अजित पवार की संपत्ति नहीं है बेनामी, लेकिन सियासी पर्दे के पीछे कुछ और है कहानी!
Benami Property Case: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार (Ajit Pawar) को बड़ी राहत मिली है. 2021 में आयकर विभाग ने उनके खिलाफ बेनामी संपत्ति मामले चलाए थे, लेकिन दिल्ली में स्थित अपीलीय न्यायाधिकरण ने पवार और उनके परिवार के खिलाफ लगे आरोपों को खारिज कर दिया है. हालांकि, यह राहत सियासी गलियारों में कई सवाल खड़े कर गई है. क्या यह महज एक कानूनी राहत है या फिर यह एक बड़ा राजनैतिक ‘खेल’ है, जिसका पर्दा धीरे-धीरे उठने वाला है?
2021 में हुआ था बड़ा खुलासा
मामला 7 अक्टूबर 2021 का है, जब आयकर विभाग ने महाराष्ट्र और मुंबई में पवार परिवार से जुड़े कई ठिकानों पर छापे मारे थे. अधिकारियों ने दावा किया था कि उनके पास ऐसे दस्तावेज हैं जो अजित पवार और उनके परिवार के खिलाफ बेनामी संपत्ति के लेन-देन के संकेत देते हैं. छापेमारी में 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्तियों की जानकारी मिली थी, जिसमें सतारा स्थित शुगर फैक्ट्री, मुंबई में एक सरकारी परिसर, गोवा में रिसॉर्ट, और दिल्ली में एक फ्लैट जैसी संपत्तियां शामिल थीं. इन संपत्तियों को ‘बेनामी’ कहकर सीज कर लिया गया था. मगर न्यायाधिकरण ने इसे आधारहीन मानते हुए आरोपों को खारिज कर दिया.
बेनामी संपत्ति का मामला: जांच या राजनीति?
अजित पवार के खिलाफ उठाए गए बेनामी संपत्ति के आरोपों को खारिज करना, केवल एक कानूनी निर्णय नहीं है, बल्कि राजनीति में चल रहे जटिल खेल का हिस्सा भी हो सकता है. क्या यह फैसला उस समय लिया गया जब महाराष्ट्र में भाजपा और एनसीपी के बीच राजनीति के बदलते समीकरणों को लेकर चर्चाएं गर्म है? मंत्रिमंडल को लेकर पेंच फंसा है. अजित पवार का नाम पहले भी विवादों में रहा है. सिंचाई घोटाले से लेकर मनी लॉन्ड्रिंग तक, पवार पर आरोपों का सिलसिला लगातार चलता रहा है. हालांकि, यह कहने का मौका अब तक किसी के पास नहीं था कि उन पर आरोप साबित हो गए हैं.
अजित पवार पर आरोप था कि उन्होंने महाराष्ट्र में करीब 70,000 करोड़ रुपये का सिंचाई घोटाला किया था. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने 2018 में उन्हें इस घोटाले का जिम्मेदार ठहराया था. बावजूद इसके, 17 मामलों में अजित को क्लीन चिट मिल चुकी है.
राजनीति में अजित पवार की स्थिति
अजित पवार की महायुति में मजबूत स्थिति है. उनकी पार्टी ने इस बार के विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज की है. चुनाव से पहले भी पवार पर जब-जब आरोप लगे उनके वकील प्रशांत पाटिल ने बार-बार यही साबित करने की कोशिश की है कि पवार परिवार पूरी तरह से निर्दोष है और उन्हें बिना किसी ठोस प्रमाण के कानून के शिकंजे में नहीं लाया जा सकता.
लेकिन क्या सच में अजित पवार के खिलाफ मामले राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं, या फिर यह महज संयोग है कि उनकी छवि को लेकर हर बार विवाद खड़ा हो जाता है? हालांकि, बेनामी संपत्ति मामले में अब पवार को क्लीन चीट मिल गई है तो इसे राजनीति से जोड़कर भी देखा जा रहा है.
क्या अजित पवार के लिए आगे का रास्ता आसान होगा?
अजित पवार की राजनीतिक यात्रा हमेशा से विवादों से घिरी रही है. चाहे वह सिंचाई घोटाला हो या फिर बेनामी संपत्तियां, हर मामले में उनकी छवि पर सवाल उठते रहे हैं. लेकिन यह भी सच है कि पवार ने हर बार इन आरोपों से खुद को बाहर निकाला है. फिलहाल उन्हें एक बड़ी कानूनी राहत मिली है, लेकिन क्या वह इस बार भी इन आरोपों से बचने में सफल होंगे, यह समय ही बताएगा.
अजित पवार की राह आसान नहीं होगी. मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा मामला और नए-नए आरोप उनके लिए सियासी बवंडर की तरह सामने आ सकते हैं. बेशक, यह राहत उनके लिए एक बड़ी जीत हो सकती है, लेकिन उनका राजनीतिक भविष्य इससे जुड़े कई सवालों को जन्म देता है. क्या महाराष्ट्र के इस ताकतवर नेता की कड़ी चुनौतियां अब खत्म हो गई हैं, या फिर अगले सियासी तूफान की शुरुआत बस यहीं से होगी?