IAS अभिषेक प्रकाश ने CM योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट को कैसे लगाया पलीता? जानिए ‘5 परसेंट’ वाली पूरी कहानी
सीएम योगी और अभिषेक प्रकाश
UP Solar Panel Project: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सोलर पैनल प्रोजेक्ट अब भ्रष्टाचार के जाल में उलझ गया है. यह योजना यूपी के विकास के लिए एक बड़ी उम्मीद थी, लेकिन एक IAS अधिकारी (IAS Abhishek Prakash) की काली करतूत ने इसे संजीवनी देने के बजाय बड़ा धक्का दे दिया. इस मामले में IAS अभिषेक प्रकाश का नाम सामने आया है. हालांकि, अब सीएम योगी ने अधिकारी के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया है. अब आप सोच रहे होंगे कि क्या है ये सोलर पैनल वाला मामला और क्यों IAS अभिषेक ने CM योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट को घोटाले में घसीट दिया? आइये पूरी कहानी विस्तार से जानते हैं.
योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में सोलर पैनल लगवाने का एक बड़ा ड्रीम प्रोजेक्ट शुरू किया था. यानी, राज्य को सौर ऊर्जा से लैस करना, जिससे ऊर्जा संकट कम हो और पर्यावरण को भी फायदा हो. अब, ये महत्वाकांक्षी योजना थी, लेकिन IAS अभिषेक प्रकाश ने इसमें ऐसा पलीता लगाया कि हर कोई हैरान रह गया.
मामला कैसे शुरू हुआ?
एक बिजनेसमैन विश्वजीत दत्ता चाहते थे कि यूपी में सोलर पैनल लगाने के लिए एक बड़ा प्रोजेक्ट शुरू करें. उन्होंने इन्वेस्ट यूपी में आवेदन किया और सब कुछ सही तरीके से किया. प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल गई. फिर दत्ता को कहा गया कि उन्हें गोमती नगर (लखनऊ) के एक आदमी निकान्त जैन से संपर्क करना होगा, जो काम करवाने में मदद करेगा.
निकान्त जैन की चाल
अब यहां शुरू होता है असली खेल. निकान्त जैन ने दत्ता से कहा कि अगर वह जल्दी प्रोजेक्ट की मंजूरी चाहते हैं, तो उन्हें पांच फीसदी कमीशन देना होगा. दत्ता ने रिश्वत देने से मना कर दिया. तो निकान्त जैन ने प्रोजेक्ट की फाइल लटकानी शुरू कर दी. इसका मतलब यह था कि दत्ता का प्रोजेक्ट अनिश्चितकाल तक लटक सकता था, और मंजूरी मिलने में महीनों का समय लग सकता था.
विश्वजीत दत्ता ने आखिरकार मुख्यमंत्री कार्यालय से शिकायत की, और बताया कि कैसे उनके प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलने में हो देरी हो रही है. यह शिकायत उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के पास भी पहुंची. इसके बाद इस पूरे मामले की जांच शुरू कर दी गई, जिसमें STF को भी शामिल किया गया, क्योंकि मामला सीधे तौर पर एक IAS अधिकारी के भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ था.
जांच के दौरान यह पाया गया कि निकान्त जैन और IAS अभिषेक प्रकाश के बीच मिलीभगत थी. दोनों ने मिलकर व्यवसायियों से पैसे ऐंठने की कोशिश की है. अब निकान्त जैन को गिरफ्तार कर लिया गया है. वहीं, IAS अभिषेक प्रकाश को निलंबित कर दिया.
क्या पहले भी थे विवाद?
अब ये पहला मौका नहीं था जब अभिषेक विवादों में आए थे. इससे पहले, उन्होंने यूपी के डिफेंस कॉरिडोर प्रोजेक्ट में भी भूमि अधिग्रहण में गड़बड़ी की थी. 20 करोड़ रुपये का मुआवजा अफसरों ने हड़प लिया था. इसके अलावा, जब वह एलडीए (लखनऊ विकास प्राधिकरण) के उपाध्यक्ष थे, तो उन पर कई बिल्डरों को फायदा पहुंचाने और अवैध निर्माण करने के आरोप लगे थे. यानी, उनका रिकॉर्ड साफ नहीं था.
अब क्या होगा?
अब जब IAS अभिषेक प्रकाश को निलंबित किया गया है, तो उनके द्वारा लिए गए सभी फैसलों की समीक्षा की जा रही है. आरोप है कि उन्होंने भ्रष्टाचार के जरिए अकूत संपत्ति बनाई है. उनकी आलीशान कोठी और फार्महाउस भी चर्चा में हैं. इसके अलावा, निकान्त जैन और लकी जाफरी की भूमिका पर भी शक गहरा रहा है. यह दोनों लोग नौकरशाह के करीबी माने जाते थे और रिश्वत का काम करते थे.
मुख्यमंत्री ने दिया कड़ा संदेश
योगी आदित्यनाथ ने साफ कर दिया है कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ बिल्कुल भी समझौता नहीं करेगी. चाहे किसी भी बड़े अफसर का मामला हो, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. यह पूरा मामला एक अहम सबक है कि जब भी भ्रष्टाचार सामने आता है, तो उसे छुपाने की बजाय उसे सामने लाना चाहिए. और यह भी दिखाता है कि अगर सरकार ईमानदारी से कदम उठाए, तो बड़े से बड़े अफसर भी बच नहीं सकते.