खून से घाटी को रंगने वालों पर चला अमेरिका का चाबुक…लश्कर के प्रॉक्सी संगठन TRF को माना आतंकी संगठन

पहलगाम हमले के बाद भारत चुप नहीं बैठा. उसने तुरंत 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया. इस ऑपरेशन के तहत एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल अमेरिका गया. उनके पास ठोस सबूत थे, जो बताते थे कि कैसे TRF ने पहलगाम में खून बहाया है और कैसे उसे पाकिस्तान की सरकार और लश्कर का पूरा समर्थन हासिल है.
Pahalgam Attack

प्रतीकात्मक तस्वीर

Pahalgam Attack: साल 2025 में अप्रैल की 22 तारीख थी, जब जम्मू-कश्मीर का पहलगाम एक भयानक मंजर का गवाह बना. बैसरन घाटी में अचानक पाकिस्तानी आतंकियों ने कायरता की हद पार कर दी. उन्होंने निहत्थे मासूमों पर गोलियां बरसाईं. इन वहशी आतंकियों ने लोगों से उनका धर्म पूछा और हिंदू पर्यटकों को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया. इस हमले में 26 बेगुनाह लोगों की जान चली गई. यह सिर्फ एक हमला नहीं, एक ऐसी घटना थी जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया.

कौन है ये TRF, जिसने ली थी हमले की जिम्मेदारी?

इस दर्दनाक हमले की जिम्मेदारी ली ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) नाम के एक आतंकी संगठन ने. 2019 में जब जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाया गया, तब TRF सामने आया. यह असल में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का ही एक ‘मुखौटा’ या ‘प्रॉक्सी’ संगठन है. भारत ने तो इसे 2023 में ही आतंकी संगठन घोषित कर दिया था, लेकिन अब बारी थी दुनिया को इसकी सच्चाई दिखाने की. TRF लगातार नागरिकों, खासकर अल्पसंख्यकों और सुरक्षाबलों पर हमले करता आया है.

भारत की ‘ऑपरेशन सिंदूर’ मुहिम लाई रंग!

पहलगाम हमले के बाद भारत चुप नहीं बैठा. उसने तुरंत ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया. इस ऑपरेशन के तहत एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल अमेरिका गया. उनके पास ठोस सबूत थे, जो बताते थे कि कैसे TRF ने पहलगाम में खून बहाया है और कैसे उसे पाकिस्तान की सरकार और लश्कर का पूरा समर्थन हासिल है. भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने पर जोर दिया था और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी इस हमले की कड़ी निंदा की थी. यह सब मिलकर एक बड़ी मुहिम बन गई.

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अमेरिका ने TRF पर चलाया हथौड़ा!

और आखिरकार, भारत की कोशिशें रंग लाईं! अमेरिका ने 18 जुलाई, 2025 को TRF को एक विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (SDGT) घोषित कर दिया. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने खुद बयान जारी कर इस बात की पुष्टि की. उन्होंने साफ कहा कि TRF ने 22 अप्रैल के पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे. यह 2008 के मुंबई हमलों के बाद भारत में नागरिकों पर सबसे घातक हमला था, जिसे लश्कर ने अंजाम दिया था. अमेरिका के इस कदम से साफ है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को एक मजबूत साथी मिल गया है.

TRF के कुछ और काले कारनामे

अप्रैल 2020: कुपवाड़ा के केरन सेक्टर में मुठभेड़ में पांच भारतीय पैरा कमांडो को मार डाला.

अप्रैल 2020: भारतीय बलों पर हमला कर तीन जवानों को शहीद किया.

2021: कश्मीरी पंडित माखन लाल पंडिता और स्कूल प्रिंसिपल सुपिंदर कौर की हत्या.

2023: सुरक्षा बलों पर हमला किया.

2024: हिंदू तीर्थयात्रियों की बस पर हमला, नौ लोगों की मौत.

2024: सुरंग निर्माण स्थल पर हमला, सात की मौत.

2025: पहलगाम अटैक, 26 पर्यटकों की हत्या.

TRF पर अमेरिका का यह फैसला आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक बड़ी जीत है. यह दिखाता है कि जब दुनिया एकजुट होती है, तो आतंकवादियों के लिए छिपने की कोई जगह नहीं बचती. यह पहलगाम के शहीदों और उनके परिवारों के लिए न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

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