“जो गिरे वह उठ नहीं पाए, मेरी मां भी…”, चश्मदीदों ने बताई प्लेटफॉर्म नंबर- 14 की दर्दनाक कहानी!
Delhi Railway Station Stampede: किसी ने अपनों को खो दिया तो किसी ने सपनों को खो दिया… नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात जो हादसा हुआ, उससे न केवल दिल्ली, बल्कि पूरे देश को हिला देने वाला था. महाकुंभ जाने के लिए भारी संख्या में यात्री नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचे थे, और अचानक भगदड़ मच गई. इस भगदड़ में 18 लोगों की जान चली गई, जबकि 30 से अधिक लोग घायल हो गए. घायलों में से कई की हालत गंभीर बताई जा रही है.
कैसे हुआ हादसा?
घटना शनिवार रात की है, जब प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर आने वाली ट्रेन के प्लेटफॉर्म 16 पर आने की घोषणा की गई. यह अचानक हुआ बदलाव यात्रियों को समझ में नहीं आया, और जैसे ही स्टेशन के लाउडस्पीकर पर ये घोषणा हुई, लोग बेतहाशा प्लेटफॉर्म नंबर 16 की ओर दौड़ पड़े. ट्रेन पकड़ने की जल्दी में लोग एक-दूसरे को धक्का देते हुए वहां पहुंचे, और इस धक्कामुक्की ने भगदड़ का रूप ले लिया. स्थिति इतनी विकट हो गई कि लोग गिरने लगे, लोग एक-दूसरे पर चढ़ने लगे और स्टेशन के फुटओवर ब्रिज पर कई यात्री गिरकर घायल हो गए. इसके बाद मची अफरा-तफरी ने इस हादसे को और भयानक बना दिया.
भयावह होती गई स्थिति
घटनास्थल पर यह देखा गया कि भीड़ को संभालने के लिए न तो RPF (रेलवे पुलिस बल) के कोई कर्मी थे और न ही वहां कोई पुलिसकर्मी. जिससे भीड़ को नियंत्रित करना असंभव हो गया. एक प्रत्यक्षदर्शी, हीरालाल माथुर ने मीडिया को बताया कि जब प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर आने वाली ट्रेन को अचानक प्लेटफॉर्म नंबर 16 पर आने की घोषणा की गई, तो दोनों तरफ से यात्रियों की भीड़ बढ़ गई और भगदड़ मच गई. इस दौरान न तो कोई रेलवे कर्मचारी था जो लोगों को नियंत्रित कर सके, न ही कोई सुरक्षा व्यवस्था थी.
स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि कई लोग गिरकर बुरी तरह से घायल हो गए, और कई को अस्पताल ले जाया गया. घायलों में से कुछ की हालत बहुत गंभीर बताई जा रही है. एक युवक ने बताया कि स्टेशन पर बहुत भीड़ थी, लेकिन वहां कोई पुलिस और सुरक्षा कर्मी नहीं थे. मेरे रिश्तेदार को भी अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
मृतकों की पहचान
मृतकों में एक बुजुर्ग महिला भी शामिल थीं, जो अपने गांव लौट रही थीं. घटनास्थल पर मौजूद कुछ लोगों ने बताया कि भगदड़ के कारण महिला भीड़ में फंस गईं और उनकी जान चली गई. बिहार के पप्पू नामक एक व्यक्ति ने अपनी मां की मौत की जानकारी दी और कहा कि इस हादसे में उनकी मां भी मारी गईं.
अब सवाल उठता है कि रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा की क्या व्यवस्था है? खासकर ऐसे मौके पर जब महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन के कारण भारी भीड़ जुटती है, वहां सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस हादसे की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने अपने ट्विटर पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा, “नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई इस दुर्भाग्यपूर्ण भगदड़ से मैं बहुत दुखी हूं. मेरी प्रार्थनाएं उन सभी परिवारों के साथ हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है. रेलवे की पूरी टीम इस घटना से प्रभावित सभी लोगों की सहायता के लिए काम कर रही है.”
मुआवजे का ऐलान
भारतीय रेलवे ने इस हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है. वहीं, गंभीर रूप से घायल व्यक्तियों को 2.5 लाख रुपये और हल्के घायलों को 1 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा.
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई घातक भगदड़ की जांच अब तेज़ी से चल रही है. रेलवे ने इस हादसे की गहन जांच के लिए दो सदस्यीय टीम का गठन किया है, जिसमें उत्तरी रेलवे के प्रिंसिपल चीफ कमर्शियल मैनेजेर नरसिंह देव और उत्तर रेलवे के मुख्य सुरक्षा आयुक्त पंकज गंगवार शामिल हैं. रविवार दोपहर को ये अधिकारी मौके पर पहुंचे और स्टेशन के अधिकारियों से पूरी घटना के बारे में पूछताछ की. उन्होंने उस सीढ़ी को भी देखा, जहां भगदड़ मची थी, और घटना के सभी वीडियो फुटेज को सुरक्षित रखने का आदेश दिया.
जांच तेज
जांच टीम के एक सदस्य, नरसिंह देव से जब पूछा गया कि हादसे के वक्त आरपीएफ की टीम कम क्यों थी, तो उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया और चुप्पी साध ली. इसके अलावा, जब उनसे यह सवाल किया गया कि इस भयावह हादसे का जिम्मेदार कौन है, तो उन्होंने भी इसका जवाब नहीं दिया, बस यह कहा कि वे जांच टीम का हिस्सा हैं और रिपोर्ट आने पर सारी जानकारी सामने आएगी. इस बीच, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और मामले पर चर्चा की. फिर, उन्होंने रेलवे वॉर रूम में अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की और जांच को आगे बढ़ाने के निर्देश दिए.
इस हादसे ने यह साबित कर दिया कि दिल्ली जैसे बड़े शहर में और रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों की सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर बहुत सुधार की जरूरत है. महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों के दौरान भारी भीड़ जुटती है, लेकिन स्टेशन पर सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम नहीं किए जाते. इस हादसे में पुलिस और आरपीएफ कर्मियों की कमी और स्टेशन पर कोई माकूल इंतजाम न होने के कारण स्थिति विकराल हो गई.