मनमोहन सिंह के 5 जादुई फैसले, जिनसे बदल गई भारत की तस्वीर

डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए अतुलनीय रहेगा. उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी और उसे वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनका कार्यकाल भारतीय इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा,
Manmohan Singh

मनमोहन सिंह

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया, और उनका अंतिम संस्कार आज (28 दिसंबर 2024) किया जाएगा. मनमोहन सिंह ने भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में अहम योगदान दिया. उनके कार्यकाल में भारत ने कई बड़े आर्थिक सुधारों को देखा. उन्होंने वित्त मंत्री और फिर प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी. आइए जानते हैं कि मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान क्या-क्या महत्वपूर्ण बदलाव हुए और उनकी भूमिका किस तरह से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अहम रही.

भारत की GDP में वृद्धि

1991 में जब मनमोहन सिंह भारत के वित्त मंत्री बने, उस समय देश की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी. भारतीय अर्थव्यवस्था संकट में थी, और विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के कारण देश अपने आयात के लिए भी पैसे जुटाने में असमर्थ था. उस समय भारत की GDP वृद्धि दर सिर्फ 1.4% थी.

मनमोहन सिंह ने देश की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए कई सुधारों की शुरुआत की. उन्होंने देश में उदारीकरण (liberalization), निजीकरण (privatization), और वैश्वीकरण (globalization) की नीतियां लागू कीं. इसके परिणामस्वरूप, विदेशी निवेश भारत में आने लगा और भारतीय कंपनियों को वैश्विक बाजार में कदम रखने का मौका मिला. इसके साथ ही भारत के व्यापारिक संबंध भी बेहतर हुए. मनमोहन सिंह के इन सुधारों की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था ने एक नई दिशा पकड़ी और GDP की वृद्धि दर 7.3% तक पहुंच गई. उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद भी यह दर औसतन 7% से ऊपर रही, जो उनके कार्यकाल के दौरान एक बड़ी सफलता थी.

प्रति व्यक्ति आय में सुधार

मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री रहते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत किया, जिससे प्रति व्यक्ति आय (per capita income) में भी सुधार हुआ. जब उन्होंने वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाला, तब प्रति व्यक्ति आय नकारात्मक थी, यानी भारतीय नागरिकों की औसत आय कम थी.

मनमोहन सिंह ने विभिन्न योजनाओं को लागू किया और एक मजबूत आर्थिक आधार तैयार किया, जिससे भारत में लोगों की आमदनी बढ़ी. उनके वित्त मंत्री रहते हुए प्रति व्यक्ति आय में लगभग 5.6% का सुधार हुआ. जब वह प्रधानमंत्री बने, तो इस दर में स्थिरता रही, हालांकि 2014 में यह दर घटकर करीब 5% के आसपास आ गई.

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विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि

मनमोहन सिंह के वित्त मंत्री बनने से पहले, 1991 में भारत के पास विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) की स्थिति काफी कमजोर थी. उस समय भारत के पास केवल 2 हफ्तों के आयात का खर्च उठाने के लिए मुद्रा उपलब्ध थी. मनमोहन सिंह ने भारत की आर्थिक नीति में सुधार किया और विदेशी निवेश आकर्षित किया, जिससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में भारी वृद्धि हुई. जून 1991 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार केवल 4.7 बिलियन डॉलर था, लेकिन जब मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री का पद छोड़ा, तो यह बढ़कर 22.1 बिलियन डॉलर हो गया था. यह स्थिति भारत के लिए एक ऐतिहासिक परिवर्तन था क्योंकि विदेशी मुद्रा भंडार में करीब पांच गुना वृद्धि हुई.

गरीबी में कमी

मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने के बाद, भारतीय समाज में गरीबी (poverty) उन्मूलन की दिशा में कई बड़े कदम उठाए गए. 1993-94 से 2004-05 तक, गरीबी कम होने की दर सिर्फ 0.74% थी, लेकिन उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद (2004-05 से 2011-12 तक) यह दर बढ़कर 2.18% हो गई.

यह आंकड़ा दर्शाता है कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व में सरकार ने गरीबी उन्मूलन के लिए कई योजनाएं शुरू कीं और समाज के कमजोर वर्गों के लिए बेहतर अवसर प्रदान किए. उनके प्रधानमंत्री रहते हुए, विशेष रूप से मनरेगा (MGNREGA) जैसी योजनाओं ने ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाए और गरीबी की दर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

शेयर बाजार में तेजी

मनमोहन सिंह के वित्त मंत्री रहते हुए भारतीय शेयर बाजार में भी बड़े बदलाव आए. 1991 में जब उन्होंने वित्त मंत्रालय संभाला, तब सेंसेक्स (Sensex) का स्तर केवल 1909 था, जो एक बहुत ही निचला स्तर था. लेकिन 1996 में सेंसेक्स बढ़कर 3085 हो गया. 1994 में सेंसेक्स ने 3900 का आंकड़ा पार किया, जो एक बड़ी छलांग थी.

हालांकि, 1992 में हर्षद मेहता घोटाला और 1994 में बॉन्ड मार्केट संकट जैसे घटनाओं के बावजूद, शेयर बाजार में यह वृद्धि देखी गई. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में हुए सुधारों और वित्तीय स्थिरता ने भारतीय शेयर बाजार को नई दिशा दी.

मनमोहन सिंह की दूरदृष्टि

मनमोहन सिंह की सबसे बड़ी सफलता यह थी कि उन्होंने दूरदृष्टि (vision) के साथ देश की आर्थिक नीतियों को आकार दिया. उनका मानना था कि भारत को एक वैश्विक शक्ति बनाने के लिए देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने की जरूरत है. इसके लिए उन्होंने सुधार, विकास और समावेशन (inclusive growth) की नीति को अपनाया, जिससे न केवल देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई, बल्कि लोगों के जीवन स्तर में भी सुधार आया.

मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण नीतियां बनाई, जिनका असर आज भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर देखा जा सकता है. उनका योगदान न केवल देश के लिए बल्कि वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण था.

डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए अतुलनीय रहेगा. उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी और उसे वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनका कार्यकाल भारतीय इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा, और उनके द्वारा किए गए सुधारों से भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था को लाभ हुआ. उनका निधन भारतीय राजनीति के लिए एक बड़ी क्षति है.

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