काम कम, तनाव ज्यादा…मानसून सत्र में कुछ ऐसा रहा संसद का हाल

Parliament Session 2025: सत्र के दौरान 'ऑपरेशन सिंदूर' और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की उपलब्धियों पर भी विशेष चर्चाएं हुईं. 18 अगस्त को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम पर चर्चा शुरू हुई, जिसका उद्देश्य भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने में अंतरिक्ष की भूमिका पर विचार-विमर्श करना था.
Parliament Monsoon Session

मानसून सत्र के दौरान संसद में खूब हुआ हंगामा

Parliament Monsoon Session: गर्मी के बाद जैसे मानसून राहत लेकर आता है, वैसे ही उम्मीद थी कि इस बार संसद का मानसून सत्र भी देश के लिए कुछ अच्छी खबर लाएगा. लेकिन, 21 जुलाई से शुरू हुआ और 21 अगस्त को ख़त्म हुआ यह सत्र ‘हंगामे’ से सराबोर रहा. एक महीने तक चलने वाले इस सत्र में कुल मिलाकर 120 घंटे चर्चा करने का प्लान था, लेकिन शोर-शराबे की वजह से सिर्फ़ 37 घंटे ही काम हो सका. यानी, क़रीब दो-तिहाई समय तो सिर्फ़ हंगामा करने में ही निकल गया. लोकसभा में 14 नए बिल पेश हुए और उनमें से 12 पास भी हुए, लेकिन अधिकतर बिल हंगामे के बीच ही पास हुए. आइए, इस पूरे सत्र में क्या-क्या हुआ एक नजर डालते हैं.

सत्र का आगाज़

सत्र की शुरुआत से पहले ही राजनीतिक माहौल गर्म था. विपक्ष ने कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति बना ली थी. इनमें पहलगाम आतंकी हमला, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और बिहार में वोटर लिस्ट की ‘विशेष गहन समीक्षा’ (SIR) पर भी विपक्ष ने सवाल उठाए. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत-पाक युद्धविराम में मध्यस्थता के दावों ने तो आग में घी का काम किया.

पीएम मोदी ने सत्र की शुरुआत में इसे ‘विजयोत्सव’ कहा, लेकिन विपक्ष ने इसे तुरंत खारिज कर दिया. पहले दिन से ही लोकसभा और राज्यसभा में हंगामा शुरू हो गया. विपक्षी सांसदों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ‘बिहार में SIR’ पर तुरंत चर्चा की मांग की, जबकि सरकार ने इसे नियमों के अनुसार बाद में कराने की बात कही. हालांकि, सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के लिए लोकसभा में 16 घंटे और राज्यसभा में 9 घंटे की चर्चा तय की, लेकिन विपक्ष चाहता था कि ये चर्चा सत्र की शुरुआत में हो.

‘SIR’ का मुद्दा

इस सत्र में सबसे ज़्यादा हंगामा बिहार में मतदाता सूची के सघन पुनरीक्षण (SIR) के मुद्दे पर हुआ. विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सदन के अंदर और बाहर दोनों जगह ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन किए. विपक्ष ने आरोप लगा कि इस प्रक्रिया में धांधली हो रही है और सरकार इस पर चर्चा से बच रही है. उन्होंने लगातार इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की, लेकिन सरकार की ओर से संतोषजनक जवाब न मिलने पर गतिरोध बढ़ता गया. इसी एक मुद्दे ने पूरे सत्र को लगभग अपनी चपेट में ले लिया, जिससे अन्य ज़रूरी विधायी और नीतिगत कार्य प्रभावित हुए.

कामकाज पर असर

संसद के कामकाज की स्थिति बहुत निराशाजनक रही. सत्र की शुरुआत में यह तय किया गया था कि लोकसभा और राज्यसभा में कुल मिलाकर 120 घंटे चर्चा और संवाद होगा. लेकिन, लगातार हंगामे और नियोजित व्यवधानों के कारण मुश्किल से 37 घंटे ही काम हो सका.

लोकसभा में कामकाज

  • इस सत्र में कुल 14 सरकारी विधेयक पेश किए गए.
  • इनमें से 12 विधेयक पारित हुए.
  • कार्यसूची में 419 तारांकित प्रश्न शामिल थे, लेकिन शोरगुल के कारण केवल 55 प्रश्नों का ही मौखिक उत्तर दिया जा सका.
  • लोकसभा की कुल कार्यवाही 36.1 घंटे ही चली.

राज्यसभा में कामकाज

  • राज्यसभा की कार्यवाही लोकसभा से थोड़ी बेहतर रही, लेकिन यहां भी हंगामा जारी रहा.
  • राज्यसभा ने कुल 38.6 घंटे काम किया.

यह भी पढ़ें: क्या राज्यपाल की मर्जी पर चलेगी जनता की चुनी हुई सरकार? CJI गवई ने पूछा बड़ा सवाल

अहम विधेयक और चर्चाएं

हंगामे के बावजूद, कुछ महत्वपूर्ण विधायी कार्य और चर्चाएं हुईं. इनमें सबसे प्रमुख था ऑनलाइन गेमिंग प्रमोशन और रेगुलेशन बिल 2025. यह विधेयक हंगामे के बीच ही लोकसभा में पारित हो गया, जिसका उद्देश्य ऑनलाइन मनी गेम्स पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाना है. इसके अलावा, गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन अहम विधेयक पेश किए.

  • संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025
  • संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2025
  • जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025

इन बिलों को लेकर भी विपक्ष ने सदन में जमकर हंगामा किया, और ये विधेयक आगे की प्रक्रिया के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने की सिफारिश के साथ पेश किए गए.

सत्र के दौरान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की उपलब्धियों पर भी विशेष चर्चाएं हुईं. 18 अगस्त को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम पर चर्चा शुरू हुई, जिसका उद्देश्य भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने में अंतरिक्ष की भूमिका पर विचार-विमर्श करना था.

स्पीकर की नाराज़गी

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सदन में लगातार हो रहे हंगामे पर गहरी चिंता व्यक्त की. सत्र के आखिरी दिन उन्होंने अपनी निराशा को खुलकर व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि सदन में नारेबाजी करना, तख्तियां दिखाना और नियोजित गतिरोध पैदा करना संसदीय मर्यादा को आहत करता है. बिरला ने कहा, “इस सत्र में जिस प्रकार की भाषा और आचरण देखा गया, वह संसद की गरिमा के अनुकूल नहीं है.” उन्होंने सभी सांसदों से आग्रह किया कि वे स्वस्थ संसदीय परंपराओं के निर्माण में सहयोग करें और गंभीर तथा सार्थक चर्चा को प्राथमिकता दें. उन्होंने यह भी कहा कि संसद सदस्यों के रूप में हमारा दायित्व है कि हम अपने व्यवहार से देश और दुनिया के सामने एक आदर्श स्थापित करें. उन्होंने कार्यवाही में सहयोग के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्रियों, विपक्ष के नेता, विभिन्न दलों के नेताओं और मीडिया का भी धन्यवाद किया.

ज़रूर पढ़ें