‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे पर सियासी बवाल, BJP को ‘अपने’ ही दिखाने लगे आंखें! किसी ने दिया सलाह तो किसी ने उठाए सवाल

योगी आदित्यनाथ का "बंटेंगे तो कटेंगे" नारा अब महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा विवाद बन चुका है. जहाx कुछ नेता इसे एकता और मजबूती की ओर इशारा मानते हैं, वहीं कई अन्य इसका विरोध कर रहे हैं.
Maharashtra Election

महाराष्ट्र चुनाव से पहले NDA में बवाल

Maharashtra Election: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के माहौल में सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. राज्य में इन दिनों राजनीति गर्म है, और इसका मुख्य कारण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का वह बयान बन गया है, जो उन्होंने अमरावती में एक रैली के दौरान दिया. योगी आदित्यनाथ ने कहा, “बंटेंगे तो कटेंगे”, जो अब पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है. इस नारे ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है, क्योंकि यह नारा सिर्फ बीजेपी के भीतर ही नहीं, बल्कि महायुति के दूसरे दलों के बीच भी विवादों का कारण बन गया है.

योगी आदित्यनाथ का ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारा

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार के दौरान यह नारा दिया कि “बंटेंगे तो कटेंगे”, यानी अगर लोग आपस में बंट जाएंगे तो उनका नुकसान होगा और अगर वे एकजुट रहेंगे तो ही मजबूत रहेंगे. यह नारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “एक हैं तो सेफ हैं” के नारे से मिलता-जुलता है, जो उन्होंने पिछले चुनावों के दौरान दिया था. हालांकि, इस नारे को लेकर राजनीति में काफी बवाल खड़ा हो गया है.

जहां कुछ नेता इस नारे को सही ठहरा रहे हैं, वहीं कई नेता इसे विवादास्पद और महाराष्ट्र की सामाजिक-सांस्कृतिक स्थिति के खिलाफ मान रहे हैं.

अजित पवार का विरोध

महाराष्ट्र की महायुति सरकार में शामिल एनसीपी के नेता अजित पवार ने योगी आदित्यनाथ के इस नारे पर विरोध जताया है. अजित पवार ने कहा कि महाराष्ट्र की राजनीति और सामाजिक ताने-बाने को समझे बिना अगर बाहरी नेता इस तरह के बयान देंगे तो यह राज्य की राजनीति के साथ न्याय नहीं होगा. उन्होंने यह भी कहा, “महाराष्ट्र की धरती पर हम शिवाजी, आंबेडकर, शाहू जी महाराज और फुले के विचारों के साथ रहते हैं. यहां के लोग बाहरी नेताओं की बातें आसानी से स्वीकार नहीं करते.”

अजित पवार ने आगे कहा कि महायुति में वे बीजेपी के साथ एकजुट होकर काम कर रहे हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे बीजेपी के विचारों से पूरी तरह सहमत हैं. उनके मुताबिक, बीजेपी का यह नारा महाराष्ट्र की राजनीति में काम नहीं करेगा, क्योंकि यहां की संस्कृति और विचारधारा अलग है.

यह भी पढ़ें: भाजपा को अजित पवार का दो टूक, कहा- महाराष्ट्र में नहीं चलेगा ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का नारा

संजय निरूपम ने किया योगी का समर्थन

वहीं, शिवसेना (शिंदे गुट) के वरिष्ठ नेता संजय निरूपम ने योगी आदित्यनाथ के नारे का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि योगी का संदेश बिल्कुल सही है, क्योंकि एकजुटता से ही कोई भी समाज मजबूत हो सकता है. संजय निरूपम ने कहा, “योगी आदित्यनाथ का कहना है कि अगर आप बिखर जाएंगे तो कमजोर हो जाएंगे, लेकिन अगर आप एकजुट रहेंगे तो कोई भी ताकत आपको तोड़ नहीं सकती.” उन्होंने यह भी कहा कि अजित पवार को इस नारे की अहमियत को समझने में समय लग सकता है, लेकिन भविष्य में वे इसे स्वीकार करेंगे.

संजय निरूपम का यह भी कहना था कि महाराष्ट्र के लोगों को यह नारा समझ में आएगा, क्योंकि यहां भी विभाजन से ज्यादा एकता पर जोर दिया जाता है. इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक क्षेत्र में यह एक सशक्त संदेश है कि लोग अगर एकजुट नहीं रहते, तो वे कमजोर हो जाएंगे.

जेडीयू का सवाल

जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) के नेता और बिहार के एमएलसी गुलाम गौस ने भी इस नारे पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि इस तरह के नारे अब देश को नहीं चाहिए. गुलाम गौस ने यह भी कहा कि भारत एकजुट है और देश में हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई सभी के अधिकार समान हैं. उनका मानना था कि इस नारे का इस्तेमाल उन लोगों को करना चाहिए, जो संप्रदाय के नाम पर वोट बटोरने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि जब देश का प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और गृह मंत्री सभी हिंदू हैं, तो फिर हिंदू कैसे असुरक्षित हो सकते हैं?

गुलाम गौस का तर्क यह था कि बीजेपी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर हिन्दू समाज किससे डर रहा है, क्योंकि सभी महत्वपूर्ण पदों पर हिंदू ही बैठे हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह के नारे समाज को और अधिक बांटने का काम करते हैं, जबकि हमें एकजुटता और शांति की आवश्यकता है.

आरएलडी भी इस नारे के साथ नहीं

हाल ही में उपचुनाव के लिए प्रचार करते हुए जयंत चौधरी ने पत्रकारों से बात की. इस पर एक पत्रकार ने सवाल पूछा कि सीएम योगी आदित्यनाथ ‘अगर हम बंटे तो कट जाएंगे’ की बात कर रहे हैं, जिस पर आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने कहा, “यह उनकी बात है.” यह कहकर वे चले गए। इससे पता चलता है कि आरएलडी भी इस नारे के साथ नहीं है.

‘बंटेंगे तो कटेंगे’ पर उठे सवाल

इस नारे को लेकर कई अन्य विपक्षी दलों ने भी चिंता जताई है. उनका कहना है कि यह नारा समाज को बांटने वाला है, और इससे सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए लोगों के बीच भय और असुरक्षा का माहौल पैदा किया जा सकता है. विपक्षी नेताओं का यह मानना है कि इस नारे के जरिए बीजेपी एक खास समुदाय को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रही है, जो भारतीय समाज की विविधता और एकता के खिलाफ है. वहीं, कुछ लोग इसे बीजेपी का राजनीतिक रणनीति मानते हैं, ताकि वह चुनावों में धार्मिक और सांप्रदायिक मुद्दों को जोर-शोर से उठाकर वोट बैंक को मजबूत कर सके.

योगी आदित्यनाथ का “बंटेंगे तो कटेंगे” नारा अब महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा विवाद बन चुका है. जहाx कुछ नेता इसे एकता और मजबूती की ओर इशारा मानते हैं, वहीं कई अन्य इसका विरोध कर रहे हैं. अब देखना यह होगा कि इस विवाद का असर आगामी चुनावों पर क्या पड़ता है.

ज़रूर पढ़ें