तत्काल टिकट का ‘खेल’ जारी…रेलवे के नए नियम पर भारी जालसाज़ों का नया पैंतरा!

सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि अब ये जालसाज़ आधार वेरिफाइड IRCTC यूजर आईडी खुलेआम बेच रहे हैं. सिर्फ 360 रुपये में आपको एक ऐसी आईडी मिल जाएगी, जिससे तत्काल टिकट के लिए OTP जनरेट किया जा सके.
Railway Tatkal Ticket

प्रतीकात्मक तस्वीर

Railway Tatkal Ticket: क्या आपको भी ट्रेन का तत्काल टिकट बुक करते समय ‘नो सीट अवेलेबल’ का मैसेज मिलता है? क्या कभी सोचा है कि पलक झपकते ही सारी सीटें कैसे बुक हो जाती हैं? अगर हां, तो यह खबर आपके लिए है. भारतीय रेलवे ने 1 जुलाई, 2025 से तत्काल टिकट बुकिंग के नियमों में बड़ा बदलाव किया है. अब सिर्फ IRCTC की वेबसाइट या ऐप से ही टिकट बुक होंगे, और इसके लिए आधार कार्ड लिंक करना ज़रूरी होगा. सरकार का मकसद साफ था कि दलालों और बॉट्स को किनारे करना.

नए नियम, नया खेल!

लेकिन कहते हैं न, पुलिस दो कदम आगे तो चोर 4 कदम. जैसे ही रेलवे ने नियम बदले, ऑनलाइन जालसाज़ों ने धांधली का एक नया रास्ता निकाल लिया. एक मीडिया चैनल ने टेलीग्राम और वॉट्सऐप पर ऐसे 40 से ज़्यादा ग्रुप्स पकड़े हैं, जो इस काले धंधे को चला रहे हैं. ये ग्रुप्स ई-टिकटिंग के बड़े ऑनलाइन ब्लैक मार्केट का सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा हैं, जहां हजारों एजेंट सरकारी नियमों को धता बताकर अपना काम कर रहे हैं.

आधार वेरिफाइड आईडी और बॉट्स का गोरखधंधा

सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि अब ये जालसाज़ आधार वेरिफाइड IRCTC यूजर आईडी खुलेआम बेच रहे हैं. सिर्फ 360 रुपये में आपको एक ऐसी आईडी मिल जाएगी, जिससे तत्काल टिकट के लिए OTP जनरेट किया जा सके. लेकिन ये काम मैन्युअल नहीं होता. एजेंट्स बुकिंग को तेजी से करने के लिए ‘बॉट्स’ या ऑटोमैटिक ब्राउज़र एक्सटेंशन का इस्तेमाल करते हैं. ये बॉट्स इतने तेज होते हैं कि असली यात्रियों के लिए तो सिस्टम धीमा पड़ जाता है, और टिकट बुक नहीं हो पाते.

सामने आया कि रैकेट के मुखिया इन एजेंट्स को बॉट्स बेचते हैं. ये बॉट्स ब्राउज़र में इंस्टॉल होते हैं और अपने-आप लॉगइन डीटेल्स, ट्रेन की जानकारी, यात्री का डेटा और पेमेंट की डिटेल्स भर देते हैं. दावा है कि एक मिनट से भी कम समय में कन्फर्म टिकट मिल जाता है.

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‘ट्रोजन’ बॉट्स और IP एड्रेस का खेल

ये जालसाज़ IRCTC के AI एल्गोरिदम से बचने के लिए भी तरकीबें आजमाते हैं, जो संदिग्ध IP एड्रेस को ब्लॉक करके बॉट गतिविधियों को रोकता है. धोखेबाज़ अपने IP एड्रेस को छिपाने के लिए वर्चुअल प्राइवेट सर्वर (VPS) का इस्तेमाल करते हैं.

दिलचस्प बात ये है कि रैकेट के एडमिन Dragon, JETX, Ocean, Black Turbo, और Formula One जैसी वेबसाइटें चलाते हैं, जहां ये बॉट्स 999 रुपये से 5,000 रुपये तक में बेचे जाते हैं. खरीदने के बाद, टेलीग्राम चैनलों के ज़रिए यूज़र्स को इन्हें इस्तेमाल करने के तरीके बताए जाते हैं. जांच में सामने आया कि ‘WinZip’ नाम की एक बॉट फ़ाइल, जो APK के रूप में डाउनलोड की गई थी, एक ट्रोजन निकली. ट्रोजन एक ऐसा मैलवेयर है, जो आपकी जानकारी चुराने के लिए बनाया गया है.

रेलवे की कार्रवाई और भविष्य की चुनौतियां

रेल मंत्रालय ने 4 जून को एक प्रेस रिलीज़ में बताया था कि तत्काल बुकिंग के पहले पांच मिनट में, ‘कुल लॉगइन प्रयासों में बॉट ट्रैफ़िक 50 प्रतिशत तक होता है.’ IRCTC ने एंटी-बॉट सिस्टम लगाकर 2.5 करोड़ से ज़्यादा फ़र्जी यूजर आईडी सस्पेंड की हैं. साथ ही, अब तत्काल टिकट खुलने के पहले 30 मिनट तक एजेंटों द्वारा बुकिंग पर रोक लगा दी गई है, चाहे वो एसी हो या नॉन-एसी.

यह साफ है कि भारतीय रेलवे और जालसाज़ों के बीच यह ‘चूहे-बिल्ली’ का खेल अभी जारी रहेगा. यात्रियों को जागरूक रहना और केवल आधिकारिक माध्यमों से ही टिकट बुक करना बेहद ज़रूरी है.

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