क्या यूपी में BJP खेलेगी ‘लेडी बॉस’ कार्ड? अध्यक्ष की रेस में निरंजन ज्योति की एंट्री से ब्राह्मण-दलित लॉबी में खलबली!
जेपी नड्डा से मिलीं पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति
UP BJP President Election: उत्तर प्रदेश बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर दिल्ली से लखनऊ तक हलचल तेज हो गई है. संगठन की कमान कौन संभालेगा, इस पर मंथन लगातार जारी है. रेस में कई दिग्गज नेताओं के नाम शामिल हैं. लेकिन इस बार एक नाम ने सबकी निगाहें अपनी ओर खींच ली हैं. वो नाम है पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति का. अगर ऐसा होता है तो यह बीजेपी के इतिहास में पहली बार होगा जब प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर कोई महिला विराजमान होगी. निरंजन ज्योति की बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से हुई हालिया मुलाकात ने इन अटकलों को और मज़बूती दे दी है.
पहली बार महिला अध्यक्ष का दांव!
निरंजन ज्योति ओबीसी वर्ग से आती हैं और निषाद समुदाय में उनकी मजबूत पैठ मानी जाती है. 58 साल की यह फायरब्रांड नेता यूपी के हमीरपुर जिले से ताल्लुक रखती हैं और राम मंदिर आंदोलन से लेकर विहिप (VHP) तक में सक्रिय रही हैं. अगर बीजेपी उन्हें अध्यक्ष बनाती है, तो यह 2027 विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी का एक बड़ा ‘महिला और ओबीसी कार्ड’ होगा. उमा भारती जैसी कद्दावर नेता की सक्रियता कम होने के बाद निरंजन ज्योति यूपी में भगवा ब्रिगेड की एक बड़ी महिला चेहरा बन सकती हैं, जिससे गैर-यादव ओबीसी जातियों में बीजेपी की पकड़ और मजबूत होगी.
पार्टी सूत्रों का कहना है कि बिहार, झारखंड और हरियाणा जैसे राज्यों में महिलाओं ने चुनावी नतीजों में अहम भूमिका निभाई है. इसी को ध्यान में रखते हुए बीजेपी यूपी में भी महिला नेतृत्व को आगे लाने पर विचार कर सकती है.
जातीय समीकरणों का पूरा ध्यान
प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी के लिए सिर्फ निरंजन ज्योति ही नहीं, बल्कि ब्राह्मण, ओबीसी और दलित वर्ग के कई बड़े चेहरे भी ज़ोर लगा रहे हैं. बीजेपी हमेशा से जातीय संतुलन साधकर चलती है और इस बार भी हर वर्ग को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश साफ दिख रही है.
ब्राह्मण चेहरे (Brahmin Leaders)
दिनेश शर्मा: पूर्व उप-मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद. संघ से उनका करीबी जुड़ाव है, जो उन्हें संगठन की पसंद बनाता है.
हरीश द्विवेदी: बस्ती के पूर्व सांसद. एबीवीपी (ABVP) और संघ पृष्ठभूमि से आने वाले द्विवेदी के पास संगठन और सरकार दोनों में काम करने का लंबा अनुभव है.
ओबीसी चेहरे (OBC Leaders)
धर्मपाल सिंह: यूपी सरकार में मंत्री. वह ओबीसी में यादवों के बाद सबसे बड़ी संख्या वाले लोध समुदाय से आते हैं, जिससे उन्हें मजबूत दावेदार माना जा रहा है.
बीएल वर्मा: राज्यसभा सदस्य. बदायूं से आने वाले वर्मा भी पार्टी के अनुभवी ओबीसी नेताओं में शामिल हैं.
दलित चेहरे (Dalit Leaders)
रामशंकर कठेरिया: पूर्व केंद्रीय मंत्री और इटावा से पूर्व सांसद. आगरा क्षेत्र में दलितों के बीच उनकी मजबूत पकड़ रही है.
विद्या सागर सोनकर: एमएलसी. पार्षद से सांसद तक का लंबा सफर तय करने वाले सोनकर भी बीजेपी के दलित मोर्चे का अहम हिस्सा हैं. उत्तर प्रदेश में 21% दलित आबादी को देखते हुए, बीजेपी 2027 तक उन्हें पाले में बनाए रखने के लिए इन चेहरों पर दांव खेल सकती है.
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लखनऊ से दिल्ली तक बैठकों का दौर
अध्यक्ष पद के नाम पर अंतिम मुहर लगाने से पहले लखनऊ और दिल्ली में शीर्ष नेतृत्व लगातार मंथन कर रहा है. मंगलवार को लखनऊ में संघ नेता अरुण कुमार, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, सीएम योगी आदित्यनाथ और उप-मुख्यमंत्रियों की मौजूदगी में लंबी बैठक हुई. इसके अलावा, दिल्ली में भी शीर्ष स्तर पर विचार-विमर्श जारी है.
2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ऐसा अध्यक्ष चाहती है जो संगठन को एकजुट कर सके, सरकार के साथ तालमेल बिठा सके और जातीय समीकरणों को साधकर पार्टी को प्रचंड जीत की ओर ले जा सके. साध्वी निरंजन ज्योति का नाम सामने आना दिखाता है कि बीजेपी इस बार उत्तर प्रदेश में एक बिल्कुल नया और साहसी दांव खेलने की तैयारी में है. कौन होगा यूपी बीजेपी का नया सेनापति, इसका ऐलान जल्द ही होने की उम्मीद है.