नांगल में ताला, चंडीगढ़ से दिल्ली तक ‘पंचायत’…पंजाब-हरियाणा में ‘पानी युद्ध’ क्यों?

अब असली बात ये है कि पंजाब और हरियाणा के बीच पानी का विवाद नया नहीं, लेकिन इस बार गर्मी ने इसे और गहरा दिया. हरियाणा का कहना है कि भाखड़ा डैम में पानी की अधिकता है, और अगर इसे नहीं छोड़ा गया, तो ये बेकार चला जाएगा. वहीं, पंजाब का दावा है कि उसने हरियाणा को उसका हिस्सा पहले ही दे दिया.
Punjab-Haryana Water Dispute

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी

Punjab-Haryana Water Dispute: गर्मी का पारा चढ़ा तो पानी की मांग को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच सियासी तापमान भी आसमान छू लिया. भाखड़ा डैम के पानी को लेकर दोनों राज्यों में तकरार इतनी बढ़ गई कि चंडीगढ़ से लेकर दिल्ली तक बैठकों का दौर शुरू हो गया. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने जहां चंडीगढ़ में सर्वदलीय बैठक बुलाकर हंगामा मचाया, वहीं दिल्ली में केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के बड़े अधिकारियों को तलब कर लिया. आखिर क्या है ये पानी का झगड़ा, जिसने दो पड़ोसी राज्यों को आमने-सामने ला खड़ा किया? चलिए, सबकुछ आसान भाषा में विस्तार से समझते हैं.

बूंद-बूंद पानी के लिए सियासत!

गर्मी की तपिश ने न सिर्फ पसीने छुड़ाए, बल्कि पानी की खपत को भी सातवें आसमान पर पहुंचा दिया. हरियाणा ने भाखड़ा डैम से अतिरिक्त पानी की मांग उठाई, तो पंजाब ने साफ मना कर दिया. हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा, “भाखड़ा डैम भरा पड़ा है. अगर पानी नहीं छोड़ा गया, तो ये पाकिस्तान चला जाएगा, जो किसी के हित में नहीं.” दूसरी तरफ, पंजाब के सीएम भगवंत मान ने पलटवार करते हुए कहा, “हरियाणा मार्च तक अपना हिस्सा ले चुका है. अब एक बूंद भी अतिरिक्त पानी नहीं मिलेगा.”

मान ने तो केंद्र सरकार से ये तक मांग कर डाली कि अगर सिंधु जल समझौता रद्द हो, तो उससे बचे पानी को हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली की जरूरतों के लिए इस्तेमाल किया जाए. लेकिन हरियाणा कहां मानने वाला था? उसने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) से गुहार लगाई, और केंद्रीय मंत्री व हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के हस्तक्षेप के बाद बीबीएमबी ने 30 अप्रैल को हरियाणा के लिए 4,000 क्यूसेक की जगह 8,500 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश दे दिया.

नांगल में ताला, पुलिस का पहरा

पंजाब के सीएम भगवंत मान को ये आदेश रास नहीं आया. उन्होंने बीबीएमबी पर बीजेपी का दबाव बनाने का आरोप लगाया और 1 मई को खुद नांगल के उस पॉइंट पर पहुंच गए, जहां से हरियाणा के लिए पानी छोड़ा जाना था. मान ने अधिकारियों से दो टूक कहा, “मैं ये देखने आया हूं कि कहीं अतिरिक्त पानी तो नहीं छोड़ा जा रहा.” नतीजा? पानी छोड़ने का काम रुक गया.

पंजाब के मंत्री हरजोत बैंस ने तो नंगल के पानी रेगुलेशन सेंटर पर ताला ही जड़ दिया. इतना ही नहीं, वहां भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया, ताकि कोई ताला न खोल सके. मान ने इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई और पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का ऐलान भी कर दिया. दूसरी तरफ, हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने इसे घटिया राजनीति करारा दिया है.

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पंजाब में सर्वदलीय तो दिल्ली में आपात बैठक

पंजाब में भगवंत मान ने चंडीगढ़ के पंजाब भवन में सर्वदलीय बैठक बुलाई. बीजेपी से सुनील जाखड़, शिरोमणि अकाली दल से बलविंदर सिंह, कांग्रेस से राणा एपी सिंह समेत तमाम दिग्गज नेता पहुंचे. सबका एक ही सवाल कि हरियाणा को अतिरिक्त पानी क्यों दिया जाए, जब पंजाब की अपनी जरूरतें पूरी नहीं हो रही?

उधर, दिल्ली में केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल के मुख्य सचिवों की आपात बैठक बुलाई. बीबीएमबी के प्रमुख मनोज त्रिपाठी और जल शक्ति मंत्रालय के अधिकारी भी मौजूद रहे. पंजाब के मुख्य सचिव छुट्टी पर थे, तो उनकी जगह अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) आलोक शेखर और जल संसाधन विभाग के सचिव कृष्ण कुमार पहुंचे. हरियाणा की ओर से मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने मोर्चा संभाला.

क्यों छिड़ी है ये जंग?

अब असली बात ये है कि पंजाब और हरियाणा के बीच पानी का विवाद नया नहीं, लेकिन इस बार गर्मी ने इसे और गहरा दिया. हरियाणा का कहना है कि भाखड़ा डैम में पानी की अधिकता है, और अगर इसे नहीं छोड़ा गया, तो ये बेकार चला जाएगा. वहीं, पंजाब का दावा है कि उसने हरियाणा को उसका हिस्सा पहले ही दे दिया. पंजाब के किसान और आम लोग भी सड़कों पर उतर आए हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि अगर हरियाणा को अतिरिक्त पानी दिया गया, तो उनकी फसलें और जरूरतें अधूरी रह जाएंगी.

पानी को लेकर प्रपोजल से लेकर सियासी रणनीति तक अब केंद्र के सामने है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि वह भाखड़ा डैम की स्थिति पर नजर रखे हुए है. लेकिन सवाल ये है कि क्या पंजाब और हरियाणा के बीच ये सियासी जंग पानी की एक-एक बूंद के लिए और गहराएगी या केंद्र के हस्तक्षेप से कोई हल निकलेगा? फिलहाल, चंडीगढ़ से दिल्ली तक बैठकों का सिलसिला जारी है, और दोनों राज्यों के बीच तनातनी कम होने का नाम नहीं ले रही. पानी की इस जंग में कौन जीतेगा,पंजाब, हरियाणा या सियासत? ये तो वक्त ही बताएगा.

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