हरियाणा में अब असली रण, AAP के चुनाव अभियान को धार देंगे केजरीवाल, कांग्रेस या बीजेपी किसका होगा नुकसान?
Arvind Kejriwal Bail: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 156 दिन जेल में रहने के बाद सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. उनके जेल से बाहर आने के बाद आम आदमी पार्टी के हौसले बुलंद होंगे. उनकी पार्टी ने हरियाणा की सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार चुकी है. लिहाजा अब लग रहा है कि हरियाणा का चुनावी दंगल जोरदार होगा. हरियाणा में कांग्रेस और बीजेपी के अलावा आप एक प्रमुख पार्टी है. दिल्ली से सटे इस राज्य में आप का असर ठीक ठाक माना जाता है.
बता दें कि 2019 में आप ने हरियाणा विधान सभा की 46 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. हालांकि उस समय उसका वोट शेयर महज एक फीसदी का रहा. आम आदमी पार्टी उन लोगों को एक अच्छे विकल्प की तरह दिखती है जो कांग्रेस या बीजेपी को वोट नहीं देना चाहते. लंबे समय तक बीजेपी का गढ रहने वाली दिल्ली कम से कम विधान के स्तर पर आप का गढ़ बन चुकी है.
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हरियाणा में कितना असरदार रहेंगे केजरीवाल?
टिकट बंटवारे के पहले से ही हरियाणा में कांग्रेस को अलग अलग गुटों की लड़ाई से जूझना पड़ रहा है. जबकि कैडर वाली पार्टी बीजेपी में इस बार खूब उठा पटक हुई है. कांग्रेस चुनाव के पहले चाह रही थी कि देश भर में ये संदेश जाए कि उसका इंडिया अलायंस कामयाब है. साथ ही उसे आप का फायदा मिल सके. इसी लिहाज से कांग्रेस लगातार आप से गठबंधन करने की कोशिश करती रही. माना जा रहा है कि सीटों पर बात न बनने के कारण अरविंद केजरीवाल ने ही गठबंधन न करने का फैसला लिया. ये फैसला उनके लिए अभी के वक्त में ठीक दिख रहा है.
हरियाणा में कई तरह के मुद्दे इधर से उधर जाते दिखे हैं. राज्य में खिलाड़ियों की भावना का हर ओर सम्मान किया जाता है. विनेस फोगाट और बजंरग पुनिया कांग्रेस में चले ही गए हैं. ये रेलवे में नौकरी कर रहे थे. वहां से इस्तीफा देकर ये दोनो खिलाड़ी कांग्रेस में आए. इनमें से विनेश फोगाट को कांग्रेस ने जुलाना सीट से मैदान में उतारा है.
बीजेपी-कांग्रेस में अंदरूनी कलह
इस तरह से ब्रजभूषण शरण सिंह की मुखालफत करने वाली विनेश अब बीजेपी के खिलाफ लड़ रही हैं. बीजेपी ने कई पुराने नेताओं को टिकट नहीं दिया है. इसमें सावित्री जिंदल भी शामिल है. बड़े उद्योग घराने से ताल्लुक रखने वाली सावित्री निर्दल चुनाव लड़ रही है. और भी कई नेता पार्टी से टिकट न मिलने के कारण खफा है. हालांकि कांग्रेस के सामने भी कम चुनौतियां नहीं है. टिकट देने तक पार्टी में तीन गुट साफ अलग अलग दिख रहे थे. अभी भी ये नहीं कहा जा सकता कि ये तीनों गुट बहुत मिल कर चुनाव लड़ेगे.
चुनावी अभियान को धार देंगे केजरीवाल
जेजपी और आजाद समाज पार्टी गठबंधन के तहत राज्य की सभी सीटों पर लड़ रही है. पिछले विधान सभा चुनाव में जेजेपी को 13 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे लेकिन लोक सभा चुनाव में जेजेपी की हिस्सेदारी एक फीसदी से भी नीचे गिर कर 0.87 हो गई थी. ऐसे में जेल से निकल कर केजरीवाल अपने अभियान को धार देंगे. वे अपने और अपनी पार्टी पर किए गए जुर्म की कहानियां भी सुनाएंगे. अगर आप का प्रचार अभियान जोर पकड़ता है तो हरियाणा का चुनाव इस बार कुछ ज्यादा ही रोचक हो सकता है.