अंबेडकर पर सियासी घमासान, अमित शाह के बयान पर क्यों बिफरा विपक्ष? ये है विवाद की असली जड़

अमित शाह के बयान के बाद विपक्ष, विशेष रूप से कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस के नेताओं ने शाह के बयान को अंबेडकर का अपमान मानते हुए आलोचना की है.
अमित शाह और राहुल गांधी

अमित शाह और राहुल गांधी

Ambedkar Remark: अंबेडकर पर मचा विवाद राजनीति में तीखी बहस का कारण बना है. यह विवाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के एक बयान के बाद शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने अंबेडकर का नाम लेते हुए कांग्रेस पर हमला बोला. अमित शाह का बयान संविधान की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान आया, और इसके बाद से यह मामला और भी गर्म हो गया है.

अमित शाह का बयान

17 दिसंबर 2024 को अमित शाह ने राज्यसभा में संविधान की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक बहस के दौरान कांग्रेस पार्टी को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लिए अंबेडकर का नाम लेना अब एक ‘फैशन’ बन गया है और यह पार्टी केवल राजनीतिक लाभ के लिए अंबेडकर का नाम इस्तेमाल करती है. शाह ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस संविधान के सिद्धांतों का पालन नहीं करती और पार्टी का उद्देश्य केवल तुष्टिकरण की राजनीति करना है. इसके साथ ही, अमित शाह ने कांग्रेस पर यह भी आरोप लगाया कि वह मुसलमानों के लिए आरक्षण बढ़ाने की कोशिश कर रही है, जो संविधान की मूल भावना के खिलाफ है.

अमित शाह ने इन आरोपों के साथ कांग्रेस पर यह भी आरोप लगाया कि पार्टी ने कभी संविधान के सच्चे उद्देश्य को नहीं समझा और वे अंबेडकर की सोच का पालन करने के बजाय अपने राजनीतिक लाभ के लिए उनके नाम का इस्तेमाल करती हैं. शाह ने कहा कि अंबेडकर ने जिन सिद्धांतों पर संविधान तैयार किया, कांग्रेस उनसे पूरी तरह विमुख रही है.

विपक्ष ने क्या कहा?

अमित शाह के बयान के बाद विपक्ष, विशेष रूप से कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस के नेताओं ने शाह के बयान को अंबेडकर का अपमान मानते हुए आलोचना की है. कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी ने कहा कि जिन लोगों ने कभी मनुस्मृति का समर्थन किया, वे अंबेडकर का विरोध करते हैं. राहुल ने यह भी कहा कि शाह की टिप्पणी यह साबित करती है कि भाजपा और RSS के लोग अंबेडकर के विचारों और उनके योगदान को लेकर नफरत महसूस करते हैं.

कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने शाह के बयान को ‘घृणित’ बताया. उन्होंने ‘एक्स’ पर इस बयान का वीडियो शेयर करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा के नेताओं के पूर्वजों ने अंबेडकर के पुतले जलाए थे और उन्होंने अंबेडकर द्वारा तैयार किए गए संविधान में बदलाव करने की कोशिश की थी. जयराम रमेश ने शाह से सार्वजनिक रूप से माफी की मांग की है.

कांग्रेस नेता के.सी. वेणुगोपाल ने भी शाह की आलोचना करते हुए कहा कि अंबेडकर को दुनिया भर में लाखों लोग देवता के रूप में पूजते हैं, और भाजपा की ओर से ऐसे बयान उनके योगदान का अपमान है. उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह लगातार अंबेडकर के प्रति घृणा दिखाती रही है, और शाह के बयान से यह घृणा और भी स्पष्ट हो गई है.

यह भी पढ़ें: क्रिकेट और प्यार का सटीक स्पिन! अश्विन और प्रीति की स्कूल से लेकर शादी तक की रोमांचक लव स्टोरी

बीजेपी का कांग्रेस पर आरोप

बीजेपी ने इस पूरे विवाद में कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति करने और संविधान की सही व्याख्या न करने का आरोप लगाया है. अमित शाह ने कांग्रेस पर यह आरोप भी लगाया कि पार्टी अंबेडकर के योगदान को सही तरीके से पहचानने की बजाय केवल राजनीतिक फायदे के लिए उनके नाम का इस्तेमाल करती है. बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस ने संविधान को कभी भी पूरी तरह से सम्मानित नहीं किया और उनका उद्देश्य हमेशा चुनावी लाभ के लिए ही संविधान की व्याख्या करना रहा है.

विवाद की जड़ें

यह विवाद केवल एक बयान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कांग्रेस और भाजपा के बीच लंबे समय से चले आ रहे राजनीतिक मतभेदों का हिस्सा है. कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा और RSS की विचारधारा अंबेडकर के विचारों से विपरीत है. अंबेडकर ने भारतीय समाज में समानता और न्याय की स्थापना के लिए संविधान तैयार किया था, और भाजपा की नीतियां इन मूल्यों के खिलाफ हैं.

दूसरी ओर, भाजपा का कहना है कि कांग्रेस अंबेडकर के विचारों को राजनीति के लिए इस्तेमाल करती है, लेकिन कभी उनकी असल विचारधारा और सिद्धांतों को नहीं समझा. भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस हमेशा तुष्टिकरण की राजनीति करती रही है, और अब वह अंबेडकर के नाम का इस्तेमाल कर वोटबैंक की राजनीति करने की कोशिश कर रही है.

ज़रूर पढ़ें