परवान चढ़ रहे हैं BJP के सहयोगी दलों के अरमान, अब इन चुनावी राज्यों में जोर लगा रही है JDU और LJP-R

सबसे पहले बात जेडीयू की कर लेते हैं. नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड बीजेपी का दूसरा सबसे बड़ा सहयोगी दल है. आगामी झारखंड विधानसभा चुनाव में जेडीयू और बीजेपी साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी.
PM Modi, Nitish Kumar, chirag paswan

पीएम मोदी, नीतीश कुमार और चिराग पासवान

Assembly Election: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के शासनकाल में एक नया नारा सामने आया है ‘डबल इंजन सरकार’. यानी जिस राज्य में मतदाता भाजपा सरकार चुनते हैं, उसे केंद्र से विशेष सहायता मिलेगी. डबल इंजन की सरकार बनाने के लिए बीजेपी कोई कोर कसर नहीं छोड़ती. जिस राज्य में पार्टी की स्थिति बहुत ठीक नहीं है, वहां सहयोगी दलों को साथ लेकर सरकार बनाने की परंपरा रही है. लेकिन अब BJP के सहयोगी दलों के अरमान भी परवान चढ़ रहे हैं.

दूसरे राज्यों में पैर पसारने की कोशिश

बीजेपी के सहयोगी दल जो खास तौर पर हिन्दी भाषी क्षेत्रों से हैं, अब दूसरे राज्य में भी अपने पैर पसारने की कोशिश में हैं. जेडीयू, एलजेपी-आर और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने कहा है कि वे बीजेपी के साथ गठबंधन के लिए तैयार हैं, लेकिन अगर उनकी बात नहीं सुनी गई तो अकेले चुनाव लड़ने के लिए भी तैयार हैं.

झारखंड में नीतीश कुमार का प्रभाव

सबसे पहले बात जेडीयू की कर लेते हैं. नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड बीजेपी का दूसरा सबसे बड़ा सहयोगी दल है. आगामी झारखंड विधानसभा चुनाव में जेडीयू और बीजेपी साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी. जेडीयू पूर्वोत्तर के राज्यों में भी चुनाव लड़ती है. पार्टी दिल्ली में नियमित बैठकें भी आयोजित करती है. हाल ही में झारखंड जेडीयू के प्रभारी अशोक चौधरी ने कहा, “हमारे कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा सीट बंटवारे को लेकर बीजेपी के साथ बातचीत कर रहे हैं और जल्द ही फैसला लिया जाएगा. पहले भी हमारे विधायक झारखंड में रहे हैं क्योंकि वहां हमारा जनाधार है.” उन्होंने कहा कि वहां 22 फीसदी कुर्मी मतदाता और 10 फीसदी बिहारी मतदाता हैं, जिन पर हमारे नेता नीतीश कुमार का सीधा प्रभाव है.

आंकड़े बताकर जेडीयू ने बीजेपी को सीधा सियासी संदेश दे दिया है. हालांकि, झारखंड विधानसभा चुनाव में नीतीश की पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी ये अभी तय नहीं हुआ है. अगर सियासी जानकारों की मानें तो जेडीयू 8 से 10 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. नीतीश कुमार अपनी पार्टी का किस कदर विस्तार करना चाहते हैं इसे ऐसे भी समझा जा सकता है.

हाल ही में  बिहार की सत्ताधारी राजनीतिक दल जनता दल यूनाइटेड के सुप्रीमो सीएम नीतीश कुमार ने यूपी में पार्टी के संगठन को मजबूत करने के निर्देश दिए हैं. बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री और जदयू के यूपी प्रभारी श्रवण कुमार को इसकी जिम्मेदारी दी गई है. जिसके बाद उन्होंने आगे की रणनीति में काम करना शुरू कर दिया है. पार्टी अब अन्य राज्यों में भी सियासी जमीन की तलाशी शुरू कर दी है.

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LJP-R की रांची में बैठक

अब बात चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी की. बिहार में बीजेपी के सहयोगी दल एलजेपी आर भी झारखंड विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में है. पार्टी ने रविवार को रांची में अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की. यहां एक बार फिर से चिराग पासवान को एलजेपी आर का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया.  इस बैठक से पहले एलजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता धीरेंद्र कुमार मुन्ना ने कहा था, “हम झारखंड विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना तलाश रहे हैं.” हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए बिहार में पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी. एलजेपी-आर का औसत 100 फीसदी रहा. दरअसल, बीजेपी ने चिराग की पार्टी को राज्य में 5 सीटों का ऑफर दिया था.

राजभर की मांग

राजभर भी कहां पीछे रहने वाले हैं. 21-22 अगस्त को उत्तर प्रदेश के मंत्री ओम प्रकाश राजभर की पार्टी एसबीएसपी ने उत्तर प्रदेश के बाहर अपना पहला राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित किया था. एसबीएसपी के सभी नेता और कार्यकर्ता मुंबई में एकत्र हुए थे. दो दिवसीय अधिवेशन के दौरान, पार्टी ने महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव लड़ने और राज्य में उत्तर भारतीय वोटों को साधने का फैसला किया है. एसबीएसपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण राजभर ने कहा कि हमारी पार्टी विधानसभा चुनाव बिहार और दिल्ली में भी लड़ेगी.  हम उत्तर भारतीयों के मुद्दों को उठाएंगे और देखेंगे कि हम महाराष्ट्र में कितनी सीटें जीत सकते हैं.

 

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