‘खुद कमाकर खाइए…’, एलिमनी में 12 करोड़ और BMW मांगने पर महिला से बोला सुप्रीम कोर्ट
गुजारा भत्ता संबंधी मामले की सुनवाई करते हुए एक महिला को SC ने लगाई फटकार
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में एक हाई-प्रोफाइल तलाक मामले की सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई ने एक महिला को कड़ा जवाब देते हुए कहा कि आप पढ़ी-लिखी और सक्षम है, इसलिए अपने पति से भारी-भरकम गुजारा भत्ता मांगने के बजाय खुद कमाकर अपनी आजीविका चलानी चाहिए.
यह मामला तब चर्चा में आया जब महिला ने अपनी 18 महीने की शादी के बाद तलाक के एवज में 12 करोड़ रुपये, मुंबई में एक फ्लैट और एक महंगी BMW कार की मांग की. कोर्ट ने इस मांग को अत्यधिक बताते हुए महिला को आत्मनिर्भरता की नसीहत दी.
क्या है पूरा मामला?
सुप्रीम कोर्ट में एक तलाक और गुजारा भत्ता (Alimony) से संबंधित मामले में एक महिला ने अपने पति से 18 महीने की शादी के बाद तलाक की मांग करते हुए कोर्ट में याचिका दायर की. इस याचिका में उन्होंने गुजारा भत्ते के रूप में 12 करोड़ रुपये, मुंबई में एक आलीशान फ्लैट और एक BMW कार की मांग रखी. महिला का तर्क था कि उसका पति बहुत अमीर है, इसलिए उनकी मांगें जायज हैं.
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
मंगलवार, 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में CJI बी.आर. गवई की अगुवाई वाली बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. CJI ने महिला की मांगों पर हैरानी जताते हुए कहा- ‘आप इतनी पढ़ी-लिखी हैं, आपने MBA किया है और आप एक IT प्रोफेशनल हैं. बेंगलुरु, हैदराबाद जैसे शहरों में आपके लिए नौकरी के कई अवसर हैं. आप खुद काम क्यों नहीं करतीं?’ कोर्ट ने यह भी कहा कि 18 महीने की शादी के लिए 12 करोड़ रुपये की मांग, यानी हर महीने लगभग 1 करोड़ रुपये, अत्यधिक है.
कोर्ट का महिला को जवाब
CJI गवई ने महिला को स्पष्ट शब्दों में नसीहत दी कि एक शिक्षित और सक्षम महिला को अपने पति पर निर्भर रहने के बजाय आत्मनिर्भर होना चाहिए. उन्होंने कहा- ‘आपकी शादी सिर्फ 18 महीने चली और आप BMW, मुंबई में फ्लैट और 12 करोड़ रुपये मांग रही हैं? आपको मांगना नहीं चाहिए, बल्कि खुद कमाकर खाना चाहिए.’ कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि महिला या तो एक फ्लैट स्वीकार कर ले या 4 करोड़ रुपये लेकर नौकरी ढूंढे.
पति की दलील
पति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील माधवी दीवान ने कोर्ट को बताया कि महिला पहले से ही एक फ्लैट में रह रही है, जिसमें दो कार पार्किंग स्पेस भी हैं, जिनसे वह आय अर्जित कर सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि महिला ने पहले आपसी सहमति से तलाक के लिए समझौता किया था, जिसमें ‘कल्पतरु पर्यावास’ सोसाइटी में एक फ्लैट देने की बात थी, लेकिन अब वह इससे पीछे हट रही हैं. पति के वकील ने महिला की मांगों को अत्यधिक और कानून का दुरुपयोग बताया.
महिला के आरोप
महिला ने कोर्ट में दावा किया कि उसके पति ने उसकी नौकरी छुड़वा दी और उसके खिलाफ कई FIR दर्ज कीं. इस पर CJI ने जवाब दिया कि वे सभी FIR रद्द करने का आदेश दे सकते हैं, लेकिन महिला को ससुर की संपत्ति पर दावा करने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने यह भी कहा कि कानून का मकसद महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है, न कि उन्हें दूसरों पर निर्भर रखना.
कोर्ट का फैसला और कानूनी स्थिति
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि पढ़ी-लिखी और सक्षम महिलाओं को गुजारा भत्ते के लिए अत्यधिक मांगें करने से बचना चाहिए. इस मामले में कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि दिल्ली हाई कोर्ट ने मार्च 2025 में एक समान मामले में कहा था कि कानून आलस्य को बढ़ावा नहीं देता और सक्षम महिलाओं को अपनी आजीविका के लिए काम करना चाहिए.