25 साल से भूखा है इंदिरा का ‘शेर’, पहलगाम हमले का बदला लेने को बेताब, करगिल में भी चटाई थी आतंकिस्तान को धूल

बात 1971 की है. भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद इंदिरा गांधी ने भारतीय वायुसेना को और मजबूत करने का फैसला किया. उसी का नतीजा था जगुआर, जो ब्रिटेन और फ्रांस का बनाया हुआ डीप-पेनेट्रेशन स्ट्राइक जेट है.
Jaguar fighter jet

जगुआर फाइटर प्लेन

Pehalgam Attack: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव फिर से चरम पर है. पहलगाम में हुए हमले के बाद भारत का गुस्सा सातवें आसमान पर है और अब वक्त है बदले का. इस बार मैदान में उतरेगा इंदिरा गांधी का ‘शेर’ यानी भारतीय वायुसेना का शमशेर जगुआर फाइटर जेट. यह वही जांबाज विमान है, जिसने 1999 के करगिल युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाई थी. अब यह ‘शेर’ 25 साल बाद फिर से दहाड़ने को तैयार है. आइए जानते हैं, क्यों है जगुआर इतना खतरनाक और कैसे लेगा यह पहलगाम का इंतकाम?

आसमान का बाहुबली जगुआर

जगुआर कोई साधारण फाइटर जेट नहीं, बल्कि भारतीय वायुसेना का ‘शमशेर’ है. यह जमीन और हवा, दोनों में दुश्मनों को पलभर में नेस्तनाबूद कर सकता है. इसकी खासियत है लो-लेवल फ्लाइंग, यानी इतनी नीचे उड़ान कि दुश्मन के रडार भी इसे पकड़ नहीं पाते. चाहे पाकिस्तानी सैन्य ठिकाने हों, तोपखाने हों या आतंकी कैंप, जगुआर इन्हें चुटकियों में तबाह कर सकता है. समय-समय पर इसे नए हथियारों और तकनीकों से अपग्रेड किया गया है, ताकि यह राफेल जैसे आधुनिक जेट्स के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़े. करगिल में इसने लेजर-गाइडेड बमों और रॉकेट्स से पाकिस्तानी सेना को घुटनों पर ला दिया था. अब यह पहलगाम हमले का जवाब देने के लिए तैयार है.

इंदिरा की दूरदर्शिता, भारत की ताकत

बात 1971 की है. भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद इंदिरा गांधी ने भारतीय वायुसेना को और मजबूत करने का फैसला किया. उसी का नतीजा था जगुआर, जो ब्रिटेन और फ्रांस का बनाया हुआ डीप-पेनेट्रेशन स्ट्राइक जेट है. 1978 में भारत ने 18 जगुआर खरीदे और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को इन्हें बनाने का लाइसेंस भी मिला. 1979 में पहला जगुआर वायुसेना में शामिल हुआ, और तब से यह भारत की शान बना हुआ है.

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करगिल में दिखाई थी ताकत

1999 के कारगिल युद्ध में जगुआर ने वह कमाल किया, जिसे पाकिस्तान आज तक नहीं भूला. ऊंचे पहाड़ों पर छिपे पाकिस्तानी सैनिकों को जगुआर ने अपने सटीक हमलों से तबाह कर दिया. इसने टोही मिशनों से लेकर प्रेसिजन स्ट्राइक तक, हर मोर्चे पर जीत दिलाई. पाकिस्तान की सेना को भागने पर मजबूर होना पड़ा. अब एक बार फिर जगुआर तैयार है, और इस बार इसके साथ है राफेल जैसे तुरुप का इक्का.

पहलगाम का बदला पक्का!

पहलगाम हमले के बाद भारत चुप नहीं बैठेगा. सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयरस्ट्राइक से भारत ने साबित किया है कि वह अपने दुश्मनों को माफ नहीं करता. अब जगुआर और राफेल की जोड़ी मिलकर पाकिस्तान को करारा जवाब देगी. कब और कैसे? यह तो वक्त बताएगा, लेकिन इतना पक्का है कि भारत का ‘शमशेर’ दुश्मनों को चैन से सोने नहीं देगा.

क्यों खास है जगुआर?

मल्टी-रोल जेट: जमीन और हवा दोनों से हमला करने में माहिर.
लो-लेवल फ्लाइंग: रडार को चकमा देकर दुश्मन पर बिजली की तरह टूट पड़ता है.
कर्गिल का हीरो: 1999 में पाकिस्तान को सबक सिखाया.
इंदिरा की देन: 1970 के दशक में भारत की ताकत बढ़ाने का मास्टरस्ट्रोक.
अपग्रेडेड तकनीक: पुराना होने के बावजूद आधुनिक हथियारों से लैस.

भारत और पाकिस्तान के बीच जंग का माहौल गर्म है. अगर बात बिगड़ती है, तो जगुआर जैसे जांबाज विमान भारत की ताकत बनेंगे. यह ‘शेर’ पिछले 25 सालों से भूखा है और अब अपने शिकार की तलाश में है.

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