क्या ChatGPT बना रहा फर्जी आधार? ठगों के हाथ लगा नया हथियार, खतरे में आपकी प्राइवेसी!

असली आधार और पैन कार्ड में कई एंटी-फ्रॉड फीचर्स जैसे QR कोड, होलोग्राम, माइक्रोटेक्स्ट और माइक्रोचिप शामिल होते हैं, जो AI-जनरेटेड दस्तावेज़ों में नहीं होते. फिर भी, ये नकली दस्तावेज़ इतने वास्तविक दिखते हैं कि अनजान लोग आसानी से धोखा खा सकते हैं.
ChatGPT Fake Aadhaar

फेक आधार कार्ड और पैन कार्ड

ChatGPT Fake Aadhaar: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के चमत्कार ने एक बार फिर सुर्खियां बटोरी हैं, लेकिन इस बार वजह सकारात्मक नहीं है. OpenAI के लोकप्रिय चैटबॉट ChatGPT का इस्तेमाल अब नकली आधार कार्ड और पैन कार्ड बनाने के लिए किया जा रहा है. सोशल मीडिया यूजर्स ने ये दावा किया है. इस दावे के बाद लोगों की प्राइवेसी और साइबर सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर यूजर्स ने ऐसे कई AI-जनरेटेड फर्जी दस्तावेज़ों की तस्वीरें शेयर की हैं, जो देखने में एकदम असली लगते हैं.

आसान प्रॉम्प्ट से बन रहे फर्जी दस्तावेज़!

दावे के मुताबिक, ChatGPT जैसे टूल्स का इस्तेमाल कर नकली आधार और पैन कार्ड बनाना अब बेहद आसान हो गया है. यूजर्स को बस एक साधारण प्रॉम्प्ट देना होता है, जैसे- “XYZ नाम के व्यक्ति का आधार कार्ड बनाओ, जिसमें पता 00000 और एक रैंडम फोन नंबर हो.” कुछ मामलों में फोटो अपलोड करने पर यह टूल उसे टेम्पलेट में फिट कर एक प्रोटोटाइप तैयार कर देता है. हालांकि OpenAI की नीतियां असली सरकारी दस्तावेज़ बनाने पर रोक लगाती हैं, लेकिन यूजर्स ‘सैंपल’ या ‘पैरोडी’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर इन प्रतिबंधों को चकमा दे रहे हैं.

साइबर ठगी का बढ़ता खतरा

स्कैमर्स के लिए यह तकनीक किसी वरदान से कम नहीं है. पहले भी फर्जी दस्तावेज़ बनाने के लिए कई टूल्स का इस्तेमाल होता रहा है, लेकिन ChatGPT की सुलभता और इसकी फोटोरियलिस्टिक इमेज बनाने की क्षमता ने इसे और खतरनाक बना दिया है. विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही इन नकली दस्तावेज़ों का इस्तेमाल KYC प्रक्रिया में न हो सके, लेकिन आम लोग इन्हें असली समझकर स्कैम का शिकार हो सकते हैं. फर्जी वोटर आईडी, पासपोर्ट और पेमेंट रसीद तक बनाने की खबरें सामने आ चुकी हैं, जिससे ठगी का जोखिम और बढ़ गया है.

OpenAI ने क्या कहा?

इस मामले में OpenAI ने सफाई दी है कि ChatGPT से बनी तस्वीरों में C2PA मेटाडेटा शामिल होता है, जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि इमेज AI-जनरेटेड है. कंपनी का कहना है कि असली सरकारी दस्तावेज़ बनाना उनकी नीतियों के खिलाफ है. हालांकि, जब हमारी टीम ने ChatGPT से राम के नाम पर आधार कार्ड बनाने की कोशिश की, तो चैटबॉट ने मना कर दिया.

डेटा कहां से आता है?

X पर एक यूजर ने सवाल उठाया, “ChatGPT को आधार कार्ड की फोटो बनाने का डेटा कहां से मिला?” विशेषज्ञों का मानना है कि OpenAI के पास आधार डेटाबेस तक पहुंच होने की संभावना न के बराबर है, लेकिन ऑनलाइन उपलब्ध सरकारी ID टेम्पलेट्स को इसके ट्रेनिंग डेटा में शामिल किया जा सकता है. यह AI की ट्रेनिंग प्रक्रिया पर भी सवाल उठाता है.

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सुरक्षा फीचर्स की कमी

असली आधार और पैन कार्ड में कई एंटी-फ्रॉड फीचर्स जैसे QR कोड, होलोग्राम, माइक्रोटेक्स्ट और माइक्रोचिप शामिल होते हैं, जो AI-जनरेटेड दस्तावेज़ों में नहीं होते. फिर भी, ये नकली दस्तावेज़ इतने वास्तविक दिखते हैं कि अनजान लोग आसानी से धोखा खा सकते हैं.

इस बीच अब AI को रेगुलेट करने की मांग को तेज हो गई है. यूजर्स को सलाह दी जा रही है कि वे ऑनलाइन किसी भी दस्तावेज़ पर आंख मूंदकर भरोसा न करें और संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करें. विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार और टेक कंपनियों को मिलकर ऐसे टूल्स के दुरुपयोग को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे. बताते चलें कि पिछले कुछ दिनों से ChatGPT Ghibli स्टाइल की इमेज बनाने के लिए ट्रेंड में है.

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