33 साल की नौकरी, 57 बार तबादला…रिटायर हो गए IAS अशोक खेमका
अशोक खेमका
Ashok Khemka Retirement: एक ऐसा अफसर, जो हर बार बदला गया, लेकिन खुद कभी नहीं बदला. जी हां, हरियाणा में अगर किसी अधिकारी का नाम लोगों की जुबान पर रहता है, तो वो हैं अशोक खेमका. एक ऐसा नाम, जो अपने काम से ज्यादा ईमानदारी, तबादलों और सिस्टम से टकराने के जज़्बे के लिए जाना जाता है. आज यानी 30 अप्रैल 2025 को वो रिटायर हो गए. इसके साथ ही हरियाणा की नौकरशाही का एक मजबूत अध्याय भी खत्म हो गया.
33 साल की नौकरी, 57 बार तबादला!
IAS बनने का सपना तो बहुत लोग देखते हैं, लेकिन अशोक खेमका ने इस पद को सिर्फ कुर्सी नहीं, जिम्मेदारी माना. उन्होंने 1991 में IAS जॉइन किया था और लगभग 34 साल की सेवा में उनका 57 बार ट्रांसफर हुआ. यानी हर छह-सात महीने में नई पोस्टिंग. फिर भी उन्होंने न तो शिकायत की और न ही ईमानदारी से कभी समझौता किया.
यह बात अपने आप में बताती है कि उन्होंने सिस्टम में रहते हुए भी हमेशा सच्चाई का साथ दिया. चाहे उसकी कीमत कितनी भी बड़ी क्यों न रही हो.
वो फैसला जिसने बना दिया स्टार अफसर
अशोक खेमका पहली बार तब राष्ट्रीय सुर्खियों में आए जब उन्होंने रॉबर्ट वाड्रा और DLF के बीच हुए एक ज़मीन सौदे को रद्द कर दिया. यह मामला था गुरुग्राम में हुई एक जमीन डील का, जिसे उन्होंने नियमों के खिलाफ मानते हुए रद्द करने का आदेश दिया. इस फैसले ने पूरे देश का ध्यान खींचा और खेमका को ईमानदार और साहसी अफसर की छवि मिल गई. लेकिन इसका असर ये हुआ कि उनका तुरंत ट्रांसफर कर दिया गया.
शिक्षा में टॉपर, सेवा में ईमानदार
अशोक खेमका खूब पढ़े-लिखे इंसान हैं.उन्होंने IIT खड़गपुर से कंप्यूटर साइंस में B.Tech किया. इसके बाद TIFR से पीएचडी और फिर MBA (Finance) की डिग्री हासिल की. इतना ही नहीं, सेवा में रहते हुए उन्होंने LLB भी कर लिया. इससे साफ है कि खेमका सिर्फ अफसर नहीं, ज्ञान और आत्मनियंत्रण के प्रतीक भी हैं.
“भ्रष्टाचार को खत्म करना चाहता हूं”
2023 में उन्होंने हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी और कहा कि उन्हें सतर्कता विभाग में एक पोस्ट दी जाए, ताकि वो भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़मीनी स्तर पर काम कर सकें. उन्होंने लिखा, “मैंने अपने करियर की बलि दी, लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ कभी पीछे नहीं हटा.”
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आखिरी पोस्टिंग फिर उसी विभाग में मिली
दिसंबर 2024 में उन्हें फिर से परिवहन विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव के रूप में नियुक्त किया गया. यही विभाग लगभग 10 साल पहले भी उनके पास था, जब मनोहर लाल खट्टर सरकार ने उन्हें वहां से हटा दिया था. यह पोस्टिंग उनके रिटायरमेंट तक की आखिरी ज़िम्मेदारी रही.
अशोक खेमका अब रिटायर हो चुके हैं, लेकिन उन्होंने जो सत्य और ईमानदारी की नींव रखी है, वो आने वाले कई अफसरों के लिए प्रेरणा का रास्ता बनेगी. जहां बहुत से लोग सत्ता के सामने झुक जाते हैं, वहीं खेमका ने हमेशा न्याय और नियमों का पालन किया. यहां तक की इसके लिए उन्हें बार-बार ट्रांसफर झेलना पड़ा.
अशोक खेमका की कहानी सिर्फ एक सरकारी अधिकारी की नहीं है, यह उस व्यक्ति की कहानी है जिसने सच्चाई के लिए पूरी जिंदगी समर्पित कर दी.