छत्तीसगढ़ में ननों को मिली जमानत, केरल में ‘क्रेडिट’ की होड़; रेस में सबसे आगे यह पार्टी?

एक हफ्ते बाद जब ननों को जमानत मिली, तो मानो सभी राजनीतिक दलों में क्रेडिट लेने की होड़ मच गई. बीजेपी की तरफ से केरल बीजेपी के अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने खुद को इस लड़ाई का अगुवा साबित करने की कोशिश की. उन्होंने पार्टी महासचिव अनूप एंटनी को छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री से मिलने भेजा और जमानत मिलने के बाद ननों से भी मुलाकात की.
Kerala Politics

ननों को मिली जमानत

Kerala Politics: हाल ही में छत्तीसगढ़ में हुई एक मामूली-सी गिरफ्तारी ने केरल की राजनीति में ऐसा तूफान ला दिया, जिसकी गूंज दिल्ली तक सुनाई दे रही है. यह कहानी सिर्फ दो ननों की गिरफ्तारी की नहीं, बल्कि राजनीति, धर्म और वोट बैंक के पेचीदा समीकरणों की है.

क्या हुआ था?

कहानी की शुरुआत होती है छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन से. यहां केरल की दो नन,प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस को गिरफ्तार किया गया. उनके साथ एक और व्यक्ति, सुकमान मंडावी भी थे. पुलिस ने यह कार्रवाई एक शिकायत के आधार पर की, जिसमें आरोप लगाया गया था कि ये लोग तीन महिलाओं को जबरन धर्म परिवर्तन कराकर तस्करी के लिए ले जा रहे हैं.

यह आरोप अपने आप में गंभीर था, लेकिन इसमें एक बड़ा मोड़ तब आया जब जिन तीन महिलाओं के लिए यह सब हो रहा था, उनके परिवार वालों ने खुद सामने आकर आरोपों का खंडन किया. उन्होंने कहा कि उनकी बेटियां अपनी मर्ज़ी से ननों के साथ जा रही थीं और धर्म परिवर्तन जैसा कोई मामला नहीं था. इसके बावजूद, पुलिस ने ननों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया, जहां उन्हें एक हफ्ते से ज़्यादा समय तक जेल में रहना पड़ा.

केरल में सियासी उबाल

यह खबर आग की तरह केरल में फैल गई. केरल की राजनीति में ईसाई समुदाय का बेहद प्रभावशाली स्थान है, और कोई भी राजनीतिक दल उन्हें नाराज़ करने का जोखिम नहीं उठा सकता. ऐसे में, इस घटना को लेकर सियासी महाभारत शुरू हो गया. कांग्रेस ने सबसे पहले मोर्चा संभाला. पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया और बीजेपी पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया. छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने भी इस मामले में बीजेपी पर जमकर हमला बोला.

केरल की सीपीएम सरकार ने भी इस मौके को हाथ से जाने नहीं दिया. मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा और इस घटना पर चिंता जाहिर की. राज्य सरकार के मंत्रियों ने इसे बीजेपी की ‘सांप्रदायिक’ सोच का उदाहरण बताया.

बीजेपी सबसे मुश्किल स्थिति में थी. छत्तीसगढ़ में उसकी सरकार होने के कारण उसे लगातार हमले झेलने पड़ रहे थे. पार्टी को डर था कि अगर इस मामले को सही से नहीं संभाला गया, तो केरल में ईसाई समुदाय के साथ उनके रिश्ते खराब हो सकते हैं. बीजेपी लंबे समय से केरल में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है, और यह घटना उनके प्रयासों पर पानी फेर सकती थी.

केरल में क्रेडिट लेने की होड़

एक हफ्ते बाद जब ननों को जमानत मिली, तो मानो सभी राजनीतिक दलों में क्रेडिट लेने की होड़ मच गई. बीजेपी की तरफ से केरल बीजेपी के अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने खुद को इस लड़ाई का अगुवा साबित करने की कोशिश की. उन्होंने पार्टी महासचिव अनूप एंटनी को छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री से मिलने भेजा और जमानत मिलने के बाद ननों से भी मुलाकात की. चंद्रशेखर ने उन सभी लोगों का धन्यवाद किया, जिन्होंने जमानत के लिए प्रयास किए.

सीपीएम और कांग्रेस भी पीछे नहीं!

सीपीएम और कांग्रेस ने भी खुद को पीछे नहीं रहने दिया. उन्होंने कहा कि यह उनके दबाव का नतीजा है. कांग्रेस के नेता वी.डी. सतीशन ने ऐलान किया कि वे तब तक ननों का समर्थन करते रहेंगे, जब तक उनके खिलाफ दर्ज FIR रद्द नहीं हो जाती.

यह सिर्फ दो ननों की गिरफ्तारी का मामला नहीं रही, बल्कि यह बन गई केरल में राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई. हर पार्टी यह साबित करना चाहती थी कि वही ईसाई समुदाय की सबसे बड़ी हितैषी है.

फिलहाल ननों को जमानत मिल चुकी है, लेकिन यह मामला अभी खत्म नहीं हुआ है. राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है. यह घटना दर्शाती है कि कैसे एक छोटी सी गिरफ्तारी भी बड़े राजनीतिक दांव-पेंच का हिस्सा बन सकती है, खासकर जब बात वोट बैंक और धार्मिक भावनाओं की हो.

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