नीला, काला, हरा या लाल…किस रंग के पेन से फाइलों पर हस्ताक्षर करते हैं PM मोदी?

सरकार ने सभी अधिकारियों को आदेश दिया कि अब फाइलों पर सिर्फ काले या नीले पेन से हस्ताक्षर होंगे. इसका मकसद था नौकरशाही में समानता लाना. एक वरिष्ठ अधिकारी ने तब कहा था, "यह बदलाव फाइलों पर सभी स्तर के अधिकारियों की टिप्पणियों को एकसमान बनाने के लिए किया गया."
PM Modi Signature Pen Color

पीएम मोदी

PM Modi Signature Pen Color: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) अपने जोरदार भाषणों, बड़े फैसलों और अनोखे अंदाज के लिए जाने जाते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि जब पीएम मोदी किसी अहम दस्तावेज पर हस्ताक्षर करते हैं, तो वे किस रंग का पेन इस्तेमाल करते हैं? यह छोटी-सी बात आपको हैरान कर सकती है, क्योंकि इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी छिपी है.

पेन का रंग और मोदी सरकार का बड़ा फैसला

जब 2014 में नरेंद्र मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने, तो उनकी सरकार ने कई पुराने नियमों को बदला. इनमें से एक था सरकारी फाइलों पर हस्ताक्षर करने का नियम. पहले वरिष्ठ नौकरशाह लाल या हरे रंग के पेन से हस्ताक्षर करते थे, ताकि उनकी टिप्पणियां जूनियर अधिकारियों से अलग दिखें. यह नियम साल 2000 से लागू था, लेकिन इसे औपनिवेशिक मानसिकता का प्रतीक माना जाता था. मोदी सरकार ने इस परंपरा को खत्म करते हुए सेंट्रल सेक्रेटेरिएट मैनुअल ऑफ ऑफिस प्रोसीजर (CSMOP) में बदलाव किया.

सरकार ने सभी अधिकारियों को आदेश दिया कि अब फाइलों पर सिर्फ काले या नीले पेन से हस्ताक्षर होंगे. इसका मकसद था नौकरशाही में समानता लाना. एक वरिष्ठ अधिकारी ने तब कहा था, “यह बदलाव फाइलों पर सभी स्तर के अधिकारियों की टिप्पणियों को एकसमान बनाने के लिए किया गया. किसी को अपनी बात को हाईलाइट करने के लिए अलग रंग की जरूरत नहीं, क्योंकि हस्ताक्षर ही उनकी पहचान हैं.”

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पीएम मोदी किस रंग का पेन चुनते हैं?

अब बड़ा सवाल यह है कि पीएम मोदी खुद किस रंग के पेन से हस्ताक्षर करते हैं? अगर आप उनके लिखे पत्रों, सरकारी दस्तावेजों या खास मौकों पर लिखी चिट्ठियों को देखें, तो जवाब साफ है कि काला पेन. जी हां, पीएम मोदी ज्यादातर काले रंग की स्याही से हस्ताक्षर करते हैं. चाहे वह किसी बड़े नेता को लिखा पत्र हो, गांधी आश्रम में लिखा नोट हो या फिर विवेकानंद रॉक पर ध्यान के बाद लिखी पंक्तियां, काला पेन उनकी पहली पसंद है. उदाहरण के लिए, जब पीएम मोदी ने एक दिव्यांग बच्ची को गुजराती में पत्र लिखा, तो उसमें भी उनके हस्ताक्षर काले पेन से थे. इसी तरह, जब उन्होंने विवेकानंद रॉक मेमोरियल में ध्यान किया, तो वहां लिखे नोट में भी काले पेन का इस्तेमाल हुआ.

क्यों खास है यह बदलाव?

पहले लाल और हरे पेन का इस्तेमाल वरिष्ठ अधिकारियों को खास दिखाने के लिए होता था. कई बार यह नियम से ज्यादा परंपरा बन गया था. लेकिन मोदी सरकार ने इसे खत्म कर एक नया संदेश दिया कि काम और योगदान महत्वपूर्ण हैं, न कि रंगों का दिखावा. यह छोटा-सा बदलाव प्रशासन में पारदर्शिता और समानता की दिशा में एक बड़ा कदम था.

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