BJP में जोश, नीतीश को सुकून और चुनावी दांव-पेंच…आज से बिहार में ऐसे लालू-तेजस्वी की टेंशन बढ़ाएंगे शाह!

अमित शाह का बिहार दौरा एक और वजह भी खास है, और वह है नीतीश कुमार के नेतृत्व को लेकर चल रही असमंजस की स्थिति को खत्म करना. 2022 में एनडीए से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने 2024 में वापसी की थी, और उनके नेतृत्व को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे थे.
Amit Shah

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (फोटो- सोशल मीडिया)

Amit Shah Bihar Visit: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में अब कुछ ही महीने बाकी हैं, और ऐसे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का दो दिवसीय बिहार दौरा राजनीतिक हलचल पैदा करने वाला साबित हो सकता है. इस दौरे का महत्व सिर्फ इसलिए नहीं कि यह बीजेपी के लिए एक चुनावी दौरा है, बल्कि यह नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस की एकजुटता और विपक्षी महागठबंधन को चुनौती देने का एक स्ट्रैटेजिक कदम भी है.

इस लिहाज से अहम है शाह का दौरा

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बिहार दौरा 2025 के विधानसभा चुनाव की दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है. यह दौरा सिर्फ बीजेपी के लिए नहीं, बल्कि नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस और राजनीतिक समीकरणों के लिहाज से भी अहम है. शाह के इस दौरे को गठबंधन की चुनावी तैयारियों को गति देने और नीतीश कुमार के नेतृत्व पर चल रही असमंजस की स्थिति को साफ करने के रूप में देखा जा रहा है.

NDA को मिलेगी नई ऊर्जा

अमित शाह का दो दिवसीय दौरा एनडीए के लिए नई ऊर्जा का संचार कर सकता है. इस दौरान वे पटना और गोपालगंज में कार्यकर्ताओं और नेताओं से मुलाकात करेंगे. वे बीजेपी सांसदों, विधायकों और मंत्रियों के साथ बैठक कर संगठन को और भी मजबूत बनाने पर मंथन करेंगे. इसका उद्देश्य बीजेपी के कार्यकर्ताओं में उत्साह भरना है, जिससे पार्टी पूरी ताकत से चुनावी मैदान में उतर सके.

गोपालगंज में उनकी जनसभा भी यह संदेश देगी कि केंद्र और राज्य में गठबंधन की सरकार पूरी मजबूती से चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार है. यह संदेश विपक्ष को भी भेजा जाएगा, खासकर महागठबंधन (आरजेडी-कांग्रेस-वाम दल) को. शाह का मैसेज साफ है कि एनडीए आक्रामक रणनीति के साथ बिहार चुनाव में उतरेगा.

विपक्ष को क्या संदेश मिलेगा?

अमित शाह का बिहार दौरा विपक्ष के लिए एक बड़ा संदेश देने वाला हो सकता है. शाह ने पहले ही संकेत दिया था कि उनका मुख्य मुद्दा विकास और सुशासन रहेगा, और वे इसे जोर-शोर से उठाएंगे. इसके साथ ही, शाह ग्रामीण विकास, सहकारिता, और कृषि जैसे मुद्दों पर भी घोषणाएं कर सकते हैं. ये घोषणाएं ग्रामीण मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए हो सकती हैं, क्योंकि बिहार के अधिकतर लोग कृषि और सहकारी समितियों पर निर्भर हैं. शाह इस दौरे में CAA(नागरिकता संशोधन कानून) और घुसपैठ जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी जोर दे सकते हैं.

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लालू की बढ़ेगी टेंशन!

यह कदम बिहार के महागठबंधन (आरजेडी-कांग्रेस) के लिए चिंता का कारण बन सकता है, क्योंकि लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव का सपना है कि तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बने. अमित शाह का यह दौरा एनडीए की सुसंगत और आक्रामक रणनीति को सामने लाएगा, जिससे विपक्ष पर दबाव पड़ेगा. खासकर लालू यादव की टेंशन बढ़ सकती है, क्योंकि उनका पूरा ध्यान अपने बेटे को सत्ता में लाने पर है.

नीतीश कुमार की भूमिका को लेकर असमंजस होगा खत्म

अमित शाह का बिहार दौरा एक और वजह से भी खास है, और वह है नीतीश कुमार के नेतृत्व को लेकर चल रही असमंजस की स्थिति को खत्म करना. 2022 में एनडीए से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने 2024 में वापसी की थी, और उनके नेतृत्व को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे थे. शाह इस दौरे के दौरान यह स्पष्ट संकेत दे सकते हैं कि 2025 में नीतीश कुमार ही एनडीए का चेहरा होंगे. इससे जेडीयू और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच की असमंजस की स्थिति खत्म हो सकती है.

इसके अलावा, शाह के दौरे से जेडीयू और बीजेपी के गठबंधन की मजबूती भी झलकेगी. पिछले कुछ समय से विपक्ष ने नीतीश कुमार की ‘पलटू राम’ छवि पर हमला किया था, लेकिन शाह इस दौरे में नीतीश कुमार के साथ अपनी मजबूत साझेदारी का प्रदर्शन कर सकते हैं. इससे यह संदेश जाएगा कि दोनों दल पूरी तरह एकजुट हैं और बिहार में स्थिर और मजबूत सरकार देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

अमित शाह का यह बिहार दौरा एनडीए की चुनावी रणनीति को धार देने, गठबंधन को मजबूत करने, और विपक्ष को बैकफुट पर लाने के लिहाज से महत्वपूर्ण है. इस दौरे से यह साफ होगा कि बीजेपी और जेडीयू के बीच कोई मतभेद नहीं है, और नीतीश कुमार के नेतृत्व को लेकर स्पष्टता आएगी.

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