मंदिर को तोड़ा और भारी खजाना लेकर फरार हो गया.
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गजनवी की सैन्य रणनीति और चंदेलों की चुनौती
नई पुस्तक में सिर्फ लूट का ही नहीं, बल्कि उस समय के भारतीय राजाओं के प्रतिरोध का भी जिक्र है. चंदेल शासकों ने गजनवी को कड़ी टक्कर दी थी. हालांकि, गजनवी की जीत के पीछे उसकी घुड़सवार सेना की फुर्ती और तेज मार्च की युद्धनीति को जिम्मेदार बताया गया है.
अलबरूनी की आंखों से भारत का दर्द
किताब में फारसी विद्वान अलबरूनी के संस्मरणों का हवाला दिया गया है. अलबरूनी ने लिखा है कि गजनवी के लगातार हमलों ने न केवल भारत की समृद्धि को तोड़ा, बल्कि यहां की वैज्ञानिक परंपराओं और शिक्षा केंद्रों को भी गहरी चोट पहुंचाई. इन आक्रमणों के डर से हिंदू आबादी को तितर-बितर होना पड़ा, जिससे सामाजिक ढांचा भी प्रभावित हुआ.
क्रूर शासक की छवि
इस बार इतिहास की किताब में गजनवी को केवल एक विजेता के तौर पर नहीं, बल्कि एक बेहद क्रूर शासक के रूप में चित्रित किया गया है. किताब स्पष्ट करती है कि वह न केवल गैर-मुस्लिमों हिंदू, बौद्ध, जैन के प्रति कठोर था, बल्कि वह अपने प्रतिद्वंद्वी मुस्लिम संप्रदायों के प्रति भी उतना ही हिंसक था.