Supreme Court में हुआ अनोखा फैसला, रेप के दोषी और शिकायतकर्ता की शादी की सहमति पर सजा हुई निलंबित
सुप्रीम कोर्ट
Supreme Court: गुरुवार, 15 मई को देश की सर्वोच्च न्यायालय ने में एक ऐसा फैसला हुआ जो फिल्मी स्किप्ट की तरह दिख रहा है. सुप्रीम कोर्ट के इस चर्चित फैसले में एक रेप के मामले में दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति और शिकायतकर्ता महिला ने कोर्ट के समक्ष एक-दूसरे से शादी करने की इच्छा जाहिर की. इसके बाद जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने इस अनोखे मामले में दोनों पक्षों की सहमति को देखते हुए दोषी की 10 साल की सजा को निलंबित कर दिया.
SC की कोर्ट रूम में दोनों ने एक-दूसरे को फूल देकर अपनी प्रतिबद्धता का इजहार किया. इसके बाद कोर्ट ने दोषी की सजा निलंबित कर दिया. इसके साथ ही कुछ शर्तें भी लागाई है.
कोर्ट की गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ इस फैसला साल 2016 से 2021 के बीच के कथित बलात्कार के आरोपों से संबंधित है. शिकायतकर्ता का आरोप था कि दोषी ने शादी का वादा करके उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए और बाद में वो अपने वादे से मुकर गया. निचली अदालत ने सितंबर 2024 में दोषी को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(एन) (बार-बार बलात्कार) और धारा 417 (धोखाधड़ी) के तहत दोषी ठहराया था.
शादी की शर्त पर सजा हुई निलंबित
इसके बाद निचली अदालत ने दोषी को बलात्कार के लिए 10 साल और धोखाधड़ी के लिए 2 साल की सजा सुनाई गई थी. सजा सुनाई जाने के बाद दोषी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. जहां सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से विवाह करने की इच्छा व्यक्त की. कोर्ट ने इस सहमति को गंभीरता से लिया और दोनों को अपनी मंशा को स्पष्ट करने के लिए कोर्ट रूम में एक-दूसरे को फूल देने का निर्देश दिया. इस प्रतीकात्मक कदम के बाद, कोर्ट ने सजा को शादी की शर्त पर निलंबित करने का फैसला सुनाया.
यह भी पढ़ें: रोंगटे खड़े कर देगी पाक की कैद से लौटे BSF जवान की आपबीती, 21 दिन तक हुआ अमानवीय व्यवहार
सुप्रीम कोर्ट ने सामने रखी ये शर्तें
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि सजा का निलंबन शादी की शर्त पर आधारित है. यदि दोनों पक्ष विवाह को आगे बढ़ाने में विफल रहते हैं, तो सजा बहाल हो सकती है. कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि शिकायतकर्ता की सहमति स्वैच्छिक हो और किसी दबाव या मजबूरी का परिणाम न हो.