आकाश से गिरा या पाताल से निकला? धरती पर आया कहां से इतना सोना? गजब है कहानी
प्रतीकात्मक तस्वीर
Gold Origin: सोना, ये वो चमकदार धातु है, जो हर किसी को अपनी ओर खींचती है. चाहे गहनों की शक्ल में भारतीय महिलाओं के गले में सजे या फिर देशों के खजाने में सुरक्षित रखा जाए, सोने की चमक सबको लुभाती है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि धरती पर इतना सारा सोना आया कहां से? आइए, इस कहानी को विस्तार से जानते हैं.
सोने की चमक, दुनिया की पसंद
भारत में सोने का जादू कुछ और ही है. भारतीय रिजर्व बैंक के पास 875 टन से ज्यादा सोना है, लेकिन मजेदार बात ये है कि हमारे घरों में, खासकर महिलाओं के गहनों में इससे भी ज्यादा सोना है. दुनिया में सबसे ज्यादा सोना अमेरिका के पास है, 8100 टन से भी अधिक. जब दुनिया में तनाव बढ़ता है, देश सोना खरीदने लगते हैं. क्यों? क्योंकि सोना एक ऐसा निवेश है, जो कभी धोखा नहीं देता. पिछले तीन साल में इसकी कीमत दोगुनी हो चुकी है, और लोग इसे खरीदने में पीछे नहीं हट रहे.
सोना आया कहां से?
अब आते हैं असली सवाल पर कि ये सोना धरती पर आया कैसे? वैज्ञानिकों का कहना है कि सोने की कहानी धरती के जन्म से शुरू होती है, यानी करीब 4.5 अरब साल पहले. उस समय ब्रह्मांड में तारों के महाविस्फोट (सुपरनोवा) और उनकी टक्करें हो रही थीं. इन टक्करों में इतनी जबरदस्त ऊर्जा पैदा हुई कि प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन मिलकर न्यूट्रॉन बन गए. फिर लोहे ने इन न्यूट्रॉनों को तेजी से पकड़ा और सोना, चांदी, यूरेनियम जैसी भारी धातुएं बन गईं. ये धातुएं अंतरिक्ष में बिखर गईं और धरती बनने के दौरान यहीं पहुंच गईं. यानी, जो सोना आपके गहनों में चमक रहा है, वो किसी मरे हुए तारे का टुकड़ा है.
कहानी यहीं खत्म नहीं होती. जब धरती छोटी थी, तब एक मंगल ग्रह जितनी बड़ी चट्टान उससे टकराई. इस टक्कर से निकला मलबा चंद्रमा बना. इसके बाद भी अंतरिक्ष से ढेर सारी चट्टानें धरती पर गिरीं. वैज्ञानिक इसे ‘लेट एक्रीशन’ कहते हैं. इन चट्टानों में सोने जैसे तत्व थे, जो धरती पर बिखर गए. लेकिन सवाल ये है कि ये सोना धरती की सतह पर क्यों नहीं, बल्कि इतनी गहराई में क्यों मिलता है?
गहराई में कैसे पहुंचा सोना?
धरती के चार हिस्से हैं, इनर कोर, आउटर कोर, मेंटल और क्रस्ट. जब धरती पर चट्टानों की बारिश हुई, तो सोना जैसी भारी धातुएं धरती की सतह से नीचे की ओर खिंच गईं. मेंटल का एक हिस्सा पिघला हुआ था, जहां ये धातुएं डूबती चली गईं. फिर ये पिघला हुआ मेंटल जम गया, और सोना उसमें फंस गया. यही वजह है कि आज सोने की खदानें, जैसे दक्षिण अफ्रीका की मपोनेंग खदान, 4 किलोमीटर तक गहरी हैं.
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सोने के कई रूप
सोना धरती में बिस्कुट या सिक्कों की शक्ल में तो नहीं मिलता. ये चट्टानों में अयस्क के रूप में, शुद्ध धातु के रूप में, या फिर चांदी के साथ मिश्र धातु के रूप में पाया जाता है. कटाव की प्रक्रिया इसे चट्टानों से अलग करती है, और क्योंकि ये भारी है, ये नीचे बैठ जाता है. कई बार नदियों के बहाव के साथ ये समुद्र में भी पहुंच जाता है.
सिर्फ धरती ही नहीं, चांद-मंगल पर भी सोना!
रोचक बात ये है कि सोना सिर्फ धरती तक सीमित नहीं है. चंद्रमा पर भी सोना है, हालांकि वहां इसकी मात्रा बहुत कम है. मंगल ग्रह पर भी सोने के सबूत मिले हैं, जो वहां से आए उल्कापिंडों से पता चलता है. लेकिन धरती की तुलना में वहां सोना न के बराबर है.
अगली बार जब आप सोने का हार या सिक्का देखें, तो याद करें कि ये चमकदार धातु अंतरिक्ष से धरती पर आई है. ये मरे हुए तारों का तोहफा है, जो अरबों साल पहले की कहानी बयां करता है. धरती की गहराइयों में छिपा ये खजाना आज भी हमें लुभाता है और दुनिया की अर्थव्यवस्था को चमक देता है.